सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए थे आंदोलनकारी, कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, सरकार को दिए यह निर्देश

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देहरादून 21 फरवरी 2023। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पटवारी लेखपाल परीक्षा लीक होने के बाद प्रदेश में सीबीआई जांच की मांग को लेकर हुए धरने प्रदर्शन में लाठीचार्ज के हंगामे के बाद बेरोजगार युवाओं ने शहीद स्मारक पर छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में सत्याग्रह किया। तो वही सीजेएम कोर्ट से बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार समेत 13 लोगों की सशर्त जमानत 15 फरवरी को दी। जिसके बाद जेल से बाहर आते ही एक बार फिर बेरोजगार संघ ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी करी थी। लेकिन इसी बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आंदोलनकारियों को बड़ा झटका दिया है। शासन प्रशासन से अनुमति न मिलने पर हाई कोर्ट गए आंदोलनकारियों को हाईकोर्ट ने यह कह कर ठुकरा दिया अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार सभी क़ो हैं लेकिन शांतिपूर्ण ढंग से लेकिन इसका मतलब ये नहीं हैं कि विरोध के बहाने कोई हिंसा करें और सार्वजानिक संपत्ति क़ो नुकसान पहुचाये।

आपको बता दें कि देहरादून के गांधी पार्क पर 8 फरवरी को हुए धरना प्रदर्शन में पुलिस द्वारा 9 फरवरी की तड़के सुबह को प्रदर्शनकारियों को जबरन उठाने के दौरान हुई झड़प के बाद 9 फरवरी को दिन में ही हजारों छात्रों ने राजपुर रोड जाम कर दी थी। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और युवाओ ने पथराव जिसमें कई गाड़ियों और दुकानों को नुकसान भी पहुंचा था। छात्रों का यह आरोप था कि पुलिस ने बेरोजगारों पर लाठियां बरसाई है।

कोर्ट ने साफ कहा की विरोध कर सकते हैं लेकिन उससे पहले जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। वही हाई कोर्ट ने साफ कहा की हम राज्य सरकार क़ो निर्देश देते हैं कि जो भी क़ानून व्यवस्था क़ो तोड़ता हैं या फिर हिंसा करता उसके खिलाफ सख्त रुख अपनाया जाए।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हिंसा का सहारा लिया गया था। भले ही प्रश्न पत्रों के ऐसे लीक हुए हों जो किसी को भी हिंसा का सहारा लेने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने, या सार्वजनिक उपद्रव करने का बहाना नहीं दे सकते। याचिकाकर्ता को प्रशासन से उचित अनुमति प्राप्त करने के बाद शांतिपूर्ण सभा में अपना विरोध दर्ज कराने का मौलिक अधिकार है। हालाँकि, यह उसे हिंसा का सहारा लेने का अधिकार नहीं देता है। इसलिए, हम उक्त राहत को अस्वीकार करते हैं। हम राज्य को हिंसा या आगजनी करने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ उचित और कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं।

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