ऋषिकेश एम्स से ब्लड कॉम्पोनेंट लेकर उड़ा ड्रोन, रास्ते में हुआ क्रैश, ट्रायल फेल

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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए ऋषिकेश एम्स ने फरवरी में एक नई पहल की थी। ड्रोन के जरिए दवाओं को दुर्गम क्षेत्रों में भेजने के लिए फरवरी में शुरुआत हुई थी और इसका पहला ट्रायल ऋषिकेश एम्स से श्रीनगर के लिए किया गया था, इसके बाद दूसरा ट्रायल ऋषिकेश एम्स से नीलकंठ के नजदीक एक गांव के लिए किया गया था और दोनों ही ट्रायल में एम्स को सफलता हासिल हुई थी लेकिन सोमवार को ऋषिकेश एम्स से ब्लड कॉम्पोनेंट लेकर कोटद्वार के लिए उड़ा ड्रोन रास्ते में क्रैश हो गया। सोमवार को लगभग 2.30 बजे कलालघाटी में आयरन फैक्ट्री के सामने लगभग 5 फीट लंबा ड्रोन यूकेलिप्टस के पेड़ से टकराकर नीचे गिर कर क्षतिग्रस्त हो गया। कोटद्वार बेस अस्पताल से ड्रोन को ऑपरेट करने वाले ड्रोन पायलट मौके पर पहुंचे। बताया जा रहा है कि ऋषिकेश एम्स अस्पताल से ब्लड कंपोनेंट ड्रोन के माध्यम से कोटद्वार बेस अस्पताल भेजा गया था, जो लगभग 400 फीट ऊंचाई पर उड़ता है, खराब मौसम हवा के प्रभाव के कारण संभवत क्रैश होना बताया।

एम्स ऋषिकेश ने ड्रोन आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सोमवार को ब्लड कम्पोनेंट लेकर कोटद्वार अस्पताल के लिए ड्रोन भेजा था। लेकिन खराब मौसम की वजह से ड्रोन गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाया और इसकी आपात लैंडिंग करानी पड़ी। सोमवार को कोटद्वार स्थित बेस हॉस्पिटल में ब्लड कम्पोनेंट पहुंचाने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश द्वारा ड्रोन रवाना किया गया। ट्रायल उड़ान के दौरान कोटद्वार पहुंचने से पहले ही ड्रोन को तेज हवाओं युक्त खराब मौसम का सामना करना पड़ा। इससे पहले कि ड्रोन कोटद्वार स्थित बेस हॉस्पिटल पहुंच पाता,लगभग 400 फिट की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को तेज हवाओं के कारण उड़ान में बाधा बन आई और लिहाजा स्थिति को देखते हुए ड्रोन की आपात लैंडिंग करानी पड़ी।

उल्लेखनीय है कि 16 फरवरी को एम्स ऋषिकेश ने ड्रोन के माध्यम से टिहरी तक दवा पहुंचाने का ट्राॅयल किया था। उस दौरान 36 किमी. हवाई दूरी पर स्थित जिला चिकित्सालय टिहरी तक ड्रोन से दवा पहुंचाई गई थी। फिर 2 मार्च 2023 को इसका दूसरी बार सफल ट्रायल किया गया। दूसरे ट्रायल में दवा लेकर ड्रोन ने एम्स के हेलीपैड से नीलकंठ मंदिर के निकट स्थित जुड्डा गांव के लिए उड़ान भरी थी। अब सोमवार को तीसरी बार कोटद्वार बेस हॉस्पिटल के लिए ड्रोन के माध्यम से ब्लड कम्पोनेंट भेजे जा रहे थे। चिकित्सकों के अनुसार यह ब्लड कम्पोनेंट सेंसिटिव होते हैं, इसलिए इसे निश्चित तापमान पर व्यवस्थित कर भेजा जा रहा था। लेकिन खराब मौसम की वजह से यह ट्रायल सफल नहीं हो सका।

एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने ट्रायल सफल नहीं होने पर दुख व्यक्त किया और कहा कि उत्तराखंड में पल-पल बदलते मौसम की वजह से कभी- कभी इस प्रकार की घटनाएं हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में शीघ्र ही कोटद्वार के लिए फिर से ड्रोन द्वारा ब्लड कम्पोनेंट पहुंचाने का ट्रायल किया जाएगा।

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