संस्कृत में शपथ लेकर सतपाल ब्रह्मचारी ने की संसदीय पारी की शुरुआत, वरिष्ठ पत्रकार बोले एक दांव से धुर विरोधियों को किया चित, भविष्य में और ताकतवर होंगे सतपाल

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देश में लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद अब संसद सत्र शुरू होने के साथ ही नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण हो चुका है। लेकिन देश की संसद में अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग भाषाओं में सांसदों ने शपथ ली। एक खास लम्हा संसद में तब देखने को मिला जब हरियाणा के सोनीपत से सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने संस्कृत में शपथ लेकर भारतीय संस्कृति और देवभूमि उत्तराखंड से अपने रिश्ते का परिचय पूरे देश में दिया। संत होने के साथ-साथ सतपाल ब्रह्मचारी उत्तराखंड के हरिद्वार से कई वर्षों से राजनीति भी करते रहे और अब लोकसभा चुनाव में उनकी किस्मत चमकने के बाद वह हरियाणा के सोनीपत से सांसद बनकर संसद पहुंच चुके हैं।

कुछ इस तरह रहा सतपाल ब्रह्मचारी का राजनितिक सफर

आपको बता दे की सतपाल ब्रह्मचारी का राजनीतिक सफर भाजपा से शुरू हुआ था, सतपाल ब्रह्मचारी से जुड़े करीबी लोग बताते हैं कि सतपाल ब्रह्मचारी ने वर्ष 1985 से राजनीति की शुरुआत की थी और 2002 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था। सतपाल ब्रह्मचारी हरिद्वार के नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं, वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े सतपाल ब्रह्मचारी ने रिकार्ड मतों से हरिद्वार का नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीता, लेकिन उसके बाद वर्ष 2012 में वह जब वह कांग्रेस से विधायक का चुनाव लड़े, तो उन्हें जीत हासिल नहीं हुई। 2017 में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया, जिससे उनके समर्थकों में मायूसी थी, लेकिन उत्तराखंड के 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर एक बार हरिद्वार से उन्हें कांग्रेस ने विधायक का टिकट दिया और एक बार फिर उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई। विधानसभा चुनाव के बाद सतपाल ब्रह्मचारी को कांग्रेस ने हरिद्वार महानगर अध्यक्ष बनाया और हरिद्वार जिले की अहम कमान दी, लेकिन वो कहावत तो आपने सुनी होगी की “जो किस्मत में लिखा होता है उसे दुनिया की कोई ताकत आपको मिलने से नहीं रोक सकती” या यूं कहें कि भगवान ने सतपाल ब्रह्मचारी के लिए कुछ बड़ा सोचा था, इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के सोनीपत से उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया और उन्होंने भाजपा के प्रतिद्वंद्वी को 21000 वोट से ज्यादा से मात देकर संसद का रास्ता तय किया और अब संस्कृत में शपथ लेकर उन्होंने पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर लिया है।

उत्तराखंड के धुर विरोधियों को दी पटखनी
कई वर्ष से हरिद्वार की राजनीति में सक्रिय सतपाल ब्रह्मचारी को सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस में बैठे घड़ियालों से भी समय समय पर कड़ी चुनौती मिलती रही, उत्तराखंड की राजनीति के चाणक्य हरीश रावत के कंधे से कंधा मिलाकर साथ रहने वाले सतपाल ब्रह्मचारी को कांग्रेस की गुटबाजी से हर समय भीतरघात मिलती रही, 2012 के चुनाव की बात करें या 2022 की। हरिद्वार से लेकर पूर्व उत्तराखंड की जनता में यह चर्चा रही कि कैसे सतपाल को उन्हीं के समर्थकों ने चुनाव में हरवाने का काम किया था, लेकिन आज संसद पहुंचने के साथ सतपाल ब्रह्मचारी ने अपने एक मूव से सभी को चित कर दिया है। इसे राजनीति में उनके धुर विरोधियों की सबसे बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है।

बुलंदियों की सीढ़ी पर सतपाल ब्रह्मचारी, और बढ़ सकती हैं ताकत

वरिष्ठ पत्रकार ओम गौतम फक्कड़ ने कहा कि राजनीति करियर में हर किसी का एक अपना अंतराल होता है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार के परिदृश्य की बात करें तो यहां मदन कौशिक भाजपा के पांच बार से विधायक हैं और तीन बार कैबिनेट मंत्री रहने के साथ-साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। लेकिन वर्तमान की बात करें तो मदन कौशिक का सत्ता में कोई खास भागीदारी नहीं है और ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने अभी तक मदन कौशिक को कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है। लेकिन दो बार चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को हरियाणा से सांसद का चुनाव लड़वाकर उन्हें उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश का एक बड़ा नेता बना दिया है। अब उनकी आवाज संसद में गूंजती नजर आएगी और वह हरियाणा के साथ-साथ उत्तराखंड के मुद्दों को भी संसद में उठाते हुए दिखाई देंगे। वरिष्ठ पत्रकार ओम गौतम फक्कड़ ने कहां कि अगले दो-तीन महीने में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं और माना जा रहा है कि इस बार हरियाणा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के भरपूर आसार दिखाई दे रहे हैं, यदि ऐसा होता है तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी सतपाल ब्रह्मचारी सिर्फ देश ही नहीं बल्कि हरियाणा की सरकार बनने के बाद महत्वपूर्ण और ताकतवर भूमिका में दिखाई देंगे। इतना ही नहीं वरिष्ठ पत्रकार ने राजनीति में बढ़ते कद से सतपाल ब्रह्मचारी को आने वाले दिनों में उत्तराखंड में भी किसी बड़े पद मिलने की संभावना जताई है।

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