ब्रेकिंग : संघ के करीबी विनोद आर्य पर जांच प्रभावित करने के लगे गंभीर आरोप, अंकिता के पिता ने की तुरंत हिरासत में लेने की मांग, क्या अंकिता को मिल पाएगा इंसाफ?

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हरिद्वार 27 सितंबर 2022‌। अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के पिता एवं दर्जा धारी मंत्री विनोद आर्य की कस्टडी की मांग तेज हो गई है। रविवार देर शाम श्रीनगर में अंकिता भंडारी का जिला प्रशासन और पुलिस ने परिवार से बातचीत करके अंतिम संस्कार करवाया। तो उसमें भी बवाल खड़ा हो गया कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें अंकिता भंडारी की मां बिना किसी अनुमति के अंतिम संस्कार करने का आरोप सीधे तौर पर लगा रही हैं। लेकिन इन सबसे अलग अब महत्वपूर्ण विषय यह रह जाता है कि क्या अंकिता भंडारी को इंसाफ मिल पाएगा? क्योंकि पुल्कित आर्य का पिता विनोद आर्य पूर्व दर्जा धारी मंत्री रह चुका है और रसूखदार आदमी है। अंकिता भंडारी के पिता का सीधे तौर पर आरोप है कि शुरू से ही वह जांच को पैसे और सत्ता के बल पर प्रभावित करने का काम कर रहा है तो सबसे पहले पुलिस इन को हिरासत में ले उनका यह भी कहना है कि विनोद आर्य शुरुआत से ही अंकिता हत्याकांड के साक्ष्य मिटाने की अहम भूमिका निभा रहा हैं और प्रदेश के अलग-अलग मंत्री और नेताओं को फोन करके मदद मांग रहे हैं।

विनोद की संघ और भाजपा में है गहरी पैठ

पूर्व दर्जा धारी मंत्री विनोद आर्य एक ऐसा नेता है जिसका हरिद्वार एवं उत्तराखंड में कोई जनाधार नहीं है। हालांकि आप उसे भाजपा और संघ के कार्यक्रमों में लगातार देखते रहे होंगे, लेकिन राजनीति में इतने सालों से होने के कारण विनोद आर्य ने जन समर्थन न पाकर धन एकत्रित और बड़े नेताओं से पैसों के बल पर संपर्क साधने का काम किया और बताया यह भी जाता है कि आरएसएस और भाजपा के कार्यक्रमों में विनोद आर्य द्वारा चंदा दिया जाता था

जिसके बल पर उसे राज्य मंत्री और उसके बेटे अंकित आर्य को पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। अनैतिक कार्य करके विनोद आर्य दिन प्रतिदिन राजनीति में आगे बढ़ता रहा और पार्टी में मेहनत करने वाले लोग सिर्फ एक दूसरे की शक्ल देखते रह गए। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि आखिर विनोद आर्या को बिना जनाधार के इतना सब कुछ कैसे मिल गया? साफ तौर पर आरएसएस में उठना बैठना और शाखाओं में जाना विनोद आर्या की इस बेतहाशा तरक्की का एकमात्र कारण है।

अंकिता हत्याकांड में भी विनोद आर्य ने रसूख और संघ में गहरी पैठ के कारण जांच और मामले को प्रभावित करने का भरपूर प्रयास किया है। शायद इसीलिए पटवारी ने अंकिता के पिता से मुकदमा दर्ज करने को लेकर झूठ बोला और अंकिता की लाश छह दिन बाद मिल गई। रिपोर्ट पर बुलडोजर चलना और फैक्ट्री में आग लगना भी जांच प्रभावित करने का एक कारण हो सकता है।

यह है पूरा मामला

सोमवार को जब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अंकिता के गांव पहुंचे तक उनसे बातचीत में अंकिता के पिता ने बताया कि अंकिता 18 सितंबर की रात 8:30 बजे से ही गायब थी और उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था लेकिन रिसोर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उनके अन्य 2 साथी सौरव भास्कर और अंकित गुप्ता ने उन्हें फोन पर इसकी सूचना नहीं दी। अगले दिन यानी 19 सितंबर को शाम 4:00 बजे अंकिता के दोस्त पुष्प का फोन उनके पास आता है जिसमें वह अंकिता के गायब होने की बात परिवार को बताता है और ठीक उसके 1 घंटे बाद रिसोर्ट के मालिक पुलकित आर्य का फोन आता है कि अंकिता को सुबह से ढूंढ रहे हैं और वह मिल नहीं रही है। जबकि यह सूचना मुख्य आरोपी पुलकित आर्या को परिवार को उसी समय देनी चाहिए थी जब अंकिता 18 तारीख की रात को गायब हो गई थी, आनन-फानन में अंकिता के पिता गांव के ही 2 लोगों के साथ शाम लगभग 6:30 बजे गांव से ऋषिकेश के लिए निकलते हैं तो वह सबसे पहले पौड़ी थाने में जाते हैं, जहां पर पुलिस उनको ऋषिकेश कोतवाली में संपर्क करने के लिए कहती है। जिसके बाद में मुनिकीरेती थाने पर आते हैं और उसके बाद वह ऋषिकेश कोतवाली पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वह लक्ष्मण झूला थाने मे जाकर संपर्क करें। रात होते-होते वह जैसे-जैसे लक्ष्मण झूला थाने में पहुंचते हैं तो बाद में उनको पता चलता है कि जहां पर वनंतरा रिजॉर्ट है वह इलाका राजस्व पुलिस में आता है। रात के लगभग 12:00 बजे है राजस्व पटवारी का नंबर लेकर वापस ऋषिकेश आकर ठहर जाते हैं और पटवारी वैभव प्रताप को जब फोन करते हैं तो वह पूरी जानकारी देता है कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है जबकि अगले दिन अंकिता के पिता सुबह पटवारी से जब मिलने पहुंचते हैं तो पता चलता है कि बंद कमरे में पुलकित आर्य, पिता विनोद आर्या और उनके करीबी पटवारी विनोद कुमार से लगभग 3 घंटे तक बातचीत करते रहे और पीड़ित अंकिता के पिता बाहर खड़े पटवारी से मिलने का इंतजार करते रहे पटवारी द्वारा यह बताया जाता है कि वैभव प्रताप छुट्टी लेकर जा चुके हैं और अब मैं यहां का चार्ज संभाल रहा हूं।

सबसे बड़ा सवाल तो यह खड़ा होता है कि आखिर इतने गंभीर मामले में पटवारी वैभव प्रताप को छुट्टी किसने दी और उनकी जगह नियुक्ति के आदेश किसने जारी की है और अंकिता हत्याकांड में पटवारी व्यवस्था मुख्य भूमिका में है क्योंकि उसने अंकिता विपदा को मुकदमा दर्ज होने की बात कही और समय बर्बाद कर आने में विनोद आर्य का साथ दिया। इसके बाद जब अंकिता के पिता पटवारी को पुलकित, अंकित और सौरभ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहते हैं तो पटवारी विनोद कुमार साफ मना कर देता है क्योंकि पुल्कित आर्य रिसोर्ट पर चलकर सीसीटीवी चेक करने की बात कहता है तो जब सब सीसीटीवी चेक करने के लिए रिसोर्ट पर पहुंचते हैं तो वहां पर अंकिता के पिता देखते है कि सारे सीसीटीवी की तार काटी जा चुकी है और पुलकित 3 महीने से सीसीटीवी खराब होने की बात कहकर मामले को शांत करने का प्रयास करता है। इसके बाद अंकिता के पिता ही पटवारी को रिसोर्ट में काम करने वाले पूर्व कर्मचारी द्वारा बनाई गई वीडियो सुनाते हैं तो पुलकित आर्य और विनोद आर्य समेत सभी लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं क्योंकि वीडियो में उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। वीडियो देखने के बाद पटवारी थाने जाकर आगे की कार्रवाई की बात कहता है तो अंकिता के पिता मामला समझ जाते हैं कि इन दोनों की मिलीभगत से कुछ ना कुछ गड़बड़ी है। इसके पश्चात 21 सितंबर को अंकिता के पिता विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को फोन करते हैं जिसके बाद ऋतु खंडूरी तुरंत पौड़ी डीएम को फोन करके कार्रवाई करने के निर्देश देती हैं और अंकिता के पिता साथ ही देहरादून जाकर महिला आयोग एवं डीजीपी अशोक कुमार से मामले में संज्ञान लेने की बात करते हैं, तो डीजीपी अशोक कुमार द्वारा पौड़ी पुलिस को मामले में तुरंत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की बात कही जाती हैं जिसके बाद पुलिस मामले को अपने हाथ में लेती है और उसी दिन एक आरोपी की गिरफ्तारी होती है। अगले दिन यानी 22 सितंबर को मुख्य आरोपी पुलकित और उसके साथी की गिरफ्तारी भी पुलिस कर लेती है। मामले में 3 दिन बीत जाने के बाद भी अंकिता का जब कुछ नहीं पता चलता तो मुख्य आरोपियों द्वारा पुलिस को बताया जाता है कि उन्होंने अंकिता को चीला बैराज के पास नहर में फेंक दिया था। जिसके बाद पुलिस सर्च ऑपरेशन चलाती है लेकिन नहर में शव बरामद नहीं होता और अगले दिन यानी 24 तारीख को नहर का जल रुकवा कर जब तलाशी अभियान शुरू किया जाता है तो चीला बैराज के पास ही अंकिता का शव बरामद हो जाता है। आपको बता दें अंकिता की प्रोफेशनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया है और शरीर पर थोड़े चोट के निशान भी मिले हैं। हालांकि अभी अंकिता की पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना बाकी है।

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सुस्त कारवाई पर उठे सवाल

सूत्रों के मुताबिक विनोद आर्य 19 और 20 तारीख को पौड़ी जिले में ही रहकर गिरफ्तारी रोकने और मुकदमा दर्ज न करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाता रहा। लेकिन वहीं दूसरी ओर 23 सितंबर को रिसोर्ट पर हुए बुलडोजर कार्रवाई पर भी सवाल खड़े हुए क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा रिसोर्ट तड़ने की अनुमति नहीं दी गई थी, तो आखिर बुलडोजर रिसोर्ट पर कौन लाया और किस ने इस कार्रवाई के आदेश दिए थे? वही अगले दिन यानी 24 सितंबर को रिसोर्ट के पीछे स्थित फैक्ट्री में भयंकर आग भी लग जाती है जिस पर अंकिता के पिता द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि साक्ष्य को मिटाने के लिए वे आग लगाई गई थी मामला गंभीर है क्योंकि रिसोर्ट के बाहर पुलिस बल तैनात था तो फिर आग फैक्ट्री में कैसे लगी? हरि टीवी पर यह मानना है कि पहले दिन से ही मामले को गंभीरता से लेते हुए रिसोर्ट को यथास्थिति में रखने के साथ ही सील करके सीबीआई से इसकी जांच करानी चाहिए थी। सबसे पहले रिसोर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर को कब्जे में लेकर रिसोर्ट में पिछले 1 महीने से आ रहे वीआईपी गेस्ट की जांच होनी चाहिए। साथ ही पुलकित आर्य, सोरव भास्कर एवं अंकित गुप्ता का फोन एवं सिम जब्त करके पिछले एक-दो महीने की कॉल हिस्ट्र निकलवानी चाहिए। जिससे किसी भी साक्ष्य के साथ कोई छेड़खानी ना हो और ऐसे गंभीर मामले में अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सके।

स्पेशल सर्विस की थी डिमांड

वनंतरा रिसोर्ट सुनसान जगह में होने के कारण अय्याशी का अड्डा बन चुका था। विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य पर रिसोर्ट में काम करने वाले पूर्व कर्मचारियों ने यह आरोप लगाया है कि वहां शराब के नशे में पार्टियां होती थी और बाहर से लड़कियां बुलाई जाती थी। तो वही अंकिता मामले में भी यह बात सामने आ रही है कि सोमवार को भी रिसोर्ट में कोई स्पेशल गेस्ट आने वाला था, जिसके लिए स्पेशल सर्विस के तहत अंकिता पर दवाब बनाया जा रहा था। जिसको लेकर पुलकित और अंकिता में बहसबाजी भी हुई थी। जिसके बाद से ही अंकिता गायब थी। सबसे बड़ी बात है कि आखिर इस अय्याशी के अड्डे का किसी को भी इतने दिनों तक पता क्यों नहीं चला या फिर पटवारी के पास हफ्ता पहुंचता था बताया तो यह भी जा रहा है कि पटवारी वैभव प्रताप का भी एक कमरा रिसोर्ट में ही बुक रहता था और वह जब मर्जी रिसोर्ट में आकर ठहर सकता था।

परिवार की सीएम धामी से मांग

परिवार ने मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखकर

एक करोड़ का मुआवजा

बेटे को सरकारी नौकरी

दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत जल्द से जल्द फांसी की सजा

गांव के मुख्य मार्ग से घर तक आ रही रोड का विस्तार करके रोड का नाम अंकिता के नाम पर रखे जाना

रिसोर्ट और फैक्ट्री को जांच के बाद पूरी तरह से तोड़कर महिला विद्यालय खोलकर अंकिता के नाम पर रखना

सीएम धामी द्वारा अब तक क्या हुई कार्रवाई

सीएम धामी ने अब तक मामले में कार्रवाई करते हुए एसआईटी जांच के आदेश दे दिए हैं और परिवार को आश्वासन दिलाते हुए मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत कार्रवाई करते हुए दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा सीएम धामी ने उत्तराखंड में तमाम रिजॉर्ट्स की जांच के आदेश सभी जिलाधिकारियों को दे दिए है। साथ ही पटवारी को भी सस्पेंड कर दिया गया है।

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