हरिद्वार 19 सितंबर 2022। नेता बनने का शौक तो हमारा देश में हर तीसरे व्यक्ति को है प्रदेश या देश में किसी भी बात का विरोध या समर्थन करना हो तो आपको देश में करोड़ों नेता मिल जाएंगे। लेकिन जमीन पर रहकर और इमानदारी से समाज सेवा करने वाले नेता आपको आज के समय में बहुत ही कम मिलेंगे, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि धर्मनगरी हरिद्वार में भी लगभग हर गली में कई नेता रहते हैं और कुछ नेता तो अपने आप को आगामी मेयर चुनाव में भावी प्रत्याशी के रूप में भी देखने लग गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है सिर्फ रोजाना बीच में घुसकर अखबारों में फोटो छपवाने और मीडिया में बने रहने से ही नेतागिरी का परिचय नहीं होता। नेतागिरी अगर सीखनी है तो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीखनी चाहिए जो दिन-रात परिश्रम करके देश को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं। आज एक ऐसा ही वाकया हरिद्वार में देखने को मिला जब बहादराबाद स्थित उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में एक ऐसे ही नेता जी अपने किसी निजी काम से पहुंचे थे तो जब उप कुलसचिव को कर्मचारी ने आकर बताया कि बाहर नेताजी आप से मिलने के लिए खड़े हैं। तब कुलसचिव जी ने छूटते ही कहा यह नेता जी कौन हैं और कहां से आए हैं इतना ही नहीं जब सोशल मीडिया और अखबारों में सपने की दिली इच्छा रखने वाले नेताजी अंदर पहुंचे तो उनको अपना परिचय खुद देना पड़ा। यह नेता जी भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के काफी करीबी हैं और अक्सर आपको भाजपा के पोस्टर और बैनर पर मिल जाएंगे। इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आजकल नेताओं की स्थिति क्या है। क्या वाकई में समाज सेवा के नाम पर आगे बढ़ रहे नेता समाज हैं शहर की सेवा कर रहे हैं या फिर अपने निजी स्वार्थ के लिए व राजनीति में आए हैं या सबसे बड़ा सवाल तो आजकल यह खड़ा हो रहा है कि क्या राजनीति एक बिजनेस बनकर रह गई है?
ब्रेकिंग : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के करीबी नेता को खुद देना पड़ा परिचय, स्वघोषित समाजसेवी को मिडिया की हेडलाइन्स बनने का है शौक
