हरिद्वार। हरिद्वार के श्रवण नाथ नगर स्थित संतपंचपरमेश्वर उदासीन बड़ा अखाड़े के जगद्गुरु उदासीन आश्रम में रविवार को 51 वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर आश्रम में संत सम्मेलन भी आयोजित हुआ जिसमें हरिद्वार के वरिष्ठ संतो ने श्रद्धालुओं को आशीर्वचन और आश्रम के ब्रह्मलीन संतों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जगद्गुरु उदासीन आश्रम हरिद्वार के प्राचीन आश्रम में से एक है और यह अखाड़े की परंपरा को निर्वहन करके सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहा है। अंत में सम्मेलन को संबोधित करते हुए महंत सुतीक्षण मुनि ने कहा कि हमारे अंदर दया का भाव हमेशा जागृत रहना चाहिए चाहे हम कितने भी ऊंचे पद पर या कितने भी बड़े व्यक्ति क्यों ना बन जाए। उन्होंने भगवान श्रीराम का उदाहरण देते हुए कहा कि वह एक राजा के और राजशाही परिवार के पुत्र थे लेकिन इतने दयालु थे कि सभी से बिल्कुल स्नेह भाव से मिलते थे और उन्होंने दुनिया को करुणा और प्रेम का पाठ सिखाया।
इस अवसर पर संतो को भोजन प्रसाद भी खिलाया गया। कार्यक्रम के अवसर पर महामंडलेश्वर भगवत स्वरुप, महंत डाक्टर गंगादास, कोठारी दामोदरदास, दामोदर शरण दास, महामंडलेश्वर कपिल मुनि, महंत रविदेव शास्त्री, महंत मोहनदास, महंत प्रेमानंद आदि संतगणो और सैकड़ों भक्त मौजूद थे।