गुरु की कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी हो जाते हैं आसान – स्वामी राजेंद्रानंद

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हरिद्वार। दिनांक 4/06/2022 को हरिद्वार के भीमगोड़ा स्थित विश्नोई आश्रम में गुरु स्मृति समारोह बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया। जिसमें अनेक आश्रम एवं अखाडों के महन्त, श्री महन्त एवं महामंडलेश्वरों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर आए हुए सभी संत महापुरुषों का और भारी संख्या में आए हुए श्रद्धालु भक्तों का धन्यवाद करते हुए विश्नोई आश्रम के परमाअध्यक्ष सरल स्वभाव के महंत स्वामी राजेंद्रानंद ने कहा कि गुरु की कृपा से कठिन से कठिन कार्य बड़ी आसानी से हो जाते हैं।

भारतीय सनातन संस्कृति में और संस्कृत के साथ-साथ वेद पुराणों में युगों-युगों से गुरु की महिमा का वर्णन किया गया है। ज्ञात रहे प्राचीन समय में श्री विश्नोई आश्रम भीमगोड़ा के संरक्षक ब्रह्मलीन स्वामी प्रेमानंद जी महाराज बंसी वाले बड़े ही त्यागी एवं तपस्वी संत थे। वे बंसी वाले के नाम से बहुत प्रसिद्ध थे और नियमों के पक्के पालन करने वाले थे। वे कहते थे कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में जीने के लिए ईमानदारी से समाज और देश हित के लिए नियमों का पालन करना चाहिए। तभी हम भाईचारे और परोपकार की भावना से जीव हिंसा के खिलाफ उचित रूप से कार्य कर सकते हैं। वे बिश्नोई समाज पर बड़ा ही गर्व करते थे। क्योंकि इस विश्नोई समाज ने सदैव ही जीवों पर दया करने के साथ-साथ ही पेड़ पौधों की रक्षा के लिए विशनोई समाज के सैकड़ों नागरिकों ने प्राचीन समय में एक पेड़ की रक्षा के लिए राजस्थान में बड़ा त्याग और बलिदान दिया है। विश्नोई आश्रम के वर्तमान महन्त स्वामी राजेंद्रानंद महाराज ने कहा कि वह स्वयं हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में अपनी वाणी से गांव गांव जाकर हमारे प्राचीन ऋषि स्वामी जंभेश्वर जी महाराज ने जो जब 29 नियम बनाए हैं, उनके प्रचार प्रसार के लिए समाज हित में समाज के कल्याण के लिए दिन-रात कार्य कर रहा हैै।

इसके अतिरिक्त अपने समाज में गोवंश संरक्षण और परंपरा का पालन के साथ-साथ गौशालायें स्थापित करने का अभियान भी जारी रखा है। महंत स्वामी राजेंद्रानंद महाराज ने विश्वास व्यक्त किया है कि उनका समाज आज भी अधिकांश बनाए हुए समाज के नियमों पर पालन पालन पोषण करते-करते आगे बढ़ रहा है। इस बात की उन्हें खुशी है। इस अवसर पर महंत मोहन सिंह, महंत रघुवीर दास, स्वामी योगेंद्रानंद शास्त्री, कमलेशानंद सरस्वती महाराज, महंत सूरज दास आदि संत मौजूद थे।

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