कोटद्वार। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का एलान किया तो वहीं पूरे देश में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। 17 अगस्त यानी बुधवार को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जहां कोटद्वार में अग्निवीर भर्ती योजना का शुभारंभ किया तो वहीं अब यह भर्ती विवादों में घिरती नजर आ रही है। अग्निवीर भर्ती में भाग लेने आए युवकों ने मीडिया से बातचीत में सीधे तौर पर आरोप है कि यहां पर हमारे साथ अन्याय हो रहा है, उनका कहना है कि यहां पर कोई भी नियम और कायदा कानून लागू नहीं है। लंबाई भी यहां पर अपने मन मुताबिक बढ़ा दी गई और दौड़ का समय भी लगभग 30 सैकेंड कम कर दिया गया इतना ही नहीं एक साथ लगभग साडे 350 400 युवकों को भगाया जा रहा है और उसमें से सिर्फ 7-8 बच्चे लिए जा रहे हैैं, पहले भर्ती में लगभग 30-40 अभ्यर्थी चयनित किए जाते थे। भर्ती में भाग लेने आए युवक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं और किसी किसी को तो यहां तक कहते सुना गया है कि अग्निवीर भर्ती योजना को रद्द किया जाना चाहिए। तो वहीं दूसरी और एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जहां कोटद्वार के एसडीएम कांग्रेस के युवा नेता नितिन बिष्ट के साथ बदतमीजी करते हुए दिख रहे हैं।
मामला इस बात को लेकर बढ़ गया कि अग्निवीर भर्ती में भाग लेने आए युवक तहसील में अपना सर्टिफिकेट बनवाने गए थे क्योंकि उनसे अग्निपथ योजना के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल ना होने का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा था। इसको लेकर तहसील में युवाओं की काफी भीड़ थी और रात हो चुकी थी तो मौके पर मौजूद कांग्रेस के युवा नेता नितिन बिष्ट ने एसडीएम से उनके खाने-पीने की व्यवस्था की बात की तो एसडीएम भड़क गए और उनको गाली गलौज के साथ धक्का देते हुए बदतमीजी की गई। वहीं एसडीएम ने कांग्रेस के युवा नेता पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का मुकदमा भी रात को ही दर्ज करवा दिया था। अब कांग्रेस इस मामले में आक्रोशित है और तमाम सोशल मीडिया पर कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता इस वीडियो को लेकर एसडीएम पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, साथ ही उनका यह कहना है कि अगर जल्द ही मुख्यमंत्री धाम इस पर संज्ञान नहीं लेते तो कांग्रेस प्रदेश में उग्र प्रदर्शन करेगी।
कांग्रेस युवा नेता नितिन बिष्ट ने फेसबुक पर लिखा यह पोस्ट :-
कल दिनांक 20-08-2022 को पौड़ी जिले के कोटद्वार में हो रही अग्निवीरों की भर्ती में जाने वाले छात्रों के चरित्र प्रमाण पत्र तहसील में बनाए जा रहे थे जिसमे प्रशासन ने छात्रों को देर रात तक तहसील में रोके रखा जिसपर हमारे द्वारा शासन से दूरस्त गाँव से आए छात्रों की रहने खाने की व्यवस्था की बात कही गई। हमारे द्वारा पूछे जाने पर कहा गया कि छात्रों के प्रपत्र प्राप्त नही हुए जिसके बाद sdm पौड़ी द्वारा आकर बिना जांच पूछ कर हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया गया तथा पुलिस प्रशासन द्वारा हम पर FIR कर दबाव बनाने की कोशश की गई तथा साक्ष्य मिटाने के लिए भी दबाव बनाया गया।प्रशासन की गलतियों पर पर्दा डालने के लिए किसी अधिकारी द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाना कहां तक सही है। जिन छात्रों की जान पहचान थी उनके प्रमाण पत्र 1 दिन में दिए गए और जिनका कोई नही था उन्हें देर रात बिठाए रखा।आम छात्रों की आवाज उठाने के लिए यदि प्रशासन द्वारा हमारे साथ कुछ भी गलत किया जाता है तो इसका संज्ञान कौन लेगा??