हरिद्वार। उत्तराखंड की स्थापना हुए लगभग 20 वर्ष से ज्यादा हो गए हैं लेकिन उत्तराखंड में अभी तक यहां के युवा बेरोजगारी से परेशान हैं हाल ही में सामने आए सहकारी विभाग भर्ती घोटाले ने तो दोबारा सत्ता में आई भाजपा सरकार की किरकिरी कर दी है। सीएम धामी को भी कमान संभाले हुए एक महीना भी नहीं हुआ है कि वही यह घोटाला सामने आने से उत्तराखंड सरकार पर लोग जमकर सवाल खड़े कर रहे हैं।
पूर्व में तो वर्तमान में कैबिनेट मंत्री ने तो अपने बेटे को ही सरकारी नौकरी पर रखवा दिया था जिसके बाद लोगों ने जमकर इसका सोशल मीडिया पर विरोध किया था तो सरकार को उनके बेटे को हटाना पड़ा था। लेकिन सहकारिता विभाग भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद से ही इसकी भर्ती प्रक्रिया और जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ तो 423 भर्तियां करके उनको जॉइनिंग भी करा दी गई है और ब्रांच एलॉट करके 10 दिन से उनकी ट्रेनिंग भी चल रही है। तो दूसरी और जांच की बात कह कर मामले को ठंडा करने की कोशिश की जा रही है। भाई भतीजावाद और रिश्वत के गंभीर आरोप लगने के बाद तो पूरी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगनी चाहिए थी लेकिन वही 16 अप्रैल को जांच कमेटी के सामने बच्चों के बयान दर्ज कराने की बात कहकर खानापूर्ति की जा रही है। दूसरी ओर कंपटीशन के लिए मेहनत करने वाले बच्चे जिनके भविष्य का सवाल है वह कई सालों से घर बैठे हुए तैयारी कर रहे थे वह मायूस हैं।
अकेले देहरादून से ही लगभग 58 छात्रों का चयन हुआ है अब यह जांच का विषय है कि इसमें से कितने सिफारिश वाले थे और कितने मेहनत वाले। हालांकि विभाग की कार्रवाई से ऐसा लग रहा है जैसे मैं खुद ही सभी को बचाने की कोशिश कर रहा है जिस तरीके से सब को एक तरफ जॉइनिंग दे दी गई और अगर जांच के बाद कोई कार्रवाई भी होती है तो छात्रों के पास कोर्ट जाने का रास्ता भी खुला रहेगा और अगर वहां से रास्ता साफ हो गया तो नौकरी करने से भी उनको कोई नहीं रोक पाएगा। हालांकि अब देखने वाली बात यह होगी कि जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पूरे मामले में क्या निर्णय लेते हैं क्योंकि यह उत्तराखंड में युवाओं की जवानी और पहाड़ के पानी की बात करने वाली भाजपा सरकार के ऊपर सवाल खड़े कर रहा है।