पार्षदों के टिकट बंटवारे के साथ ही भाजपा में उठने शुरू हुए विरोध के सुर, क्या फंस जाएगा चुनाव!

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भाजपा ने 60 वार्डों में पार्षदों के टिकट की घोषणा कर दी है, इसी के साथ ही भाजपा में अब विरोध के सुर उठाना शुरू हो गए हैं। वार्ड नंबर एक की बात करें तो वहां पर कई दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की थी, तो अनिल मिश्रा भी अपने आप को मजबूती से टिकट के दावेदार मान रहे थे। लेकिन पार्टी ने युवा चेहरा आकाश भाटी पर दावा खेलकर सभी को हैरान कर दिया है। वहीं दावेदारी करने वाले मुकेश पुरी तो खुलकर लिख रहे हैं “कि क्या मेरे से ऐसी बेवफाई हो गई की पार्टी ने मुझे इस लायक भी नहीं समझा! लंबे समय से मैं तैयारी कर रहा था अब शायद वक्त आ गया है कि हिमालय में जाकर मैं चिंतन करूं और फिर दोबारा आकर अगले चुनाव की तैयारी”। वही बात की जाए वार्ड नंबर 6 की तो यहां पर लंबे समय से तैयारी कर रहे भाजपा के धीरज पाराशर एवं देवेश ममगाईं को टिकट न देकर स्थानीय जनता में काफी आक्रोश है। असक्रिय सुमित चौधरी पर दाव खेलकर पार्टी ने अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर ली हैं, लोगों में यह भी चर्चा है कि नगर विधायक मदन कौशिक के कहने पर ऐसा हुआ है। वही बात की जाए वार्ड नंबर 19 खन्ना नगर की तो लंबे समय से वार्ड में सक्रिय और मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं दीपक टंडन को पार्टी ने टिकट न देकर एक बार फिर पार्षद रही मोनिका सैनी को टिकट दिया है। वहीं इसका विरोध करते हुए दीपक टंडन ने नगर विधायक को खुलेआम सोशल मीडिया पर धन्यवाद लिखते हुए एक बार फिर धोखा देने की बात कही है। यह पोस्ट भी उनका पूरे जनपद में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि देखना यह होगा कि भाजपा पार्टी में पैदा होते इस गतिरोध को कैसे संभालेंगी है।

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार!

वरिष्ठ पत्रकार ओम गौतम फक्कड़ कहते हैं कि भाजपा ने कुछ वार्डों में मजबूत प्रत्याशियों को तरजीह दी है। लेकिन कुछ वार्डों में नगर विधायक ने अपने खासम खास व्यक्तियों को टिकट देकर पार्टी के लिए दुश्वारियां खड़ी कर दी हैं। उनका कहना है कि ऐसा नहीं है कि जिनके टिकट नहीं हो पाएं, वह पार्टी के लिए लंबे समय से काम नहीं कर रहे थे। या नगर विधायक के करीबी नहीं थे। लेकिन फिर भी एक सीट पर एक ही व्यक्ति को पार्टी प्रत्याशी बनती है। हालांकि किस आधार पर टिकटों का वितरण हुआ है। यह तो भाजपा संगठन और नगर विधायक ही जाने। लेकिन लंबे समय से जमीनी तौर पर कार्य कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को टिकट न मिलाना उनके लिए निराशाजनक है। जिस तरह से वह विरोध के सुर तेज कर रहे हैं आने वाले निगम चुनावों में यह अवश्य भाजपा के लिए यह मुश्किलें खड़ी कर देंगे। उन्होंने कहा कि बात की जाए मदन कौशिक की तो उनका इस तरह के आरोपों से पुराना नाता रहा है। पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को तवज्जो ना देना उनकी खास शैली बन गई है। साथ ही किसी को भी पार्टी में अपने से ऊपर ना बढ़ने देना भी उनकी राजनीति का एक तरीका है। जो जनता को काफी पसंद भी आता है शायद इसलिए ही वह पांच बार के विधायक हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ हरिद्वार ही नहीं कहीं भी या कोई भी बड़ा नेता नहीं चाहता कि उसके सामने कोई पार्टी में दूसरा विकल्प तैयार हो। उन्होंने कहा कि लगभग 20 लोग इस बार मेयर चुनाव की तैयारी में लगे थे, लेकिन महिला ओबीसी सीट के साथ ही सभी को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब कुछ नेता अपने भविष्य के बारे में जरूर चिंतन कर रहे होंगे।

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