हरिद्वार 30 सितंबर 2022। हरिद्वार जिला पंचायत में आए नतीजों ने यह दिखा दिया है कि विधानसभा चुनाव में भारी भरकम वोटों से जीती भाजपा की लहर बरकरार है। भर्ती घोटाले, अंकिता हत्याकांड और शराब कांड के बीच हुए पंचायत चुनाव में यह कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा को चुनाव में नुकसान हो सकता है। लेकिन मतदाताओं ने इन मुद्दों से अलग हटकर भाजपा के समर्थित प्रत्याशियों को वोट दिया और पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा जिला पंचायत में इतना अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही है। इससे पूर्व हुए पंचायत चुनाव में भाजपा कभी भी जिला पंचायत की 4 सीटों से ज्यादा नहीं जीती थी। इसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बड़े फैसलों का नतीजा कहेंगे या फिर हाल ही में हरिद्वार में चुनाव से पहले सक्रिय हुए सांसद निशंक की रणनीति का हिस्सा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जिस तरह से भाजपा ने हरिद्वार में तमाम पार्टियों के कार्यकर्ताओं को हर अगले दिन जॉइनिंग कराई और पंचायत चुनाव में भाजपा के कई नेताओं ने जमीनी स्तर पर अच्छी भूमिका निभाई यह उसी का नतीजा है कि आज भाजपा जिला पंचायत में जबरदस्त प्रदर्शन करने में कामयाब रही। हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अभूतपूर्व जीत दर्ज की है। जितनी सीटें भाजपा ने अब तक हरिद्वार में जीती हैं उतनी राज्य गठन से लेकर अब तक भाजपा की झोली में कभी नहीं आई। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में दोबारा सत्ता संभालने के बाद हुई पहली परीक्षा में सौ प्रतिशत अंकों के साथ पास होने में कामयाब रहे हैं और यह बड़ी जीत युवा नेतृत्व का ही करिश्मा है। पिछले 3 महीने में राज्य सरकार के लिए कुछ खासा अच्छे दिन नहीं रहे क्योंकि रोजाना उत्तराखंड में घटित घटनाओं ने राज्य सरकार की चौतरफा किरकिरी करवाई और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली की दौड़ भी लगाई। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पेपर लीक मामले में जिस तरह से धामी ने कड़े फैसले लेते हुए एसटीएफ को इसकी जांच सौंपी और लगातार 40 गिरफ्तारियां हुई इससे कहीं ना कहीं प्रदेश में एक अच्छा संकेत गया हालांकि दूसरी और अभी भी बेरोजगार युवा मामले में सीबीआई जांच और सफेदपोश लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन धामी के लिए गए फैसलों से कहीं ना कहीं प्रदेश की जनता संतुष्ट नजर आ रही है। जिस तरह से विधानसभा भर्ती घोटाले में भी भर्तियों को निरस्त करने का कार्य जारी है और नए सिरे से भर्तियां करने की बात हुई, यह अपने आप में एक निर्णायक फैसला था। इस बीच हरिद्वार में हुआ शराब कांड भी चुनौती के रूप में उभरा लेकिन युवा मुख्यमंत्री ने इन तमाम चुनौतियों के बावजूद हरिद्वार के नतीजों के जरिये दर्शा दिया कि राज्य की राजनीति में अभी दूर-दूर तक उनका कोई सानी नहीं है। धामी और भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की विधानसभा चुनाव के बाद यह पहली परीक्षा थी लेकिन इस जोड़ी ने परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर सबके मुँह बंद कर दिए है। जिला पंचायत सदस्य के मतगणना में भाजपा ने 14 सीटों से ज्यादा पर बढ़त बनाई हुई है।
कांग्रेस का सूपड़ा साफ
वहीं दूसरी और बात करें कांग्रेस की तो पंचायत चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। क्योंकि कांग्रेस के संगठन से लेकर जमीन तक किसी भी कार्यकर्ता ने बिना गुटबाजी के काम नहीं किया। विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति पंचायत चुनाव में देखने को मिली और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत अपनी विधानसभा सीट पर किसी भी प्रत्याशियों को जिताने में कामयाब नहीं हुई। सबसे बड़ी बात तो है कि जिन नेताओं ने विधानसभा चुनाव में अनुपमा रावत के लिए दिन रात काम करके उन्हें विधायक बनाया वही करीबी नेता पंचायत चुनाव में अनुपमा रावत की विधानसभा के अंदर वाले पंचायत क्षेत्र में अपनी सीटें हार गए। चाहे वो मुकर्रम अंसारी हो या फिर पंकज चौधरी। सिर्फ हरिद्वार ग्रामीण ही नहीं बल्कि अन्य पंचायत क्षेत्रों में भी कांग्रेस कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई और पार्टी के लाचार और अव्यवस्थित संगठन के कारण कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी।