हरिद्वार। हरिद्वार नाम सुनते ही देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग गंगा स्नान करने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। जिस हरिद्वार में रोजाना लाखों श्रद्धालु पहुंचते हो और जिसकी तस्वीरें लोग रोजाना सोशल मीडिया पर डालते हो उस हरिद्वार को तो लंदन जैसा चमकना चाहिए था।
क्योंकि पर्यटन से इतना पैसा और कुंभ का बजट इस नगरी को मिलता है जितने की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन उस पैसे का यहां बैठे अधिकारी और नेता क्या करते हैं कौन से विकास में खर्च करते यह कल्पना से परे है। क्योंकि जिस शहर में सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोग जूझ रहे हो उस जगह को शहर कहना भी शहर शब्द का अपमान है।
हरिद्वार को लंदन बनाना तो दूर आप इसकी तुलना चंडीगढ़ दिल्ली बेंगलुरु इंदौर से भी नहीं कर सकते। क्योंकि वह हाईटेक शहर है और हरिद्वार उनके सामने गांव जैसा मालूम पड़ता है। उत्तरी हरिद्वार के इंडिया टेंपल से लेकर भूमा निकेतन- वैष्णो माता-भारत माता मंदिर और सप्त ऋषि रोड की हालत दयनीय स्थिति में है और वह सरकार में बैठे लालफीताशाही अधिकारियों से अपनी ओर ध्यान देने की गुहार लगा रही है।
रोड में हर 20 मिटर पर जगह जगह गड्ढे हैं और सड़क पूरी तरीके से खराब हो चुकी है। हरिद्वार के कुछ प्रमुख मंदिर इस रोड पर होने के कारण रोड काफी व्यस्त रहती हैं और दिन भर हजारों श्रद्धालु इस रूट से निकलते हैं और जब वह मंदिर जाने के लिए रोड से होकर गुजरते होंगे तो वह हरिद्वार के प्रशासन और अधिकारियों की तारीफ जरुर करते होंगे। एक तो इस रोड पर लगने वाला जाम और ऊपर से हिचकोले खाते वाहन यात्रियों को झकझोर कर रख देते हैं।
सिर्फ यात्री ही नहीं अपितु बड़ी तादाद में स्थानीय लोग इस क्षेत्र से होकर निकलते हैं और हाइवे के बाद हरिपुर जाने का यह एक मुख्य मार्ग है। आजकल तो मुख्य मार्ग ही कहेंगे क्योंकि जिस तरह से दूधाधारी चौक से लेकर सप्त ऋषि तक पुल बनने के नेशनल हाईवे पर जाम रहता है तो लोग हरिपुर जाने के लिए इसी सड़क का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन सप्त ऋषि मार्ग पर भी सड़क पर गाड़ियां पार्क होने पर भी यह सड़क दिनभर जाम रहती है और इतनी गर्मी में लोगों को जाम से दो-चार होना पड़ता है।
हरि टीवी ने जब लोक निर्माण विभाग के इस क्षेत्र के असिस्टेंट इंजीनियर से बात की तो उन्होंने बताया कि यह सड़क 2010 के कुंभ से पहले बनी थी और उसके बाद से आज तक यह सड़क नहीं बनी है। जर्जर होती इस सड़क की हालत को देखकर यह लगता है कि शायद विभाग को ही इस सड़क की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि स्थानीय लोगों के मुताबिक पिछले तीन चार साल से इस सड़क की हालत ऐसी ही है। सवाल तो यही है कि हरिद्वार में बैठे पीडब्ल्यूडी के बड़े अधिकारी जिनके हाथ में शहर को गड्ढा मुक्त सड़क करने की जिम्मेदारी है वह कर क्या रहे हैं और किस बात की सरकारी तनख्वाह ले रहे हैं? पीडब्ल्यूडी के असिस्टेंट इंजीनियर ने बताया कि हम बीच-बीच में सड़क पर मरम्मत का काम करते हैं लेकिन मरम्मत कितनी होती है यह आप तस्वीरो में साफ-साफ देख सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले ही बिटुमिनस रोड बनाने का प्रपोजल शासन में भेजा जा चुका है और जैसे ही शासन द्वारा सड़क बनाने का आदेश जारी होगा हम तुरंत इस रोड को सबसे पहले बनाने का काम करेंगे। कांक्रीट की यह सड़क पानी बहने के कारण भी कई जगह खराब हो चुकी है और जल विभाग को इसकी कोई सुध नहीं है।
2 किलोमीटर की इस सड़क पर जगह-जगह नाली ना होने के कारण पानी सड़क पर बहता है जिसके कारण गड्ढे हो गए हैं और सप्त ऋषि के पास तो एक जगह लीकेज के कारण सड़क धंस गई जिसके बाद जल विभाग के कर्मचारियों ने वहां लीकेज बंद करने का काम किया। लेकिन गड्ढा करने के बाद वह सड़क को यथास्थिति में छोड़ गए और स्थानीय लोगों को वहां मिट्टी और पत्थर डालकर गड्ढे को भरना पड़ा इतना ही नहीं लीकेज फिर कुछ दिन बाद शुरू हो गया और लोगों के मुताबिक लीकेज आज तक ठीक नहीं हुआ है। लोग विभाग से इस सड़क को जल्दी बनाने की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन सवाल तो पीडब्ल्यूडी की कार्यशैली पर भी खड़ा होता है कि आखिरकार इतने साल सड़क खराब होने के बाद अब सड़क बनाने की याद कैसे आ गई।
जिस सड़क पर दिनभर वीआईपी और वीवीआईपी और तमाम बड़े बड़े संत निकलते हैं उस सड़क का हाल अगर ऐसा है तो और सड़के कैसी होंगी यह आप सोच सकते हैं। अब देखना यह होगा कि आखिरकार इस सरकारी काम में और कितना वक्त लगता है क्योंकि स्थानीय जनता तो जेल ही रही है और बारिश का मौसम भी आने वाला है जिसके बाद इस सड़क की हालत और बुरी होती चली जाएगी। पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर का कहना है कि हरि टीवी के द्वारा मामला संज्ञान में लाए जाने पर हम सड़क पर हो रहे गड्ढे को जल्द ही भरवा देंगे।
पीडब्ल्यूडी के असिस्टेंट इंजीनियर द्वारा पता है क्या कि हमने थोड़े दिन पहले रोड का निरीक्षण किया है। लेकिन सवाल यह है कि अगर रोड का निरीक्षण हुआ है तो सड़क का निरिक्षण पहले भी होता होगा, तो रोड बनाने की प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो गई? और सबसे बड़ी बात तो यह है कि चुनाव में राजनीतिक रोटियां सेकने वाले और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने वाले छुटपुट नेता भी आजकल गायब है और किसी भी पक्ष विपक्ष या विपक्ष के नेता को इस सड़क की याद नहीं आ रहीी। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि शायद अभी चुनाव दूर है। सवाल तो स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे मदन कौशिक पर भी खड़े होते हैं जिनको क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं है। सिर्फ चुनाव के टाइम पर दिखने वाले मदन कौशिक चुनाव होते ही गायब हो जाते हैं। क्या यह उनकी जिम्मेदारी नहीं है कि जिन लोगों ने वोट देकर उनको जिताया है उन लोगों को अच्छी और बेहतर सुविधा प्रदान करें। खैर नगर विधायक तो आजकल हरिद्वार में होने वाले सीएम और पार्टी के तमाम कार्यक्रमों सेे भी गायब है तो वह कहां हरिद्वार की सड़क पर दिखाई देंगे क्योंकि न तो पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया और ना ही कैबिनेट मंत्री।