शक्ति और बुद्धि प्रदान करते हैं भगवान श्री गणेश – श्रीमहंत रविन्द्र पुरी

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हरिद्वार 31 अगस्त। गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने श्रवणनाथ मठ स्थित ज्ञान मंदिर में भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की। श्री गणपति यात्रा संघ श्रवणनाथ मठ ज्ञान मंदिर द्वारा आयोजित 34वें गणेशोत्सव के शुभारंभ अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविद्रपुरी महाराज ने कहा कि प्रभु श्री गणेश के नाम उच्चारण मात्र से ही व्यक्ति को यश कीर्ति पराक्रम और वैभव का आशीष प्राप्त होता है। प्रभु श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं।

जो अपने भक्तों के सभी कष्टों का हरण कर उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। भगवान गणेश की शरण में आने वाले प्रत्येक भक्तों का कल्याण अवश्य ही निश्चित है। बल बुद्धि के देवता और समस्त ईश्वरों में सर्वप्रथम पूजा प्रभु श्री गणेश का आगमन प्रत्येक वर्ष हम गणेश चतुर्थी के रूप में इस धरा धाम पर हर साल मनाते हैं। गणपति अध्यात्मिक शक्ति और सर्वोच्च बुद्धि प्रदान करते है।ं इसलिए उन्हें रिद्धि सिद्धि के दाता कहा जाता है। हम सभी को प्रभु श्री गणेश की आराधना श्रद्धा पूर्वक करनी चाहिए। उन्होंने सभी से मूर्ति विसर्जन के संबंध में प्रशासन द्वारा जारी आदेशों का पालन करने की अपील भी की। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि प्रभु श्री गणेश की कृपा जिस पर भी हो जाए। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। प्रभु श्री गणेश अपने भक्तों का संरक्षण कर बल बुद्धि और सौभाग्य प्रदान करते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति की बड़ी से बड़ी दुश्वारियां समाप्त होती है और व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है। श्रवण नाथ मठ के संचालक स्वामी रघुवन महाराज ने कहा कि प्रभु श्री गणेश की आराधना से व्यक्ति को माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। वह शरीर में पवित्रता और मन में निर्भयता का संचार करते हैं। इतना विशाल रूप होने के बाद भी उनका वाहन एक छोटा मूषक है। जो अज्ञान के अंधकार को दूर करने का प्रतीक है।

हिंदू संस्कृति और पूजा पद्धति में भगवान श्री गणेश को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है और प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है। भगवान गणेश अत्यंत ही सौम्य और पराक्रमी हैं। जिनकी आराधना व्यक्ति को अमोघ फल प्रदान करती है। इस अवसर पर प्रसाद के रूप में सभी भक्तजनों को मोदक का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत रामरतन गिरी, स्वामी रविवन, स्वामी मधुरवन, दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगंबर राजगिरी, हेमंत टुटेजा, प्रतीक आदि उपस्थित थे।

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