हरिद्वार, 12 जुलाई। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा है कि संत महापुरुष विश्व पटल पर सनातन संस्कृति को संजोए हुए हैं और गुरु शिष्य परंपरा से भारत का संपूर्ण विश्व में एक अलग स्थान है।
श्रवणनाथ नगर स्थित नवनिर्मित श्री महावीर नारायण भवन के लोकार्पण अवसर पर संत समाज एवं श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए जगद्गुरु स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि संतो ने सदैव ही समाज का मार्गदर्शन कर एक नई दिशा प्रदान की है और राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में संत महापुरुषों की अहम भूमिका है।
आश्रम परंपरा धर्म के संरक्षण संवर्धन और भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने के लिए अनिवार्य है, जो समाज में धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करती है। बाबा हठयोगी एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन धर्म रक्षा और राष्ट्र सेवा को समर्पित रहता है। जगद्गुरु स्वामी अयोध्याचार्य महाराज वयोवृद्ध अवस्था में भी युवाओं में संस्कृति और संस्कारों का संचार कर रहे हैं जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का माध्यम है।
सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। नीलेश्वर महादेव मंदिर के महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि वैष्णव संतों की गौरवशाली परंपरा विश्व विख्यात हैं। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज वैष्णव संप्रदाय का गौरव है। संत समाज उनकी दीर्घायु की कामना करता है। उनके कृपा पात्र शिष्य महंत राजेंद्रदास महाराज उनके जीवन का अनुसरण करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। गुरु और शिष्य के रूप में संत परंपरा का भली-भांति निर्वहन करना। इनके आदर्श पूर्ण जीवन को दर्शाता है।
कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त हुए महंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि संतों की सेवा करते हुए समाज का मार्गदर्शन करना और गौ गंगा संरक्षण करना उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। वह सौभाग्यशाली है कि उन्हें एक ईश्वर तुल्य गुरु के रूप में स्वामी अयोध्याचार्य महाराज की प्राप्ति हुई है।
इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत गोविंद दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास, महंत नारायण दास पटवारी, साध्वी जयश्री, साध्वी विजयलक्ष्मी, स्वामी गंगा दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास सहित रामानंद संप्रदाय के बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।