हरिद्वार 02 अक्टूबर 2022। अंकिता हत्याकांड में दोषियों को फांसी की सजा और मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज प्रदेश के तमाम संगठन और राजनीतिक दलों ने बंद की कॉल की थी। हालांकि मामले में घुल चुकी भाजपा सरकार ने बंद से दूरी बनाए रखी लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि आम आदमी पार्टी ने भी बंद का समर्थन नहीं किया।
वनंतरा रिसोर्ट से गायब हुई 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या के मामले ने उत्तराखंड की जनता को आक्रोशित कर दिया है। मामले में एसआईटी जांच भी कर रही है लेकिन अलग-अलग समय पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और तमाम परी दृश्यों के कारण मामला उलझता जा रहा है और प्रदेश की जनता भी निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है।
आज उत्तराखंड में उत्तराखंड बेरोजगार संघ, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल और तमाम संगठनों ने बंद की कॉल की थी और उसका अच्छा खासा असर पहाड़ों पर देखने को मिला।
लेकिन सबसे चौंकाने वाला दृश्य तो देहरादून और हरिद्वार से सामने आया जब आज प्रदेश में तमाम जगहों पर व्यापारियों ने मार्केट बंद की हुई थी तो हरिद्वार और देहरादून की मार्केट खुली हुई थी।
जिसके कारण अब हरिद्वार और देहरादून के व्यापारियों और इन जिलों में रहने वाले पहाड़ से संबंधित लोगों पर भी खड़े होने लगे हैं कि आखिर क्या यह लोग अंकिता भंडारी के समर्थन लिए चंद घंटों तक दुकान बंद नहीं रख सकते? या राजनीतिक नेताओं का इतना दबाव है कि न्याय और अन्याय में फर्क ही नहीं समझ आया?
ऋषिकेश, चंबा, टिहरी, उत्तरकाशी केदारनाथ, पौड़ी, धनोल्टी, कर्णप्रयाग स्थानों पर बंद की कॉल के बाद लोग सड़कों पर उतरे और अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की मांग की।
देहरादून में सुबह मार्केट ना बंद होने पर तमाम संगठनों के लोग सड़कों पर उतरे और देहरादून के मुख्य बाजार पलटन बाजार, इंद्रा मार्केट और मुख्य बाजारों को बंद करवाया गया।
हालांकि देहरादून के अधिकांश बाजार बंद नहीं थे, ऐसा ही नजारा हरिद्वार में देखने को मिला, जहां रोशनाबाद के नवोदय नगर मार्केट को छोड़कर अपर रोड, मोती बाजार, रानीपुर मोड़, ज्वालापुर, कनखल, बहादराबाद, रूड़की और लक्सर में मार्केट पूरी तरह खुला रहा। रेलवे रोड स्थित महालक्ष्मी व्यापार मंडल के अध्यक्ष विष्णु अरुणा ने कहा कि हरिद्वार में बाजारों का खुले रहना कहीं ना कहीं अंकिता के साथ अन्याय है उन्होंने कहा कि आज हरिद्वार के सभी व्यापारियों को एकजुटता दिखाते हुए अंकिता भंडारी के समर्थन में बाजार बंद रखना चाहिए था आज की घटना से मैं दुखी हूं और इससे उत्तराखंड में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ सोशल मीडिया पर #justiceforankitabhanadaru चलाने से न्याय नहीं मिलता न्याय के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है। लेकिन आज कल की जनता सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह कर न्याय की इच्छुक रहती है।
अगर चंद घंटों के लिए मार्केट बंद हो जाता तो शायद हरिद्वार और देहरादून को अरबों खरबों का नुकसान हो जाता इसलिए मार्केट बंद ना करने का फैसला लिया गया होगा, हरिद्वार में तो वैसे भी अधिकांश व्यापारि आपको राजनीतिक दलों के धड़ों में बटता हुआ नजर आएगा, इसका उदाहरण हाल ही में हुए प्रदेश व्यापार मंडल चुनाव हैं जिसका विरोध प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल कर रहा था।
यह सब बातें दिखाती है कि इंसानियत कहीं ना कहीं कलयुग में मर चुकी है और जब अपने पर कुछ बीतती है तभी आदमी सड़क पर उतरकर हल्ला मचाता है, लेकिन उस समय उसे गीता में लिखे “कर्म” के मुताबिक भुगतना भी पड़ता है।
खैर यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि क्या उत्तराखंड सरकार अंकिता हत्याकांड की घटना को सुलझा कर और आरोपियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचा कर न्याय दिलवा पाएगी या यह मामला भी सिर्फ मीडिया के हेडलइंस तक बनकर रह जाएगा।