हरिद्वार 8 नवंबर 2022। हरिद्वार के कृष्णानंद आश्रम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दिनांक 7 नवंबर को वार्षिक समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के सभापति श्री महंत प्रेम गिरी, सेक्रेटरी महेश पुरी, सेक्रेटरी पशुपति गिरी, कोठारी महाकाल गिरी, महंत अतुल गिरी, मूनक पंजाब से महंत मनोहर गिरी, नोएडा गाजियाबाद से महंत कार्तिक गिरी, खन्ना पंजाब से और पुजारी वशिष्ठ गिरी, आनंद भैरव जूना अखाड़ा आदि संतों की उपस्थिति में संत सम्मेलन का आयोजन हुआ और उसके बाद प्रसाद भी संतों को ग्रहण करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महंत नारायण गिरी दूधेश्वर पीठाधीश्वर प्रवक्ता जूना अखाड़ा के अध्यक्षता में संपन्न हुआ और वर्तमान गादीपति महंत गिरीशानंद गिरी महाराज की देखरेख में सब कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर पर जूना अखाड़ा के सभापति श्री महंत प्रेम गिरी ने कहा कि आज श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा दूधेश्वर महादेव गाजियाबाद उसकी एक दोनों समकक्ष देवी मंदिर गाजियाबाद वहां के वर्तमान गादीपति गिरिशानंद जी हमारे बीच में है। यहां कई पीढ़ी हो चुकी लेकिन अभी वर्तमान में जूना अखाड़े के वरिष्ठ महंत गिरीशानंद गिरी जी यहां सारी व्यवस्था देख रहे। देवी मंदिर से संबंधित स्थान है पूर्व में यहां कृष्णानंद गिरी, श्याम गिरी रहे और फिर उसके बाद परमानंद जी रहे। अभी वर्तमान में गिरीशानंद गिरी आश्रम को संभाल रहे हैं।
हरिद्वार पावन नगरी है लोग लाखों यहां विभिन्न पर्वों पर स्नान इत्यादि करने आते हैं, तो गिरीशानंद गिरी की इच्छा हुई कि इस स्थान पर हरिद्वार की पावन नगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर साधु-संतों का भंडारा किया जाए तो गुरु जी हमारे और जूना अखाड़े के राष्ट्रीय मंत्री एवं जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्री नारायण गिरी जी के शिष्य ने कहा कि महाराज जी कार्तिक पूर्णिमा को भंडारा रखा जाए साधु संतों का सम्मेलन हो इससे अच्छा और कोई मूहर्त नहीं होता है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष में यहां साधु संतों का भंडारा सम्मेलन रखा गया है और प्रतिवर्ष भंडारा भी होगा एवं सम्मेलन भी होगा और इसी तरह से हमेशा के लिए व्यवस्था चलती रहेगी। आज देव दीपावली है, बनारस में है, सारे भारत में है, देव दीपावली देवताओं की दिवाली है, एक तो थी राम की दिवाली जब राम अयोध्या मे आए तो दिवाली मनाई जाती है। लेकिन आज भी सारे भारतवर्ष में देवताओं की दिवाली है, जब राम आए थे तो मनुष्यों ने दीपक जलाए थे। अयोध्या वासियों ने ने दीपक जलाएं।
आज जो है देव दीपावली के अवसर पर सारे देवता ब्रह्मांड के पवित्र स्थानों में चाहे हरिद्वार हो, मायाकुंड हो, चाहे काशी विश्वनाथ हो चाहे गंगा जी हर की पौड़ी हो, सारे विश्व में चाहे जमुना जी का किनारा हो, दीपावली मनाई जाती है। ऐसा मूर्ख और ऐसा पर्व तो कभी-कभी आता है और साल में एक बार आता है। तो सारे धूमधाम से दीपक जलाते हैं और प्रसन्नता जब देवता दीपक जलाते हैं तो उनके साथ-साथ मनुष्य भी दीपक घाटों के जलाते। इसी तरह की हर की पौड़ी पर दीपक जलाए।
इसका एक लक्ष्य है भारत का उत्थान हो भारत का विकास हो सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग व्हे। अथार्त देव दीपावली मनाने से भारत के सभी लोग खुशहाल हो।