हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि संत महापुरुष राष्ट्र का गौरव है और गुरु शिष्य परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है।
ब्रह्मलीन स्वामी असंगानंद महाराज त्याग तपस्या एवं समरसता की पराकाष्ठा थे। एक आदर्श महापुरुष के रूप में भारतीय इतिहास में उनका जीवन सदैव प्रासंगिक रहेगा। कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी असंगानंद महाराज के स्वर्ण जयंती समारोह पर आयोजित संत सम्मेलन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महापुरुषों ने सदैव ही राष्ट्र को नई दिशा दी है और संतों का जीवन सदैव ही परमार्थ को समर्पित रहता है। भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने में संत महापुरुषों का अहम योगदान रहा है।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन स्वामी असंगानंद महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कार्य किया। उन्हीं के मार्ग का अनुसरण कर महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी असंगानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन हेतु जागृत किया। ऐसे महापुरुष को संत समाज नमन करता है।
कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए हरेराम आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी असंगानंद महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने संतों की सेवा करते हुए गंगा तट से समाज हित के लिए अनेक सेवा प्रकल्प स्थापित किए। गौ, गंगा संरक्षण, गरीबों की सेवा उनके जीवन का मूल उद्देश्य था। उनके द्वारा स्थापित सेवा कार्यों में निरंतर बढ़ोतरी कर समाज कल्याण में अपना योगदान प्रदान करना ही उनका मूल उद्देश्य है।
डा.जितेंद्र सिंह, विमल कुमार, स्वामी कृष्ण मुनि, प्रो.प्रेमचंद्र शास्त्री, नीलाम्बर खर्कवाल, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पाण्डेय, हरीश कुमार, डा.अश्वनी चैहान, मयंक गुप्ता, नमामि यमुना अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल राजीव रावत ने फूलमाला पहनाकर सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गादास, महामंडलेश्वरद स्वामी वेदानंद, श्रीमहंत अद्वैतानंद, कोठारी महंत दामोदर दास, महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यांबर मुनि, महंत जसविंदर सिंह शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद, महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम, महंत कमलदास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशमुनि, महंत गंगादास, महंत दामोदर शरण दास, महंत जमुना दास, महंत गोविंद दास, महंत शुभम गिरी, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दर्शन दास, महंत प्रेमदास, महंत श्रवण मुनि, महंत दिनेश दास, महंत राम सागर मुनि, महंत उमेश मुनि, साध्वी प्रभा मुनि, शास्त्री परमेश्वर मुनि, कोठारी महंत कृष्ण मुनि, महंत शुभम गिरी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।
उर्दू में अनुवादित गीता की किताब दिल की गीता का हुआ विमोचन
हरिद्वार। दिनांक 15 जून को ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानंद महाराज की 50वीं पुण्य तिथी पर कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम में स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित श्री राम कथा के दौरान सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों की उपस्थिति में योगगुरू रामदेव, स्वामी चिदानंद मुनि, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, श्रीमहंत रघुमुनि,
पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक एवं श्री हरेराम आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कार्यक्रम में सम्मिलित हुए पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश खलीलुर्रहमान रमेद का स्वागत किया और पाकिस्तानी शिक्षाविद् ख्वाजा दिल मौहम्मद द्वारा श्रीमद्भगतद् गीता का उर्दू में अनुवादित पुस्तक दिल की गीता का विमोचन किया। इस दौरान खलीलुर्रहमान रमदे ने कहा कि संतों के बीच आकर वह अपने आपको धन्य महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सभी धर्मो का एक ही संदेश है। गीता हो कुरान या अन्य कोई भी धार्मिक ग्रन्थ हो। सभी मानवता के रास्ते पर चलने और बुराई के खिलाफ खड़े होने की शिक्षा देते हैं। धर्म सबको मिलाते हैं। प्रत्येक धर्म की मंजिल एक ही है। इसलिए धर्म को लोगों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। तोड़ने के लिए नहीं। पुस्तक के विषय में जानकारी देते हुए खलीलुर्रहमान ने बताया कि लगभग 90 साल पहले शिक्षाविद् ख्वाजा दिल मौहम्मद ने श्रीमद्भागवत गीता का उर्दू में अनुवाद किया और इसे दिल की गीता नाम दिया।
उन्होंने संत महापुरूषों को पाकिस्तान आने का न्यौदा भी दिया। योगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि श्रीराम कथा प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है। सभी को भगवान श्रीराम के चरित्र को आचरण में धारण कर राम राज्य की स्थापना में सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी कृष्ण मुनि, जितेंद्र सिंह, डा.प्रेमचंद्र शास्त्री, डा.प्रदीप जोशी, विमल सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व गणमान्य लोग मौजूद रहे।