AND स्कूल में श्री आद्या शक्ति भगवती मां नव दुर्गा दर्ज चतु: सहस्त्र हवनात्मक मांग सत्र: संपन्न

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हरिद्वार। ए एन डी पब्लिक स्कूल हरिपुर कला में श्री आद्य शक्ति भगवती मां नव दुर्गे चतुः सहस्त्र हवनात्मक याग सत्रः तथा विशाल संत भंडारे का आयोजन अनंत विभूषित जगतगुरु रामानंदाचार्य श्री अयोध्या दास महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा नव दुर्गे उपासना जीवन की सार्थकता का माध्यम है। महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा धर्म कर्म करने से मनुष्य का लोक एवम सुधर परलोक जाता है संत महापुरुषों के पावन वचन मानव जीवन को धन्य तथा सार्थक कर देते हैं। इस अवसर पर बोलते हुए श्री नृसिंह धाम के महंत राजेंन्द्र दास महाराज ने कहा जिस पर गुरु की कृपा हो जाये उसका जीवन धन्य तथा सार्थक हो जाता है। नव दुर्गे माता की आराधना इस मानव जीवन को सार्थक कर देती है। महंत राजेन्द्र दास महाराज ने कहा सनातन धर्म में माता दुर्गा को आदि शक्ति, जगत की जननी और समस्त सृष्टि की आधार शक्ति माना गया है। वे ही शक्ति रूप में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करती हैं। भगवान शिव की शक्ति और विष्णु की योगमाया, वही जगत जननी आद्या शक्ति भगवती हैं। जब-जब धरती पर अधर्म, अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब यही देवी विविध रूपों में प्रकट होकर धर्म की रक्षा करती हैं।

आद्या शक्ति का स्वरूप माता दुर्गा का रूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है। वे सिंह पर आरूढ़ रहती हैं, उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं। उनका स्वरूप करुणामयी भी है और प्रलयंकारी भी। भक्तों के लिए वे मां हैं, तो दुष्टों के लिए कालरात्रि।

नवदुर्गा का महत्

शारदीय और चैत्र नवरात्रि के अवसर पर देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। प्रत्येक स्वरूप एक विशेष गुण और शक्ति का प्रतीक है

1. शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, स्थिरता और शक्ति की देवी।

2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की प्रतीक।

3. चंद्रघंटा – शांति और वीरता प्रदान करने वाली।

4. कूष्मांडा – सृष्टि की आदि जननी, जीवन शक्ति की दात्री

5. स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा का स्वरूप।

6. कात्यायनी – दुष्ट संहारिणी और बल की देवी।

7. कालरात्रि – अज्ञान और भय का नाश करने वाली।

8. महागौरी – शुद्धता और सौंदर्य की देवी।

9. सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की प्रदात्री।

नवरात्र के नौ दिनों में इन नवदुर्गा की उपासना करने से भक्त के जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर होती है और उसे शक्ति, ज्ञान, भक्ति व समृद्धि प्राप्त होती है।

देवी की आराधना का फल

आद्या शक्ति की आराधना केवल भौतिक सुख के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान के लिए भी की जाती है। भक्त के जीवन में धैर्य, साहस, करुणा, विनम्रता और धर्म के प्रति आस्था का संचार होता है। यही कारण है कि माता दुर्गा को जगतारिणी अर्थात जगत को तारने वाली कहा गया है।

श्री आद्या शक्ति भगवती नवदुर्गा केवल शक्ति की अधिष्ठात्री नहीं, बल्कि भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की दात्री भी हैं। उनके बिना यह जगत न अस्तित्व में रह सकता है, न ही संचालित हो सकता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर उनकी साधना से जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा और दिव्यता का संचार होता है। सच ही कहा गया है—

“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।” इस अवसर पर बोलते हुए साध्वी श्री विजयलक्ष्मी ने कहा जिसके जीवन में राम नाम की निधि हो और गुरु की शरण हो वह भवसागर पार हो जाते हैं इस अवसर पर बोलते हुए साध्वी वैष्णवी जय श्री ने कहा गुरुजनों से प्राप्त होने वाला ज्ञान जीवन के सभी शक्ल समाप्त कर देता है एवं भाग्य का उदय कर देता है इस अवसर पर महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज, बाबा हठ योगी महाराज, महंत ज्ञानानंद महाराज, महंत हरिदास महाराज, महंत विष्णु दास महाराज, महंत रघुवीर दास, योगानंदाचार्य श्री दयाराम वेदांताचार्य महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज कोतवाल रामदास महाराज कोतवाल देहरादून बाबा रमेशानंद कोतवाल श्याम गिरी महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्तजन उपस्थित थे।

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