हरिद्वार। उत्तराखंड विधानसभा 2016 और 2021 में हुई बैकडोर भर्तियों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और यह प्रदेश के साथ अब राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा भी बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी से इस मामले में जांच करने और अनियमितता पाए जाने पर दोषियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी देश से बाहर बताई जा रही थी और अब वह वापस देहरादून लौट गई हैं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक 2016 में कांग्रेस की सरकार में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और 2021 में भाजपा की सरकार में स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के द्वारा की गई विधानसभा में बैक डोर भर्तियां जल्द ही निरस्त हो सकती है। नेशनल मीडिया में खबर चलने के बाद और राहुल गांधी के ट्वीट के बाद बैक डोर भर्तियों पर भाजपा आलाकमान ने संज्ञान लिया और इस पर राष्ट्रीय आलाकमान काफी नाराज भी है। आलाकमान ने प्रदेश संगठन को अपनी मंशा भी बता चुका है। तो वहीं दूसरी ओर सीएम धामी के बयानों से ऐसा लग रहा है कि सरकार भर्तियों को निरस्त करने का मन बना चुकी है, और इसमें कानूनी राय भी ली जा रही है। आपको बता दें कि कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकार में विधानसभा में मुख्यमंत्री, मंत्रियों ने अपने करीबी और रिश्तेदारों को यह बड़ों की तरह नौकरियां दिलवाई थी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2016 में कांग्रेस की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली भाजपा सरकार जब 2017 में सत्ता में आई तो आखिर उसने क्यों नहीं 2016 में कांग्रेस द्वारा की गई विधानसभा नियुक्तियों का खुलासा किया? निरस्त करना तो दूर भाजपा ने भी कांग्रेस के ट्रैक पर चलते हुए अपने कार्यकाल में चुनाव से पहले 73 भर्तियां कर दी इससे प्रदेश के युवाओं में काफी उबाल है और जगह-जगह धरने प्रदर्शन भी हो रहे हैं। बरहाल विधानसभा अध्यक्ष देहरादून में और आज(शनिवार) को लगभग 3:15 बजे पत्रकारों से प्रेस वार्ता भी करेंगी जिसमें माना जा रहा है कि वह भर्ती निरस्त करने को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं।