ऋषिकेश। उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के क्या हालात हैं इससे आप अच्छे से परिचित होंगे। लेकिन यहां के नेताओं द्वारा जो स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारने के दावे किए जाते हैं उसकी एक घटना ने फिर पोल खोल के रख दी है। ताजा मामला ऋषिकेश एम्स से जुड़ा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में बीते सोमवार को गंभीर अवस्था में लाए गए एक 12 दिन के शिशु को भर्ती करने के लिए बच्चे के आइसीयू में बेड नहीं मिला। शिशु के पिता उसे हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट ले गए। बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। शिशु के पिता ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल कर इस घटना के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराया है और इंसाफ की मांग की है। एम्स के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक बच्चे को आक्सीजन और प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी। बेड उपलब्ध ना होने के कारण उसे कहीं ओर जाने के लिए कहा गया था।
गंभीर अवस्था में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश लाए गए एक 12 दिन के शिशु को भर्ती करने के लिए बच्चों के आइसीयू में बेड नहीं मिला। जिसके बाद पिता मजबूरी में शिशु को लेकर हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के लिए रवाना हुए। रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह गुसाईं मूल रूप से श्रीनगर गढ़वाल के रहने वाले हैं। बीते सोमवार की शाम को वह अपने 12 दिन के शिशु को गंभीर अवस्था में एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) की बाल रोग विभाग की इमरजेंसी में लेकर आए थे। भूपेंद्र सिंह गुसाई के मुताबिक उन्हें यहां पर काफी इंतजार करवाया गया। अब देखना यह होगा कि इस अव्यवस्था पर शासन और नेता क्या एक्शन लेते हैं, क्योंकि जिसके उपर बीती से असली दर्द और पीड़ा तो वही जानता है।