जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमला, 2 पुलिस वाले शहीद, 12 घायल, क्या हुई सुरक्षा में चूक?

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श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के जेवान में आज शाम को पुलिस बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। जिसमें 2 पुलिस वाले शहीद और 12 घायल हैं जिसमें 3 पुलिस वालों की हालत नजुक है। सूत्रों के मुताबिक बस पर 2 आतंकवादियों ने अलग अलग जगह से भारतीय रिजर्व पुलिस की 9वीं बटालियन पर हमला किया है। जिस जगह पर हमला हुआ वहां पर सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और जेकेपी का कैंप है।

 घायलों को अस्पताल में एडमिट किया गया है और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया किया गया है।

इंडियन रिजर्व पुलिस की जिस बस पर हमला हुआ है वो बुलेट प्रूफ नहीं थी और ना ही सब पुलिस वालों के पास हथियार वे, जयदातार पुलिस वालों के पास शील्ड और लाठियां थी, कुछ ही पुलिस वालों के पास हथियार थे।

हमले का शिकार हुआ पुलिस वालों के नाम:

 1. एएसआई गुलाम हसन

 2. कांस्टेबल सज्जाद अहमद

 3. कांस्टेबल रमीज अहमद

 4. कांस्टेबल बिशंभर दास

 5. चयन ग्रेड कांस्टेबल संजय कुमार

 6. चयन ग्रेड कांस्टेबल विकास शर्मा

 7. कांस्टेबल अब्दुल मजीद

 8. कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद

 9. कांस्टेबल रविकांत

 10. कांस्टेबल शौकत अली

 11. कांस्टेबल अर्शीद मोहम्मद

 12. कांस्टेबल शफीक अली

 13. कांस्टेबल सतवीर शर्मा

 14. कांस्टेबल आदिल अली

दिलबाग सिंह, जो की जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी हैं उन्होने ने हमले को लेकर कहा है की जिस जगह हमला हुआ वहां पुलिस टीम सिटी से ड्यूटी करके लौट रही थी।

 डीजीपी दिलबाग सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा की श्रीनगर के आउटस्कर्ट्स मैं तीन-चार हफ्तों में कामयाबी मिली है, और आदमी दो दहशतगर्द हमने मारे हैं। कल हमने बांदीपोरा में एक आतंकी मारा और उससे पहले त्राल में कामयाबी मिली थी। उन्होंने कहा कि ये हमला हो सकता है किसी नई मूवमेंट का इशारा करता है, जल्द ही हम इनकी पहचान करेंगे और गिरफ्तार करेंगे।

खुफिया एजेंसियों के हवाले से बड़ी खबर

21 september को मुज्जफराबाद में ISI और आतंकी गुटो के बीच हुई थी बैठक

बैठक में आतंकी गुटो से कहा गया था कि नये नाम से गुट बना कर कश्मीरी लोगो के साथ साथ जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना पर हमले किये जायें। बैठक में लश्कर और जैश समेत 200 आतंकी हुए थे शामिल।

खुफिया एजेंसियो ने ऐसे हमले का पहले से किया था अगाह। लेकिन खुफिया एलर्ट के बाद भी ये हमला बड़े सवाल खड़े करता है। और पुलिस बस के साथ सुरक्षा देने वाली टीम क्यों नहीं थी?

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