हरिद्वार 27 सितंबर 2022। अंकिता हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य पहले से ही विवादित रहा है, ऋषि कुल आयुर्वेदिक कॉलेज में रसूख और पैसे के बलबूते हुए दाखिले पर हुआ विवाद तो आपको याद ही होगा। 7 अगस्त 2016 को देहरादून में हुए यूएपीएमटी की परीक्षा में पकड़े गए मुन्ना भाई द्वारा ऋषिकुल आयुर्वेदिक परिसर में भी 2013 और 2014 बैच में छात्रों को फर्जी तरीके से दाखिला दिलवाने का मामला सामने आया था। जिस पर 8 अगस्त को विश्वविद्यालय द्वारा संबंधित सभी संस्थाओं की जांच कराने के आदेश दिए गए थे 13 अगस्त को ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में आईबी और एलआईयू की टीम के साथ 4 प्रोफेसरों की टीम भी गठित की गई थी। जिन्होंने 31 छात्रों को संदिग्ध माना था। जांच में छात्रों द्वारा एडमिशन फॉर्म पर लगाई गई फोटो और इंटरमीडिएट और कक्षा दसवीं की फोटो अलग पाई गई थी और साथ हस्ताक्षर के साथ दस्तावेजों में भी गड़बड़ी पाई गई थी। इसी में एक नाम पूर्व दर्जा धारी मंत्री और संघ के करीबी नेता विनोद आर्य का पुत्र पुलकित आर्य का भी था। पुलकित के हाई स्कूल, इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्रों से लेकर बीएमएस प्रवेश परीक्षा में मुन्ना भाई का शामिल होना सामने आया था। मामले में खुलासे के बाद पूर्व निदेशक प्रोफेसर ए एन पांडे द्वारा कोतवाली में पुलकित आर्य समेत 31 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए परिसर से निष्कासित कर दिया गया था और इसकी जानकारी जिला प्रशासन और एसएसपी को भी दी गई थी।
आरोप यह भी थे कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर एएन पांडे को मौखिक तौर पर पुलकित और उसके साथी दीदार सिंह को प्रवेश करने के आदेश दिए गए। लेकिन ए एन पांडे ने प्रवेश नहीं दिया और उसका नतीजा यह हुआ कि 28 मार्च 2017 को कुलपति ने ऋषि कुल आयुर्वेदिक परिसर के निदेशक को हटा दिया और 29 मार्च 2017 को कुलपति द्वारा परिसर के नए निदेशक की नियुक्ति की गई जिनका नाम सुनील जोशी था। यह नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर की गई क्योंकि आरोप था कि सुनील जोशी 10 वीं रैंक के प्रोफेसर थे और वह उस समय काफी जूनियर थे। नए कुलपति की नियुक्ति पर इसलिए भी विवाद हुआ था क्योंकि डॉ मृत्युंजय मिश्रा जो कि पूर्व रजिस्ट्रार रहे उनका यह आरोप था कि कार्यवाहक कुलपति को किसी भी विभाग का डीन, विभागाध्यक्ष, निदेशक बदलने का कोई भी अधिकार नहीं है।
पूर्व रजिस्ट्रार मिश्रा ने वीसी सौदान सिंह पर खुलकर आरोप लगाए थे कि बिना पैसे के लिए यह काम हो ही नहीं सकता। यह प्रकरण उस समय अमर उजाला में भी काफी प्रकाशित हुआ था और इसका खुलासा भी दैनिक अमर उजाला द्वारा किया गया था। उस समय भी बैक डोर भर्ती का यह मामला काफी चर्चित रहा था। इतना ही नहीं 1 अप्रैल द्वारा निदेशक सुनील जोशी ने दोनों छात्रों का दाखिला ऋषि कुल आयुर्वेदिक परिसर में कर दिया, जिस पर काफी बवाल भी खड़ा हुआ था और उस समय तत्कालीन रजिस्ट्रार मृत्युंजय मिश्रा ने यह भी बताया था कि पुलकित के पिता यानी भाजपा के नेता और पूर्व दर्जा धारी मंत्री विनोद आर्य पूर्व वीसी के साथ उनके आवास पर मुलाकात करने आए थे और उन्होंने पुलकित आर्य को यूनिवर्सिटी में दोबारा दाखिला दिलाने के लिए 2 करोड़ रुपए और एक लग्जरी गाड़ी देने का लालच भी दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने राजनीतिक शक्ति का एहसास दिलाने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री राजनाथ सिंह और आर एस एस के कई दिग्गजों के साथ अपनी फोटो भी व्हाट्सएप पर भेजे थे।
इस पर विनोद आर्या ने जवाब देते हुए कहा था कि मैंने कभी भी कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा से बात नहीं की और ना ही कोई रुपए का ऑफर दिया है यह हमें बदनाम करने की साजिश है। लेकिन जिस तरह से एकाएक नियमों को ताक पर रखकर और निदेशक एएन पांडे को हटाकर एक जूनियर रैंक के प्रोफेसर को निदेशक बनाकर दोनों मुन्ना भाई प्रकरण से सामने आए छात्रों का दाखिला ऋषि कुल आयुर्वेदिक परिसर में हुआ, यह अपने आप में गंभीर सवाल खड़े करता है कि किस तरह से पुलकित आर्य को हमेशा उसके पिता विनोद आर्या का समर्थन रहा है। यह कोई नई बात नहीं है कि पुलकित आर्य ने गलती से अंकिता को नहर में फेंक दिया यह सब बातें दिखाती हैं कि पुलकित पहले से ही क्रिमिनल माइंड का व्यक्ति है और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड पुलिस को करनी चाहिए। साथ ही गलत कामों में संरक्षण देने के मामले में पूर्व दर्जा धारी मंत्री एवं आरएसएस के करीबी विनोद आर्य को भी सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए, क्यों कि बिना पिता के राजनैतिक संरक्षण के पुत्र की इतनी हिम्मत नहीं कि वह एक फैक्ट्री के नाम पर रिसोर्ट बना कर खड़ा कर दें और फिर अय्याशी का अड्डा बना कर किसी बेगुनाह की जान ले ले।