शराब कांड में एक अधिकारी बना चर्चा का विषय, भूमिका पर उठ रहे सवाल, आखिर कब होगी कार्यवाही

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पंचायत चुनाव में हुई मौत से उत्तराखंड में हड़कंप

हरिद्वार। हरिद्वार पंचायत चुनाव में हुई कई मौतों ने एक बार फिर पूरे उत्तराखंड में हड़कंप मचा दिया है, जहरीली शराब से हुई मौतों में कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं, हालांकि जिलाधिकारी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले शराब के कारण हुई मौत से इनकार कर दिया है। हरिद्वार में एक बार फिर अवैध शराब से हुई मौत ने एक बार आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है। सवाल आबकारी के प्रवर्तन विभाग पर सबसे अधिक खड़े हो रहे है, जो जिले में अवैध शराब की बिक्री पर लगाम लगाने में एक तरह से नाकाम ही साबित हुआ है, शायद यही वजह है कि हरिद्वार में अवैध शराब ने मौत का तांडव मचा दिया और 4 लोगों का जीवन लीला समाप्त कर दी। इससे पहले भी 2019 में झबरेड़ा-भगवानपुर में अवैध शराब मौत का तांडव मचा चुकी है जिसमे करीब 39 लोगों की जान चली गई थी। जिसके कुछ दिनों बाद ही 2019 में देहरादून में भी अवैध शराब लोगों के जीवन पर हावी हो गई थी जिसमे 9 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था।

प्रवर्तन विभाग पर बड़ा सवालिया निशान

दरअसल जिले में अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए प्रवर्तन विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन शराब कांड के ये बड़े मामले और शहर से लेकर गांव तक हर गली नुक्कड़ में बिकती अवैध शराब प्रवर्तन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। मजे की बात देखिए पथरी थाना क्षेत्र के फूलपुर में हुई आज की घटना से कुछ दिन पहले ही विभाग द्वारा छापेमारी की गई थी। लेकिन पुख्ता सूत्रों के मुताबिक एक अधिकारी का नाम पूरे मामले में सामने आ रहा है और बताएं यह भी जा रहा है कि उसके संरक्षण में पिछले 5 दिन से पंचायत चुनाव क्षेत्र में लगातार शराब का उपयोग जमकर हो रहा था, साथ ही यह भी बात सामने निकल कर आ रही है कि यह अधिकारी अवैध शराब के अड्डों से और अवैध शराब का धंधा करने वालों से मोटी रकम वसूलता हैं। वहीं दूसरी और पूरे मामले में डीजीपी अशोक कुमार ने पथरी थाना क्षेत्र प्रभारी को सस्पेंड कर दिया है और मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। जिला आबकारी अधिकारी अशोक मिश्रा बताते है कि कुछ दिन पहले ही उस इलाके में छापेमारी की गई थी और मुकदमा भी दर्ज किया गया था। साल भर में प्रवर्तन विभाग ने अवैध शराब को लेकर कितनी छापेमारी किस बाबत मिश्रा जी के पास कोई आंकड़ा मौजूद नही था। प्रवर्तन अधिकारी से फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन रिसीव नही हुआ। इतनी बड़ी घटना के बाद प्रवर्तन अधिकारी की गंभीरता को दर्शाता है।

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