खुद को भारतीय संविधान से भी ऊपर समझ बैठा उत्तराखंड पुलिस का यह कोतवाल, कवरेज के दौरान मीडिया कर्मी से की बदसलूकी, डीजीपी से मिलकर कार्रवाई की मांग

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देहरादून 27 अगस्त 2023। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां सभी को आजादी से जीने का अधिकार है। मीडिया जिसे व्हिसल ब्लोअर के नाम से भी जाना जाता है जो समय-समय पर भ्रष्टाचार से जुड़े बड़े मुद्दों को उठाता है और कई एहम खुलासे देश, प्रदेश और स्थानीय मुद्दों पर करता हुआ नजर आता है। लेकिन अगर लोकतंत्र को मजबूत करने वाले चौथे स्तंभ मीडिया से बदसलूकी होती है तो यह दर्शाता है कि यह भारतीय संविधान का उल्लंघन तो है ही, अथवा एक कानूनी अपराध है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी पत्रकारों की आजादी के लिए पूर्व में कई अहम टिप्पणियां की हैं। लेकिन बागेश्वर पुलिस शायद खुद को कानून संविधान और सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर समझने लगी है। मामला उत्तराखंड के बागेश्वर का है और घटना शुक्रवार की है जब बागेश्वर पहुंचे बॉबी पवार को पुलिस और खुफिया तंत्र अचानक गाड़ी में बैठकर ले जा रहा थे, तभी घटना की कवरेज कर रहे पत्रकार मोहन कैंतुरा ने कोतवाल से यह जानना चाहा की आप इन्हें कहां ले जा रहे है? तो, वह अपना आपा खो बैठे और कोतवाल ने मिडिया कर्मी से बदसलूकी की और अपमानजनक व्यवहार किया। मीडिया कर्मी की आईडी तोड़ दी गई और कमरे पर भी हाथ मारा गया‌। यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक तानाशाही रवैया लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ अपनाया गया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अब उत्तराखंड पुलिस फिर एक बार सवालों के घेरे में आ गई है। इस घटना के बाद प्रदेश के युवाओं में उबाल है और वह कोतवाल पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं सोशल मीडिया पर ऐसे हजारों कमेंट्स मौजूद है जो पुलिस के तानाशाही रवैया के खिलाफ लोगों को गुस्से को दर्शा रहे हैं। इतना ही नहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए देहरादून में पत्रकारों ने इकट्ठा होकर डीजीपी अशोक कुमार को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है। इसी के साथ-साथ अन्य जगहों पर भी पत्रकारों ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद की है। अब देखना यहां होगा कि मित्र पुलिस कहे जाने वाली उत्तराखंड पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती हुई दिखाई देती है, क्योंकि भारतीय संविधान ने पत्रकारों को किसी भी घटना को कवरेज करने का यह अधिकार दिया है। अथवा पुलिस बिना किसी आदेश के मीडिया को कवरेज से नहीं रोक सकती।

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