हरिद्वार। हरिद्वार के रेलवे रोड स्थित सुदर्शन आश्रम अखाड़ा में ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज का 31वां गुरु स्मरण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
चार दिवसीय इस कार्यक्रम में दिनांक 3 मई को आश्रम में सुंदरकांड का आयोजन हुआ एवं 4 मई को श्री रामचरितमानस के अखंड पाठ की शुरुआत हुई। अखंड पाठ का समापन पूरे विधि विधान के साथ भोग एवं आरती के बाद 5 मई को हुआ और उसके उपरांत आश्रम में शाम को भजन संध्या आयोजित हुई जिसमें अन्य राज्यों से आए हुए भक्तों ने हिस्सा लिया एवं आज दिनांक 6 मई को आश्रम में प्रातः साधु संतों के नाम प्रवचन हुए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथी विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी ने कहा कि धर्मसत्ता के बिना राजसत्ता अधूरी है।
संत महापुरूष अपनी दिव्य वाणी से धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ राजसत्ता का मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मसत्ता व राजसत्ता के समन्वय से उत्तराखण्ड से पूरी दुनिया में ज्ञान का संदेश प्रसारित हो रहा है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत थे।
महंत रघुवीर दास अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं के अनुरूप सुदर्शन आश्रम की सेवा परंपरांओं को निरन्तर आगे बढ़ा रहे हैं। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री एवं श्रीपंच निर्मोही अनि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे।
जिन्होंने सदैव भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। ऐसे दिव्य महापुरूष को संत समाज नमन करता है। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एवं तीरथ सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्र कल्याण में संत महापुरूषों का सदैव अहम योगदान रहा है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज ने का पूरा जीवन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा और समाज के मार्गदर्शन के लिए रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने सेवा प्रकल्पों की स्थापना कर समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा में अहम योगदान दिया।
जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
सुदर्शन आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रघुवीर दास महाराज ने उपस्थित संतों एवं अतिथीयों का शाॅल ओढ़ाकर स्वागत व आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत को महान बनाती है और वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज गुरू के रूप में प्राप्त हुए।
पूज्य गुरुदेव से प्राप्त शिक्षाओं एवं उनकी प्रेरणा से उनके द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को निरन्तर आगे बढ़ाया जा रहा है। मंच का संचालन स्वामी रवि देव शास्त्री ने किया। संत महापुरुषों एवं मुख्य अतिथियों के संबोधन के बाद सभी भक्तो एवं संतो को भोजन प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर बाबा हठयोगी, महंत जसविन्दर सिंह, महंत रामजी दास, स्वामी भगवतस्वरूप, महंत स्वामी कपिलमुनि, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेशदास, महंत ईश्वर दास, स्वामी शिवानन्द, महंत प्रेमदास, स्वामी कृष्णमुरारी, स्वामी परिपूर्णानन्द सरस्वती, महंत सुरेशदास, महंत गोविंददास, महंत बिहारी शरण, महंत कृष्णानन्द, महंत शिवस्वरूप, महंत राजेंद्रदास, महंत ब्रह्ममुनि, महंत प्रेमदास, महंत रजत मोहनदास, महंत ललितमोहन दास, महंत योगेंद्रानन्द, स्वामी विवेकानन्द महंत सूर्यमोहन गिरी, महंत स्वामी ललितानन्द गिरी, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत अंकित शरण, माता ज्वालादेवी, विधायक आदेश चैहान, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, ओमप्रकाश जमदग्नि, विकास तिवारी, शहर व्यापार मंडल अध्यक्ष राजीव पाराशर, महामंत्री अमन शर्मा, अनिल अरोड़ा, आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।