ब्रेकिंग : पुस्तकालय घोटाले में मदन कौशिक की बड़ी मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस

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हरिद्वार 19 सितंबर 2022। हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक मदन कौशिक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सच्चिदानंद डबराल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक मदन कौशिक को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

क्या है पुस्तकालय घोटाला?

आपको बता दें कि सच्चिदानंद डबराल ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी जिस पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले में जुड़े अधिकारियों और विधायक मदन कौशिक से जवाब देने को कहा है याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि वर्ष 2010 में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए 16 पुस्तकालयों के लिए आवंटित किए गए थे लेकिन हरिद्वार में तब से अब तक ऐसा एक भी पुस्तकालय का संचालन नहीं हुआ है और कागजों में पुस्तकालय बनकर तैयार भी हो गए और उनकी पेमेंट भी बनाने वाले ठेकेदारों को कर दी गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि अभी तक पुस्तकालयों का संचालन नहीं हुआ है। जबकि, सरकार की तरफ से कहा गया था कि पुस्तकालयों का संचालन 2019 में हो गया था।

हाईकोर्ट ने याचिका कर दी थी निरस्त 

उत्तराखंड हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने हाल ही में लाइब्रेरी घोटाले में दाखिल याचिका को निरस्त कर दिया था क्योंकि उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र देकर कहा था कि सभी पुस्तकालय का निर्माण हो गया है और उसका संचालन नगर निगम कर रहा है। इसी कारण से हाईकोर्ट ने सरकार के शपथ पत्र पर कहा था कि जब सरकार स्वीकार कर रही है तो याचिका कोई औचित्य नहीं रह जाता है लेकिन हम मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और इसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

नगर निगम के ऊपर भी खड़े हुए सवाल

अब हरिद्वार नगर निगम पर भी यह सवाल खड़ा हो रहा है, कि जब हाई कोर्ट में सरकार ने शपथ पत्र देकर कहा कि नगर निगम पुस्तकालयों का संचालन कर रहा है तो क्या नगर निगम ने अपनी तरफ से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कोई पत्र दाखिल किया कि हरिद्वार में किसी भी पुस्तकालय का संचालन हमारे द्वारा नहीं किया जा रहा है, ना ही इसका कोई निर्माण हुआ है। या सिर्फ सड़क पर घूम कर पुस्तकालय ढूंढने से ही हाईकोर्ट को पता चल जाएगा। अब देखना यह होगा कि नगर निगम इस पूरे मामले में क्या एक्शन लेता है क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो अब नगर निगम से भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जवाब मांग सकता है हैं।

 

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