पवित्र गंगाजल कलश यात्रा को पूजन के बाद पशुपतिनाथ मंदिर के लिए धूमधाम से किया रवाना

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हरिद्वार। गंगोत्री धाम से नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के लिए निकली कलश यात्रा कल हरिद्वार में माँ मनसा देवी चरण पादुका स्थल निरंजनी अखाड़ा में पहुंची थी जहां पर निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी, जगतगुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम एवं तमाम वरिष्ठ महंतो संतो ने यात्रा का स्वागत किया था।

आज निरंजनी अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र पुरी के नेतृत्व में पवित्र गंगाजल कलश यात्रा को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि विधान से पूजन के बाद नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के लिए रवाना किया गया। जिसमें मीडिया को जानकारी देते हुए गंगोत्री धाम के रावल ने बताया कि आज यात्रा मुरादाबाद पहुंचेगी जहां पर कलश यात्रा विश्राम के पश्चात नेपाल के लिए रवाना होगी।

इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने बताया कि यह परंपरा सदियों पुरानी है एवं पवित्र गंगाजल ज्ञान, शीतलता और उर्जा का प्रतीक है और गंगा मोक्षदायिनी है। और गंगा के जल से ही सभी का जीवन यापन हो रहा है। गंगोत्री के रावल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हर साल मैं ही गंगाजल को गंगोत्री से पशुपतिनाथ मंदिर लेकर जाता हूं एवं निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने विगत 3 वर्षों से इस परंपरा को पुनर्जीवित किया है। आगे उन्होंने संतों का धन्यवाद देते हुए कहा कि कल यहां हरिद्वार में मां मनसा देवी चरण पादुका पर कलश को रखा और आज इसका भव्य पूजन किया गया जो सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि कलश नेपाल के पशुपति नाथ मन्दिर के लिए रवाना हो गया है। इस यात्रा के तहत गंगोत्री धाम से लाए गए पवित्र जल को पशुपतिनाथ नेपाल में भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाएगा। नेपाल हेतु कलश यात्रा रवाना होने से पहले पवित्र अमृत कलश का पूजन आज हुआ और कार्तिकेय भगवान की पूजा-अर्चना हुई। जिससे प्रसन्न होकर भगवान सभी का कल्याण करेंगे। कार्यक्रम के उपरांत सभी संतो एवं श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद वितरण किया गया।

इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, भारत माता मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी एवं तमाम वरिष्ठ महंत-संत मौजूद थे।

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