देहरादून। उत्तराखण्ड की लोक कला ऐपण को बढ़ावा देने के लिए अल्मोड़ा पुलिस ने नई पहल शुरू की है। जिसके तहत पुलिस कार्यालय के समस्त शाखाओं को ऐपण से निर्मित नेम प्लेटों से सजाया गया है, जो काफी आकर्षक लग रहे हैं। नेम प्लेट पुलिस परिवार की बालिका मीनाक्षी आगरी द्वारा बनाई गई है।
लोकल कला ऐपण को बढ़ावा उत्तराखंड की एक बेटी रितु ने दिया। जिन्होंने ऐपण से शुरू किया स्वरोजगार, उन्होंने अपने घर में ही कपड़े बर्तनों में ऐपण बनाने शुरू किए। इसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इसे देख धीरे-धीरे उन्हें लोगों के ऑर्डर मिलने शुरू हुए। दीवाली के समय उन्हें 500 ऐपण बनाने का ऑर्डर भी मिला। उन्हें अच्छी आय के साथ की कला के संरक्षण का भी मौका मिल रहा है।
ऐपण कुमाऊँ की एक गरिमापूर्ण परम्परा है। इस कला का शुभ अवसरों और त्योहारों पर विशेष महत्व है। समय के साथ धीरे-धीरे आधुनिकीकरण के चलते यह परंपरा धूमिल सी हो गई। लोग इसे भूलने लगे। हालांकि अब कई सजग कलाप्रेमी इसे बढ़ावा दे रहे हैं। इसी क्रम में मुखानी, हल्द्वानी निवासी 28 वर्षीय रितु ने इस कला को बचाने का प्रयास शुरू किया है। वह ऐपण की विभिन्न कलाओं को बनाकर उन्हें विक्रय कर रही हैं। इससे उन्हें अच्छी आय के साथ की कला के संरक्षण का भी मौका मिल रहा है।
रितु ने बताया कि पहले वह एक प्राइवेट स्कूल में ड्राइंग की टीचर थी। लेकिन उनके पैरों में तकलीफ होने की वजह से उन्होंने वह जॉब छोड़ दी। जिसके बाद उन्होंने अपने अंदर के कलाकार को लोगो के सामने रखने का निर्णय लिया। प्रारंभ में उन्होंने पेंसिल आर्ट, फिर कलर आर्ट बनाने शुरू किए। जिसके बाद उन्होंने विलुप्त होती ऐपण कला को बचाने का विचार आया। उन्होंने अपने घर में ही कपड़े, बर्तनों में ऐपण बनाने शुरू किए। इसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया। इसे देख धीरे-धीरे उन्हें लोगों के ऑर्डर मिलने शुरू हुए। दीवाली के समय उन्हें 500 ऐपण बनाने का ऑर्डर भी मिला। फिलहाल वह ऐपण बनाकर अपनी सतीश कालोनी, मुखानी हल्द्वानी स्थित अपनी दुकान में विक्रय कर रहीं है। वहीं उन्होंने बताया कि यदि उन्हें लोगों का सहयोग मिले तो वह इस ऐपण कला को बड़े स्तर पर करके उत्तराखंड के घर-घर तक पहुँचाना चाहती हैं। इससे इस परंपरा को विलुप्त होने से बचाया जा सके।
पिता का बनना चाहती हैं सहारा
रितु ने बताया कि उनके पिता की सतीश कालोनी मुखानी में चाय की दुकान है। वह रोज अपने पिता को मेहनत करते हुए देखती हैं। इस पर वह पिता का सहारा बनना चाहती है। जॉब छूटने के बाद भी उसने हार नहीं मानी। और ऐपण कला की ओर फोकस किया। धीरे-धीरे उनके ऐपण को देख लोगो ने शादियों व अन्य अवसरों पर उन्हें ऐपण के ऑर्डर देने शुरू कर दिए हैं।
पूजा चौकी, पूजा थाली, कलश आदि में पेंट से बनाती है ऐपण
रितु ऐपण की सभी कलाओं को जानती है। वह गणेश चौकी, शिव पूजन चौकी, विवाह चौकी, पूजा थाली, कलश इत्यादि में बारीकी से ऐपण बनाती हैं। वहीं कपड़े पर बनाए गए ऐपण का उनके साइज के हिसाब से मूल्य निर्धारित करती हैं। विभिन्न तरह के कपड़ों पर बनाए गए ऐपण लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं।
अब उत्तराखंड पुलिस ने भी लोकल वाला ऐपण को बढ़ावा देने के लिए पुलिस विभागों में इसकी शुरुआत की है। जिससे उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके और उत्तराखंड की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को पहचान सके।