देहरादून 6 नवंबर 2022। उत्तराखंड में 2021 मेंं उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वारा आयोजित हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण मामले ने प्रदेश में भूचाल ला दिया। मुख्यमंत्री धामी ने इसकी जांच एसटीएफ को सौंपी तो व्यक्ति अपने लगभग डेढ़ महीने में 42 लोगों की गिरफ्तारी की। तो वहीं अब धीरे-धीरे गिरफ्तार हुए आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिलने का भी सिलसिला जारी है। शनिवार को पेपर लीक मामले में गैंगस्टर एक्ट में बंद तीन और आरोपियों को कोर्ट से पचास पचास हजार के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई। जज चंद्रमणि राय की अदालत ने 50-50 हजार के निजी मुचलके पर आरोपियों की जमानत मंजूर की। इस प्रकरण के अब तक कुल 22 आरोपित को जमानत मिल चुकी है। जबकि, 19 आरोपित अभी जेल में हैं।
तीनों के देश छोड़ने पर पाबंदी
कोर्ट ने फिलहाल तीनों आरोपियों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगाई है। शनिवार को पेपर लीक मामले और गैंगस्टर एक्ट के आरोपित जगदीश गोस्वामी, चंदन मनराल और बलवंत रौतेला को जमानत मिली है। इस प्रकरण में अब तक गैंगस्टर एक्ट के कुल सात आरोपित जमानत ले चुके हैं। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि उनके मुवक्किल जगदीश गोस्वामी को पेपर लीक मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। वह गैंगस्टर एक्ट लगने के कारण जेल में बंद थे। जमानत की पैरवी करते हुए उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को गैंगस्टर एक्ट में गलत और झूठे आरोप के तहत फंसाया गया है। दावा किया कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिसमें यह पाया जाए कि जगदीश गोस्वामी किसी गैंग से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि अभियुक्त जगदीश गोस्वामी शिक्षक हैं। चंदन मनराल और बलवंत रौतेला की पैरवी करते हुए भी अधिवक्ता ने तर्क रखे। जिनको सुनने के बाद तीनों आरोपितों की कोर्ट ने जमानत मंजूर कर दी। फिलहाल अब यह देखना होगा कि आखिर पेपर लीक प्रकरण में आरोपित इतनी आसानी से कोर्ट से जमानत पर छूटते रहेंगे तो इसका क्या संदेश प्रदेश की जनता में जाएगा। क्या सही में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में कोई कठोर निर्णय लेंगे या फिर यह मामला यूं ही ठंडे बस्ते में चला जाएगा।