भारत ज्ञान और प्रज्ञा के लिए दुनिया में जाना जाता है – आरिफ मोहम्मद खान

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हरिद्वार। आज हरिद्वार के भूमानंद अस्पताल में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन किया जिसमें 50 बेड का आईसीयू और पैथ लैब भी जनहित की सेवा के लिए मौजूद है। अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने राज्यपाल को गंगा जली भेंट की एवं अन्य लोगों ने एक ऐसा उपहार दिया जिसे पाकर वे अभिभूत हो गए। जिसमें एक साथ गीता और कुरान थी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ आकाश जैन मेडिकल सुपरिटेंडेंट आफ भूमानंद हॉस्पिटल ने बताया कि महाराज अच्युतानंद ने अस्पताल को एक मंदिर, मरीज को भगवान और डॉक्टर को एक पुजारी मानना चाहिए ऐसा हमें प्रवचन दिया है।

हमने 2000 में आई क्लिनिक से शुरुआत की थी, और 2009 में स्वामी भूमानंद कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट की शुरुआत की और आज
2021 में महाराज जी की मेहनत एवं संघर्ष है सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की शुरुआत कर रहे हैं।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा डॉक्टर जैन उनकी टीम और जो डॉक्टर्स बैठे हुए हैं, जिन्होंने कोविड-19 मैं मरीजों का इलाज किया उन को मैं नमन और प्रणाम करता हूं। और जो यहां इलाज कराने के लिए आएंगे उनके लिए भी जो कम से कम संभव है उसका प्रावधान किया। लेकिन मैं कहता हूं थोड़ा ज्यादा भी अगर दे दोगे तो डॉक्टर की मेहनत के बदले में ही तो आप कुछ पेमेंट कर सकते हैं। उसकी जो जिस भावना के साथ जिस उदारता के साथ मरीज का इलाज करता है, उस डॉक्टर का कोई पेमेंट संभव है ही नहीं, केवल कृतज्ञता व्यक्त की जा सकती है। केवल उसको महसूस किया जा सकता है, ध्यान करिए सब लोग अस्पताल में मास्क लगाए हुए थे और मुझे भी कोविड-19 हुआ, लेकिन इन डॉक्टरों की और काम करने वालों की हिम्मत की तारीफ करें, दूसरा कुछ नहीं। हम अपने परिवार में भी आपके दिल में डर बना हुआ है और अपनी जान की बाजी लगाकर ये अपनी मर्यादा का पालन करते हैं। और जब भी अपने डिग्री लेते हैं तो यह एक शपथ लेते हैं मुझे ऐसा कोई मतलब नहीं है कि मरीज कौन है? कहां से आया है? इसकी आस्था क्या है? भाषा क्या बोलता है? मेरा काम उसके दर्द का निवारण करना है। यह साइंस तो जब डॉक्टर हुए है तब आई है, लेकिन भारतीय संस्कृति ने तो यह समय आप से हजारों साल पहले दिया।


हमारी संस्कृति ना भाषा से परिभाषित होती है, ना आपके क्या आस्था है उससे, आप क्या करते हैं उससे भी परिभाषित नहीं होती है, आप क्या भाषा बोलते हैं उससे परिभाषित नहीं होती है, “मेरे अंदर भी बहुत दिव्यता है जो तुम्हारे अंदर है उससे प्रभावित होती है” और जिसकी यह बात समझ में आ गई कि व्यवहार किस के अंदर विराजमान हैं वह दूसरों के पैर के ऊपर अपना पैर कभी नहीं रखेगा, कभी भी नहीं रखेगा। इसलिए बावजूद इसके कि हजारों हजार साल तक हमें ज्ञान का केंद्र माना गया।

बगदाद से जो पुस्तक निकलने वाले लेखक थे उन्होंने 10-10 वॉल्यूम में उनकी पुस्तकें हैं और मैं जब पढ़ता हूं तो मुझे खुशी और गर्व की अनुभूति होती हैं, कहते हैं दुनिया में पांच बड़ी संस्कृत या है चीन अपनी कला कौशल के लिए, रोम अपनी सुंदरता के लिए, तुर्की अपनी बहादुरी के लिए, ईरान अपनी वैभव के लिए, और भारत ज्ञान और प्रज्ञा के लिए जो प्रोत्साहन है उसके लिए दुनिया में एक ही जगह जानी जाती है और वह भारत है।


प्रॉफिट साहब की बातों को हदीस कहा जाता है, आपने सुना होगा एक कौमी गीत है उसमें एक लाइन आती है, वो लाइन है मेरे अरब को आइ ठंडी हवा जहां से..
जब मैंने उसका भावार्थ पढ़ा, “मैं हिंदुस्तान की भूमि से ज्ञान और प्रज्ञा के हवा के शीतल झोंके आते हुए महसूस कर रहा हूं”


यह मत समझना कि मैं दूसरे को run-down कर रहा हूं लोगों के अपने अपने आधार हैं अपने अपने तरीके से लोगों ने परिभाषित किया है भारत के ऋषि और मुनियों ने हमारी संस्कृति को परिभाषित किया है, हमें किसी को जज करने का एक दूसरे के प्रति समभाव एक दूसरे के प्रति प्रेम दूसरे का भला भारतीय संस्कृति में परिकल्पना ही नहीं है, वाट गोज अराउंड कम्स अराउंड। “मैं अगर कुछ करूंगा तो मुझे यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं आपका भला कर रहा हूं। वो अपने आप लोटकर आपके पास आएगा।

अंत में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने बताया कि हम कई वर्षों से जनसेवा का कार्य कर रहे हैं और आज हमने कई डॉक्टरों को भी सम्मानित किया है जिन्होंने कोविड-19 में अपनी जान पर खेलकर जनसेवा का कार्य किया और आगे भी करते रहेंगे ऐसा हमारा लक्ष्य है। इस अवसर पर आशुतोष टंडन जी, फाउंडर नवनीत सहगल (अध्यक्ष एडवाइजर कमेटी) डा० सोडी, डॉक्टर त्रिपाठी आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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