मानवता की मुस्कान है गीता, समस्याओं का समाधान है गीता – स्वामी ज्ञानानंद महाराज

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हरिद्वार। हरिद्वार के कृष्ण कृपा धाम स्थित 11 से 15 जून तक गीता ज्ञान, गीता ध्यान का शुभारंभ हुआ। हिंदू धर्म में भागवत गीता श्रीमद भगवत गीता को पावन ग्रंथों में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि इसमें भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए वह उपदेश है जो उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान उसे दिए थे। जो व्यक्ति अपने जीवन में इन उपदेशों को अपना आता है वह अपने जीवन में सफलता को जरूर प्राप्त करता है तो आइए आज जानते हैं गीता के कुछ ऐसे ही श्लोकों के बारे में जिनमें व्यक्ति की सफलता का साल जीवन का सार जाने को मिलता है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि गीता तो समस्त संसार का आधार है। हरिद्वार में गीता ज्ञान और गंगा दोनों का होना अपने आप में ही एक अलग अनुभूति है। उन्होंने बताया कि इंसान जब तनाव परेशान या दुखी हो तो उसे गीता का सहारा जरूर लेना चाहिए गीता ही तमाम बीमारियों का एक इलाज है। गीता एक औषधि है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

श्लोक का विवरण करते हुए उन्होंने बताया कि बिना फल की इच्छा के ही कर्म की प्रधानता सबसे बलशाली मानी गई है। अर्थात यदि व्यक्ति किसी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसके लिए सबसे अनिवार्य है कि वह अपने कर्म पर सबसे अधिक ध्यान दें।

गीता में कहा गया है कि जब व्यक्ति फल की इच्छा से कर्म करता है तो उसका ध्यान अपने कर्म पर कम और उसके फल पर ज्यादा रहता है जिसकी वजह से करता है उसे सफलता प्राप्त होती है इसलिए फल की चिंता न करें केवल निरंतर कर्म करें। इस अवसर पर अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं उपस्थित थे।

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