हरिद्वार 27 अप्रैल 2023। हरिद्वार के रेलवे रोड स्थित सुदर्शन आश्रम अखाड़ा में मंगलवार को ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज का 32 वां गुरु स्मरण महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में दिनांक 23 अप्रैल को आश्रम में रामचरितमानस के अखंड पाठ की शुरुआत हुई। अखंड पाठ का समापन पूरे विधि विधान के साथ भोग एवं आरती के बाद 24 अप्रैल को हुआ। उसके उपरांत आश्रम में शाम को भजन संध्या आयोजित हुई जिसमें अन्य राज्यों से आए हुए भक्तों ने हिस्सा लिया। एवं 25 अप्रैल को आश्रम में प्रातः साधु संतों के नाम प्रवचन हुए।
जगद्गुरु शंकराचार्य अयोध्या चार्य महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि एवं सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि धर्मसत्ता के बिना राजसत्ता अधूरी है।
संत महापुरूष अपनी दिव्य वाणी से धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ राजसत्ता का मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मसत्ता व राजसत्ता के समन्वय से उत्तराखण्ड से पूरी दुनिया में ज्ञान का संदेश प्रसारित हो रहा है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत थे।
महंत रघुवीर दास अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं के अनुरूप सुदर्शन आश्रम की सेवा परंपरांओं को निरन्तर आगे बढ़ा रहे हैं। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री एवं श्रीपंच निर्मोही अनि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे।
जिन्होंने सदैव भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। ऐसे दिव्य महापुरूष को संत समाज नमन करता है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्र कल्याण में संत महापुरूषों का सदैव अहम योगदान रहा है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज ने का पूरा जीवन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा और समाज के मार्गदर्शन के लिए रहा है। महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने सेवा प्रकल्पों की स्थापना कर समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा में अहम योगदान दिया।
महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज और महंत सूरज दास ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
सुदर्शन आश्रम के परमाध्यक्ष महंत रघुवीर दास महाराज ने उपस्थित संतों एवं अतिथीयों का शाॅल ओढ़ाकर स्वागत व आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु शिष्य परंपरा भारत को महान बनाती है और वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज गुरू के रूप में प्राप्त हुए।
पूज्य गुरुदेव से प्राप्त शिक्षाओं एवं उनकी प्रेरणा से उनके द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को निरन्तर आगे बढ़ाया जा रहा है। मंच का संचालन स्वामी हरिहरानंद शास्त्री ने किया। संत महापुरुषों एवं मुख्य अतिथियों के संबोधन के बाद सभी भक्तो एवं संतो को भोजन प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर अयोध्या से गौरी शंकर दास, महामंडलेश्वर रुपेंद्र प्रकाश, बाबा हठयोगी, कोठारी जसविंदर सिंह, ऋषिकेश में महामंडलेश्वर ईश्वरदास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, माता ज्वालादेवी, आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।