ब्रेकिंग : हरिद्वार में किन्नर अखाड़े के आश्रम का हुआ उद्घाटन, निकली शोभायात्रा, जमकर नाचे किन्नर अखाड़े के महंत

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हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में किन्नर समाज के प्रथम आश्रम का उद्घाटन सत्यम विहार भूपतवाला में हुआ। आश्रम का उद्घाटन होने से पूर्व आश्रम से शोभायात्रा निकाली गई जिसमें देश के अन्य राज्यों से आए हुए सैकड़ों के साथ में किन्नरों में नाच गाकर खुशियां मनाई।

और किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर उर्मिला नंद गिरि ने कहा कि देश-विदेश से आने वाले किन्नर समाज के लोगों को इस आश्रम में ठहरने का अवसर प्राप्त होगा।आश्रम के उद्घाटन समारोह में किन्नर समाज की ओर से शोभायात्रा निकाली गई। इसके उपरांत हवन पूजन के साथ किन्नर समाज की देवी माता भौचरा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आश्रम में स्थापित की गई।

 

इस मौके पर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर निर्मला गिरी ने कहा कि हरिद्वार में किन्नर समाज का आश्रम बनना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। देश विदेश से जो किन्नर हरिद्वार आते हैं। ऐसे लोग अब आश्रम में रुक कर उसका आनंद ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार एक धर्म नगरी है, जिसमें सभी अखाड़ों के आश्रम है। लेकिन अभी की बात करें तो अभी तक किन्नर समाज का कोई भी आश्रम यहां नहीं था।

किन्नर समाज की महामंडलेश्वर निर्मलगिरी के अथक प्रयास से इस आश्रम का उद्घाटन किया गया। हरिद्वार के संत समाज का स्वागत व आभार व्यक्त किया। आश्रम में शाम को एक भजन संध्या का भी आयोजन हुआ जिसमें हरियाणा के प्रसिद्ध गायक विष्णु दत्त शर्मा द्वारा प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर सुनील तवर ने कहा कि हरिद्वार में किन्नर अखाड़ा का आश्रम खोलना अपने आप में एक अद्भुत क्षण है क्योंकि धर्म नगरी में करोड़ों श्रद्धालु देश विदेश से आते हैं और गंगा में स्नान करके अपने आप को सौभाग्यशाली समझते हैं।

अब हमारा भी यहां आश्रम का उद्घाटन हो चुका है जो भी किन्नर समाज के व्यक्ति यहां आकर रुकेंगे उनके लिए यह बड़ी सौभाग्य की बात होगी। महामंडलेश्वर उर्मिला नंद गिरी की शिष्य लिल्ली महंत ने कहा कि हरिद्वार के इस भव्य आयोजन में हरियाणा के रोहतक से एवं तमाम अन्य जगहों से गुरु जी की शिष्य आए हैं और हम सब बहुत ही ज्यादा खुश है क्योंकि गुरु जी के कारण आज ऐसा संभव हो पाया है कि हम धर्मनगरी हरिद्वार में अपने आप को स्थापित करने में सफल हुए हैं।

इस अवसर पर सुनील तवर, महंत लिल्ली, पूजा किन्नर, आदि भक्तगण उपस्थित थे।

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