मुख्यमंत्री के संरक्षण में कैबिनेट मंत्री करा रहे अवैध खनन – नरेश शर्मा
हरिद्वार। हरिद्वार ग्रामीण में चल रहा अवैध खनन पूरे प्रदेश में एक बड़ा चर्चा का विषय बन चुका है। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और यह मुद्दा चुनावी तौर पर भी देखा जा रहा है और कहे तो अब चुनावी मुद्दा भी बन गया है, आम आदमी पार्टी के हरिद्वार ग्रामीण से प्रत्याशी नरेश शर्मा ने हरिद्वार ग्रामीण से कैबिनेट मंत्री यतिस्वरानंद एवं मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि अवैध खनन सरकार की देखरेख में चल रहा है। और शासन प्रशासन भी मजबूर है जो कार्यवाही करने में असमर्थ है।
दरअसल पूरा मामला हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र का है जहां विपक्ष का आरोप है कि रवासन नदी से दिन रात सैकड़ों गाड़ियां खनन कर रही है और यह गाड़ियां हरिद्वार की नहीं कुमाऊँ क्षेत्र से आ रही है और यहां से सप्लाई बहार की जा रही है। और यहां के स्थानीय लोगों का शोषण हो रहा है और सरकारी तंत्र भी मूकदर्शक बना सब कुछ देख रहा है।
आज हरिद्वार प्रेस क्लब में मीडिया से वार्ता करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता नरेश शर्मा ने तीखे हमले करते हुए भाजपा के लालढांग मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी एवं अन्य व्यक्तियों पर बोलते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री के करीबी होने के कारण यह लोग अवैध खनन करवा रहे हैं, जिसमें रवासन नदी में 25-25 फीट गहरे गड्ढे खोद दिए गए हैं और दिन-रात वहां जेसीबी पोकलेन चल रही है।
उन्होंने मीडिया के समक्ष तथ्य रखते हुए कहा कि आप वीडियो में साफ-साफ देख सकते हैं कि कैसे पोकलेन और सैकड़ों की तादाद में डंपर वहां लाइन लगाकर खड़े हैं जिन पर किसी की कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और कल जब मैं वहां पहुंचा तो हमें संतुष्ट करने के लिए 4-5 ट्रैक्टर डालियों को प्रशासन द्वारा सीज कर दिया गया।
मीडिया के पूछे जाने पर कि है जब आपके पास तथ्य हैं तो हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते हैं? उन्होंने कहा कि मैं जल्दी एक पीआईएल दाखिल करूंग और कल से आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर कर इसके खिलाफ प्रदर्शन करेगी।
सरकार के नियम कानून के तहत कर रहे खनन – आलोक द्विवेदी
हरिद्वार। आज हरिद्वार में राजनीतिक गलियारों में खनन का विषय गरमा गरम रहा जिसमें सुबह आम आदमी पार्टी के नरेश शर्मा ने भाजपा पर हमला करते हुए गंभीर आरोप लगाए तो शाम होते-होते लालढांग मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया कर दिया कि वह सरकार द्वारा बनाई गई नियम और नीति के तहत ही खनन कर रहे हैं और सीमित ही संख्या में सामग्री नदी से निकाल रहे हैं। बाकी रात में अन्य ट्रक और ट्रॉली वहां पर लगी है वह उसकी जिम्मेदारी नहीं लेते है, यह सब प्रशासन देखें।
दरअसल मामला 2018 का है जब भाजपा लालढांग मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी को रिवर ट्रेनिंग के तहत 800 वर्ग घन मीटर में 8000 घन मीटर खनन की खुली बोली एक व्यक्ति के प्लॉट में मिली 17 दिन के लिए मिली, जिसमें उन्होंने कुछ दिन काम किया और फिर वह बंद हो गया जिसकी कई वजह बताई गई। जिसके लिए उन्हें 14000000 रुपए देने थे और ₹35000 खनिज फाउंडेशन को देने थे। उसके बाद में हाई कोर्ट गए और हाई कोर्ट ने उन्हें 7 दिन काम करने की परमिशन दी, लेकिन बारिश आने के कारण वह 2 दिन ही काम कर पाए और कुल मिलाकर उस वर्ष 9 दिन ही काम कर पाए थे। और कुल 1500 घन मीटर ही सामग्री निकाल पाए थे। और उन्होंने बताया कि पिछले आधार पर ही फिर उन्हें 25 दिसंबर तक खनन की अनुमति दी गई जिसमें उन्हें अभी 6500 घन मीटर और सामग्री निकालनी है। और उन्होंने नरेश शर्मा पर पलटवार करते हुए कहा कि उनका कल फोन आया था और वह बड़ी रकम की डिमांड कर रहे थे। और मैं उन पर थाने में जाकर मुकदमा दर्ज करवाऊंगा।
लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक होने से इस मुद्दे पर एक तरफ भाजपा की छवि खराब हो रही है तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में भी इस मामले को लेकर खलबली मची हुई है कि क्या भाजपा के मंडल अध्यक्ष को पार्टी बाहर का रास्ता दिखाएगी यहां पार्टी में ही रखेगी? और वही बड़ा सवाल पुलिस प्रशासन पर भी खड़ा होता है जो किसी छोटी गाड़ी के भी कागजात चेक करती है, लेकिन सैकड़ों डंपर आ रहे जा रहे हैं उनको इसकी भनक तक नहीं है। हरिद्वार के लोग सरकार से यही सवाल पूछ रहे है कि इतना बड़ा खेल किसकी शय में खेला जा रहा है और सरकार के करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है और स्थानीय लोगों का जो रोजगार छीन रहा है उसका जिम्मेदार कौन है?
और सबसे बड़ा सवाल उस विभाग पर ग्रामीण की जनता खड़ा कर रही है कि किसने डिफॉल्टर आलोक द्विवेदी को दोबारा खनन की अनुमति दी! क्या नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखा गया है? अब इसका फैसला आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता ही तय करेगी कि कौन गलत है और कौन सही। गौरतलब है कि कांग्रेस भी पहले हरिद्वार ग्रामीण में हो रहे अवैध खनन पर बड़े सवाल खड़े कर चुकी है। हालांकि हरिद्वार ग्रामीण में चल रहा है अवैध खनन कोई नया विषय नहीं है। पिछली सरकारों में भी यह आरोप उनपर लगते रहे हैं और यह मुद्दा हर समय राजनीतिक बनकर ही रह जाता है।