जीवन का आधार और अविरल धारा है श्रीमद् भागवत कथा – स्वामी दयाल दास

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हरिद्वार 12 सितंबर 2022। हरिद्वार के रेलवे रोड स्थित श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ पूरे विधि विधान के साथ 12 सितंबर को हुआ।

कथा से पूर्व नगर में महंत रघुवीर दास के नेतृत्व में भव्य कलश यात्रा आयोजित की गई और कथा व्यास श्री स्वामी दयाल दास महाराज जयपुर वाले विभिन्न राज्यों से आए भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा का अनुसरण दोपहर 12 बजे से सायं 5 बजे तक करवा रहे हैं और श्रीमद् भागवत के महत्व की व्याख्या कर रहे हैं। कथा का समापन 18 सितंबर को भोग, आरती और व्यास पीठ पूजन के साथ होगा। कथा के आयोजक श्री नागा देवी दास गुरु श्री परमेश्वर दास सूरत वालों ने बताया कि हरिद्वार धर्मनगरी में बहुत सालों से धार्मिक अनुष्ठान कराने की सभी की बहुत इच्छा थी और आज सभी भक्तों की मेहनत के कारण ही ऐसा मुमकिन हो पाया है। कथा व्यास श्री स्वामी दयाल दास महाराज ने प्रथम दिन कहा कि श्रीमद् भागवत कथा जीवन का आधार और पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है।

जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। व्यास जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। सोया हुआ ज्ञान और वैराग्य कथा श्रवण से जागृत हो जाता है और व्यक्ति के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण का लाभ तभी है जब हम इसमें निहित ज्ञान को आत्मसात कर इसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल करें। वास्तव में सभी ग्रंथों का सार श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है। इस अवसर पर कार्यक्रम के संरक्षक एवं निर्मोही अनी अखाड़े के महंत श्री रघुवीर दास ने कहा कि सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का लाभ प्राप्त होता है। इसलिए समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का अद्भुत भंडार है और देवताओं को भी दुर्लभ है।

वास्तव में कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते हैं। देवभूमि उत्तराखंड और हरिद्वार की पावन धरती पर श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से सहस्त्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। इसके लिए बच्चों में अच्छे संस्कारों को जागृत करना चाहिए और धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेरित करना चाहिए। धर्म संस्कृति का बोध होने पर बच्चे बड़े होकर अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण करेंगे। कथा की यजमान साध्वी सुमन दास दिल्ली वाली के द्वारा सभी संत महापुरुषों और अतिथियों का स्वागत सत्कार किया जा रहा है।

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