हरिद्वार। आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए महंत ओमानंद ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष द्वारा मुझे एक निजी चैनल की डिबेट में अभद्र टिप्पणी की गई। मैं भारतीय जनता पार्टी आलाकमान से संत का अपमान करने वाले मंडल अध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी को पद विमुक्त करने हेतु माँग करता हूं। उन्होंने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने उस दिन रात को आश्रम पर आकर कहा था कि मंडल अध्यक्ष आपसे सामाजिक और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेंगे और मंडल अध्यक्ष मैं ऐसा 24 घंटे के अंदर नहीं किया तो मैं उन पर कार्रवाई करूंगा उन्होंने बताया कि अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है अगर आज रात तक माफी नहीं मांगी जाती है तो कल से हर की पौड़ी पर धरना प्रदर्शन होगा।
महंत ओमानन्द् ने बताया बहस के बाद भी भाजपा मंडल अध्यक्ष ने 2 बार आगे बढ़ कर लॉगो के छूट छुड़ाव करने के पश्चात धमकी देते हुए गए और कहा मैं तुझे देख लूँगा। क्या हिन्दू हिन्दू करने वाली पार्टी क्या हिन्दू धर्म के वाहक संत को इस प्रकार का टिप्पणी करेगी और पार्टी ऐसे पदाधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं करेगी? यह कैसा दोहरा व्यवहार हरिद्वार मे पार्टी का देखने को मिल रहा है। अगर यह मंडल अध्यक्ष पद से विमुक्त नहीं होते तो यह पार्टी का दोहरा चरित्र ही समझा जाएगा।
इस मौके पर युवा महंत लोकेश दास ने ओमानन्द् जी के वक्तव्य का समर्थन करते हुए कहा भाजपा के पदाधिकारियों से बहस कार्यक्रम के दौरान सवाल करना क्या गलत है बहस करते वक्त अगर पदाधिकारियों को अपने पद के गरिमा का आभास नहीं है तो यह कैसा संगठन हरिद्वार मे भाजपा का चल रहा है? जहाँ एक मंडल अध्यक्ष युवा संत को शेर की खाल मे छुपे भेड़िये करार दे रहा है और 24 घंटे बीत जाने के बाद युवा संत का अपमान पर मंडल अध्यक्ष ना अपनी गलती मान् रहा है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने स्वयंम आश्रम पहुँच कर ऐसे वक्तव्य को गलत बता कर माफ़ी मांगी और अश्वासन दिया था और मंडल अध्यक्ष और कार्यवाही की बात भी कही थी। परंतु अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है और अगर आज रात तक ऐसा नहीं हुआ। तो जो महंत ओमानंद कहेंगे मैं उनके साथ खड़ा हूं।
इस मौके पर समाजिक सेना के राष्ट्रीय प्रमुख स्वामी विनोद महाराज ने भी इस प्रकरण कि घोर निंदा करी साथ है ऐसे वक्तव्य देने वाले मंडल अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु आग्रह किया और ऐसा ना किया जाने के पर संत का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे कहकर कल से आंदोलन करने की चेतावनी दी।
इस मौके पर युवा संत प्रेमदास जी महाराज, प्रेमानंद जी, महंत शिवानंद जी, अरुण दास जी, अमृतानंद जी, गोविन्द जी, अखिलेश मुनि जी, प्रवीण जोशी आदि अन्य संत मौजूद रहे।