प्राचीन गौरीशंकर मंदिर में धूमधाम से मनाया गया वार्षिकोत्सव

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हरिद्वार 28 जनवरी 2024। हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे स्थित प्राचीन गौरीशंकर मंदिर तथा नीलेश्वर महादेव मंदिर में साकेतवासी दामोदरदास महाराज की 18वीं पुण्यतिथि एवं वार्षिकोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर नीलेश्वर महादेव मंदिर तथा गौरीशंकर मंदिर के श्री महंत हरिदास महाराज ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री दामोदर दास महाराज ज्ञान एवं त्याग की एक अखंड मूर्ति थे।

ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे उन्होंने संपूर्ण विश्व में ऐसी ज्ञान की गंगा बहाई जो उनके ज्ञान के रूप में भक्तों को दिए गए संस्कार के रूप में निरंतर बह रही है। वे एक ऐसे ही परम त्यागी तपस्वी ज्ञान मूर्ति संत थे।

साकेतवासी महामंडलेश्वर प्रेम दास महाराज को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी तपस्या के माध्यम से भक्तों को उंगली पड़कर कल्याण का मार्ग दिखाया। भगवान राम की भक्ति करने के लिए उनका मार्गदर्शन कर उन्हें कल्याण की ओर ले गए। उन्होंने बताया कि अगर भगवान की भक्ति करनी है तो शबरी की तरह करो कि, भगवान राम को भी एक दिन तुम्हारे पास आना पड़े। उन्होंने कहा संपूर्ण विश्व में परम पूज्य गुरुदेव ने ऐसी ज्ञान की अलख- जगाई ऐसी ज्ञान की गंगा बहाई जो भक्तों के मस्तिष्क पटल पर गुरुदेव द्वारा दी गई शिक्षा संस्कार और सिखाई गई भक्ति के रूप में निरंतर आज भी आश्रम में बह रही है। गुरुदेव आज भी सूक्ष्म रूप से हम लोगों के बीच अपने दिए गए ज्ञान के रूप में विद्यमान है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत विष्णु दास महाराज ने कहा श्री गौरी शंकर महादेव मंदिर और नीलेश्वर महादेव मंदिर सतयुग काल का प्राचीन मंदिर है यहां भगवान भोलेनाथ की कृपा बरसती है। संत महापुरुषों का सानिध्य बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता है‌। गुरु की सेवा और ईश्वर की भक्ति बड़े ही भाग्यशाली लोगों को प्राप्त होती है जो भक्त अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलता है, वह सदैव अपने कल्याण की ओर बढ़ता है। इस अवसर पर महंत नारायण दास पटवारी, महंत प्रहलाद दास महाराज, महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज, महंत निर्भय सिंह, स्वामी गगन देवगिरी, स्वामी गुरमीत सिंह, महंत कमलेशानंद सरस्वती, स्वामी कृष्ण देव महाराज, दुर्गा दास महाराज, धर्मदास महाराज, रामदास महाराज, श्रवण दास महाराज, श्याम गिरी महाराज, गगन देवगिरी महाराज, देहरादून बाबा रमेशानंद, वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण महाराज सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।

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