देहरादून 21 दिसंबर 2023। 24 दिसंबर को देहरादून में होने जा रही मूल निवास एवं भू कानून की मांग को लेकर मूल निवास स्वाभिमान महारेली ने सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। महारैली से पहले ही सीएम धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की बाध्यता नहीं होगी। मतलब सरकारी विभागों, शैक्षणिक संस्थाओं एवं नौकरियों के लिए अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी और ना ही कोई भी विभाग उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र के लिए बाध्य कर सकेगा। वही सीएम धामी के निर्देश के बाद सचिव विनोद कुमार सुमन ने आदेश भी जारी कर दिए हैं। लेकिन मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने इस निर्देश को उत्तराखंड की जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा करार देते हुए देहरादून चलने की अपील की है।
24 दिसंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड में महा रैली का ऐलान
मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड द्वारा पूरे प्रदेश में आगामी 24 दिसंबर को देहरादून चलने का आह्वान किया गया है। समिति का कहना है की मूल निवास की व्यवस्था समाप्त होने से उत्तराखंड की संस्कृतिक पहचान और यहां के मूल निवासियों का भविष्य खतरे में आ चुका है। उन्होंने कहा है कि आज मूल निवासियों के लिए प्रदेश में रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया है और बाहरी राज्यों के लगभग 40 लाख लोग यहां आकर बस चुके हैं।
क्या शहै मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड की मांग?
1 – हमारी जमीनें बाहरी व्यक्ति नहीं खरीद पायेगा।
2 – सरकारी और प्राइवेट नौकरियों पर पहला अधिकार मूल निवासियों का होगा।
3 – विश्विद्यालय और कॉलेजों में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य कोर्सों की पढ़ाई के लिए मूल निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी।
4 – सभी तरह के संसाधनों पर मूल निवासियों का पहला हक होगा।
5 – फर्ज़ी स्थाई निवास बनाने वालों की पहचान होगी।
6 – उत्तराखंड की संस्कृति और अस्मिता बची रहेगी।
7 – मूल निवासी अल्पसंख्यक होने से बच जायेंगे।
8 – स्कूल-कॉलेज या सरकारी नौकरी में क्षेत्रीयता आधारित आरक्षणों का लाभ मिलेगा।
9 – छात्रवृत्ति योजना, शैक्षणिक संस्थानों में फीस माफ या फीस में छूट के लिए लाभ मिलेगा।
9 – बाहरी लोग मूल निवासियों का उत्पीड़न नहीं कर पाएंगे।
10 – उत्तराखंड में गुंडे-बदमाश नहीं पनप पाएंगे और यहां के मूल निवासी खुली हवा में सांस ले पायेंगे।
लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी समिति बड़ी हस्तियों ने किया समर्थन
24 तारीख को होने वाली देहरादून में महारैली के आह्वान का उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी समेत कई बड़ी हस्तियों ने महारेली का समर्थन करते हुए देहरादून आने की अपील की है। इतना ही नहीं नरेंद्र सिंह नेगी ने सोशल मीडिया पर कुछ अलग ही अंदाज में लोगों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की है। उन्होंने अपील करते हुए एक गाना भी गया है।
सरकार की बड़ी मुश्किलें
वहीं मूल निवास 1950 एवं भू कानून कि इस मांग को सोशल मीडिया पर लोगों का भारी समर्थन मिलने के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। कुछ ही दिनों में महारैली के समर्थन में आए लोगों के कारण अब प्रदेश में आ रहे लोकसभा और नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए चुनौती पूर्ण साबित हो सकते हैं। वही यह भी देखना होगा कि हर कठिनाई से अब तक उभरते आए सीएम धामी इस मसले पर क्या हल ढूंढने में सफल होंगे।
कहां जाएंगे वर्षों से रह रहे लोग
वहीं अगर प्रदेश में मूल निवास 1950 एवं भू कानून लागू किया जाता है तो उत्तराखंड में कई वर्षों से रह रहे अन्य राज्य के लोगों के लिए भविष्य में बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। अगर मूल निवास समन्वय संघर्ष समिति उत्तराखंड की मांगों को सरकार मान लेती है तो बाहरी राज्यों के लोगों के लिए रोजगार से लेकर जीवन यापन का बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। क्योंकि ना ही वह यहां नौकरी कर पाएंगे और ना ही वह यहां कोई जमीन खरीद पाएंगे।