देहरादून। आज उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में हरक सिंह रावत का नाम चर्चा का विषय बना रहा। जिसमें हरक सिंह रावत के दिल्ली पहुंचने की सूचना मिलने के बाद भाजपा ने देर शाम हरक सिंह रावत पर एक्शन लेते हुए अपनी साख बचाने के लिए हरक सिंह रावत को पत्र लिखकर पार्टी से निष्कासित और पदमुक्त कर दिया।
बताते चलें कि हरक सिंह रावत हाल ही के दिनों में पार्टी से नाराज चल रहे थे। उनकी नाराजगी पिछले दिनों खुलकर सामने भी आई थी लेकिन उसके तुरंत बाद भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने हरक सिंह रावत को बातचीत करके मना लिया था और उसके बाद हमें फैजाबाद की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बाद डिनर पर बैठ के फोटो भी वायरल हुई थी। जिसके बाद प्रदेश में आचार संहिता लगने से पहले हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनवाने का जीओ करवा लिया था।
लेकिन अचानक से रविवार को हरक सिंह रावत के पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो गई जब सूत्रों के हवाले से खबर यह है कि वह सोमवार को अपनी बहू अनुकृति गोसाई के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं। और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनकी कांग्रेस में एंट्री को हरि झंडी दे दी है। आपको ज्ञात होगा कि हरक सिंह रावत और कांग्रेस के लगभग 1 दर्जन वरिष्ठ नेता 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन 5 साल सत्ता सुख भोगने के बाद एक बार फिर ये नेता धीरे-धीरे कोंग्रेस में घर वापसी कर रहे हैं और कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनो में और भी भाजपा के नेता कांग्रेस में घर वापसी कर सकते हैं।
सोमवार को लगभग दोपहर 12:00 बजे दिल्ली में हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गोसाई कांग्रेस में शामिल होंगे। जिसमें उत्तराखंड प्रदेश चुनाव प्रभारी देवेंद्र यादव, उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आदि मौजूद हो सकते हैं। सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी मिली है कि कांग्रेस हरक सिंह रावत को डोईवाला और उनकी बहू को लैंसडाउन का चुनाव लड़ सकती है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा में लगभग इस बार 10 से 15 सेटिंग विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। जिसमें कुछ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैं जो अब पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी और इनका कांग्रेस में वापस जाना कहीं ना कहीं कांग्रेस के लिए इस समय फायदेमंद होगा क्योंकि कांग्रेस इससे एकजुट होकर काम करेगी और जमीनी स्तर पर रहकर लड़ाई लड़ सकेगी। अब देखना यह होगा कि प्रदेश की जनता किस पार्टी में विश्वास जताकर सरकार बनाती हैं।