हरिद्वार, 3 सितम्बर। उदासीन आचार्य जगदगुरू भगवान श्री श्रीचंद्र की 528वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन द्वारा चन्द्राचार्य चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने पूजा अर्चना कर व नारियल फोड़कर शोभयात्रा का शुभारंभ किया।
बैण्ड बाजों व आकर्षक झांकियों से सुसज्जित शोभायात्रा देवपुरा चौक, शिवमूर्ति, चित्रा टाकीज, निरंजनी अखाड़ा, तुलसी चैक, डामकोठी, शंकराचार्य चौक बंगाली मोड़ से होते हुए राजघाट स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में संपन्न हुई। श्रद्धालु भक्तों द्वारा पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। बीच-बीच में भव्य आतिशबाजी भी हुई और पंजाब के साख कलाकारों ने हैरतअंगेज कारनामे से सुर्खियां बटोरी।
इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र समस्त संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं।
साक्षात शिव स्वरूप भगवान श्रीचंद्र ने पूरे देश का भ्रमण कर समाज में फैली अज्ञानत और कुरीतियों को दूर किया। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र कल्याण में योगदान करना चाहिए।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने विभिन्न मत सम्प्रदायों में बंटे समाज को एकजुट कर व वैचारिक मतभेदों को समाप्त कर समन्वय का सूत्र प्रदान किया।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज एवं श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि ज्ञान भक्ति के श्रेष्ठ सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाले भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाएं युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए।
स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने धूणे के रूप में वैदिक यज्ञोपासना को नया रूप दिया तथा निर्वाण साधुओं के रहने का आदर्श प्रतिपादित कर निवृत्ति प्रधान धर्म की प्रतिष्ठा की।
भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शैव, वैष्णव, शाक्त, सौर तथा गणपत्य मतावलंबियों को संगठित कर पंचदेवोपासना की प्रतिष्ठा की। महंत गोविंद दास ने कहा इस अवसर पर कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही भक्तों का कल्याण संभव होता है। उन्होंने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन समाज कल्याण में अहम योगदान कर रहे हैं।
इस अवसर पर कोठारी दामोदर दास, कारोबारी गोविंद दास, कोठारी जयेंद्र मुनि, कोठारी दर्शन दास, कोठारी प्रेम दास, कोठारी निरंजन दास, ब्रह्म मुनि, बलवंत दास, मुरली दास, कैवल्यानन्द जी, जोगेंद्र मुनि जी, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, स्वामी चिदविलासानन्द, महंत प्रेमदास, स्वामी हरिहरानन्द, महंत दिनेश दास, संत जरनैल सिंह, महंत गंगादास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत विष्णु दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, कमलेशानंद महाराज, महंत रघु मुनि, महंत योगेंद्रानंद शास्त्री सहित कई संत महापुरूष मौजूद रहे।