ब्रेकिंग : भगवान भरोसे चल रही हरिद्वार की ट्रैफिक व्यवस्था, क्या मिल पाएगी कभी जाम से मुक्ति

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हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार तभी जाम के झाम से मुक्त हो पाएगी या नहीं सबसे बड़ा सवाल यही है! जिस तरह से पूरे शहर में अलग-अलग जगह पर रोजाना आम जनता को ट्रैफिक के जाम से दो चार होना पड़ रहा है और उनकी समस्या का समाधान करने वाला कोई नहीं है। तो आप यह कह सकते हैं कि हरिद्वार में ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है। शनिवार को हरिद्वार के अलग-अलग जगहों पर हरि टीवी ने खुद जाम की शिकायत पर जाकर देखा तो वाकई तस्वीरें चौंकाने वाली थी और जिन स्थानों पर प्रशासन द्वारा पुलिस कर्मचारीयों की ड्यूटी लगाई गई थी वह हाथ पर हाथ रखकर ह खड़े थे क्योंकि गाड़ियों का दबाव इतना था कि वह उनके नियंत्रण से बाहर जा चुका था। ललितारो पुल चौराहे पर जाम की स्थिति इतनी बुरी थी कि एंबुलेंस को भी जाम में फंस गई और कई मिनट खड़े होकर वहां से निकल पाई।

बिलकेश्वर से चंडी देवी, चंडी देवी से बिल्केश्वर एवं रेलवे स्टेशन से हर की पौड़ी जाने वाला रास्ता पूरी तरीके से चौक हो रखा था और ऐसा नजारा बहुत देर तक बना रहा। हमने जब स्थानीय व्यापारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा चार होमगार्ड यहां पर ड्यूटी पर लगाए गए हैं लेकिन वह जिम्मेदारी से ड्यूटी नहीं निभाते और ना ही ट्रैफिक पर उनका कोई लगाम है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि ललतारा पुल से शहर कोतवाली मात्र आधा किलोमटर की दूरी पर है लेकिन देख कर ऐसा लगता है जैसे कि लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया हो।

यही हाल शिव मूर्ति से लेकर बस स्टैंड का था। रानीपुर मोड़ से ललितारो पुल आने वाला ट्रैफिक पूरी तरीके से एक जगह पर रुका हुआ था और धीरे धीरे रेंग रेंग कर चल रहा था। बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन दोनों आसपास होने से इस क्षेत्र में रोजाना जाम की स्थिति पैदा होती है और बीच सड़क पर ऑटो रिक्शा और घोड़ा बुग्गी खड़े होने के कारण भी यहां जहां जाम लगता है। प्रशासन की तरफ से इन पर कोई नकेल नहीं है और यहां कोई भी पुलिसकर्मी भी आज तक जाम खुलवाता दिखाई नहीं पड़ा।

बात करें अगर शंकराचार्य चौक कि तुम्हें प्रशासन द्वारा जाम को नियंत्रण में करने के लिए रेड लाइट लगाई गई लेकिन रेड लाइट जाम से निजात दिलाना तो दूर। रेड लाइट ही वहां जाम का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है क्योंकि हरी बत्ती जलने के बाद रेलवे स्टेशन और डाम से कनखल और ऋषि कुल की ओर जाने वाला ट्रैफिक नहीं निकल पाता क्योंकि उस समय चंडी देवी और कनखल से आने वाला ट्रैफिक की तादाद इतनी होती है कि वह पूरा रास्ता ही घेर लेता है जिस कारण चंडी देवी पुल से शंकराचार्य आने वाले सर्विस रोड पर पूरी तरीके से जाम लग जाता है। हरि टीवी हमेशा खुद के एनालिसिस के आधार पर रिपोर्ट बनाता है और हमारी रिपोर्ट पूरी सत्यता के आधार पर लिखी जाती है और वैसे भी एक कहावत है तस्वीरें झूठ नहीं बोलती।

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पोस्ट ऑफिस से लेकर भीमगोड़ा क्षेत्र ज़ीरो जोन के रूप में जाना जाता है लेकिन जिस तरीके से इस क्षेत्र में ई-रिक्शा और ऑटो का आतंक है उससे ऐसा लगता है कि पुलिस का इन पर लगाम जीरो है। सवाल तो यही है कि दोनों तरफ बैरियर होने के बाद इतनी तादाद में ई-रिक्शा और ऑटो की एंट्री कैसे हो जाती है? क्योंकि यह एरोप्लेन नहीं है जो उड़ के अंदर लैंड हो जाए या नाव नहीं है कि गंगा जी के सहारे गलियों से होकर अंदर आ जाए यह आते तो रोड द्वारा ही हैं तो फिर इनकी एंट्री जीरो जोन में इतनी तादाद में हो कैसी रही है। दूसरा यहां जाम लगने का कारण रेडी और हथेली में हैं जो कि इस रास्ते में बीचो-बीच खड़े होकर अपना सामान बेचते हैं तो अब सवाल भी यही उठता है कि आखिर इनकी एंट्री भी बैरियर के अंदर रोजाना कैसे हो रही है और कौन इनको शह दे रहा है? तीसरा जाम का सबसे बड़ा कारण यहां सड़कों पर किया गया दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण है हाल ही में हरिद्वार में जगह-जगह प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने का काम चला था जिसका डर भी लोगों में सताने लगा था लेकिन यात्रा सीजन की गुहार लगाकर जिस तरह से व्यापारी नेताओं ने अतिक्रमण रुकवा दिया और अब फिर दोबारा से शहर में पूरी जगह-जगह अतिक्रमण देखने को मिल रहा है और इनके कारण शहर में जाम लग रहा है तो उसका जिम्मेदार हम किसे कहेंगे? क्योंकि प्रशासन से जो वादे किए जाते हैं उस पर अगर 50 फ़ीसदी भी खरा उतरा जाए तो यह क्षेत्र जाम मुक्त हो जाएगा।

भीमगोड़ा क्षेत्र में जाम से निजात दिलाने की बात करना तो शायद पाप ही होगा, जिस तरीके से रोजाना इस क्षेत्र में जाम लगता है और कई घंटे लोगों के यहां खराब होते हैं उससे तो यही कहना पड़े शायद भगवान ही अब इस क्षेत्र के ट्रैफिक व्यवस्था सुधार सकते हैं। रोजाना हर की पौड़ी की आरती छूटने के बाद यह क्षेत्र लगभग एक घंटे तक पूरा जाम में रहता है क्योंकि यहां पर बना हुआ फोटो और ई रिक्शा स्टैंड इसका सबसे बड़ा कारण है हाईवे से भीमगोड़ा आने वाला ट्रैफिक पूरी तरीके से रोड जाम होने के कारण लाइन में खड़ा रहता है। क्योंकि भीमगोड़ा बैरियर पर तैनात पुलिसकर्मी को जाम खुलवाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। अन्यथा वहां जाम का कारण बन रहे ऑटो और रिक्शा में बेमतलब नहीं मंडराते। छोटे छोटी उम्र के बच्चे यहां ई रिक्शा चलाते हुए पाए जाते हैं और इसकी वीडियो रोजाना एक स्थानीय निवासी भी सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर रहा है जिसका संज्ञान अभी तक किसी अधिकारी ने नहीं लिया है। ओवरलोडेड वाहन इस सत्र में तेज रफ्तार से दौड़ते हैं और तमाम हादसे यहां पिछले कई महीनों में हो चुके हैं और प्रशासन आंख मूंद कर बैठा हुआ है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि खड़खड़ी चौकी इस क्षेत्र से आधा किलोमीटर दूर है और वह भी मूकदर्शक बनी रहती है। बिना लाइसेंस के यहां ई-रिक्शा और ऑटो चालक गाड़ी चलाते हैं और यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय निवासी भी बदतमीजी से पेश आते हैं यह हाल खाली क्षेत्र का नहीं पूरे हरिद्वार शहर का यही हाल है। सबसे बड़ी बात तो देखने वाली है मिलती है कि जब कोई वीआईपी इस रास्ते से गुजरता है तो रास्ता पूरी तरीके से खाली हो जाता है और वीआईपी के निकलने के बाद ही रास्ता पूरी तरीके से जाम हो जाता है क्योंकि वीआईपी के समय तो रास्ता खोलने के लिए बैरियर पर तैनात खुद पुलिस कर्मी ड्यूटी पर कुर्सी छोड़कर उतरते हैं और वीआईपी के जाने के बाद ऑटो चालक और ई रिक्शा चालक हाथ में डंडे लेकर ड्यूटी करते हुए दिखाई देते हैं।

बात करें अगर दूधाधारी क्षेत्र की तो यात्रा सीजन में एन एस के द्वारा पुल का निर्माण कराना ऐसा है मानो जैसे सोने पर सुहागा। हरिद्वार से देहरादून और ऋषिकेश जाने वाले रोड पर वीकेंड के टाइम और अन्य किसी भी टाइम गाड़ी खराब होने के कारण इतना लंबा जाम लगता है कि गायत्री विहार सत्यम विहार एवं इस चित्र में पढ़ने वाले अन्य इलाकों के लोग काफी ज्यादा इस जाम से परेशान है। क्योंकि पुल का निर्माण कर रही कंपनी ने बीच में से खुले हुए सभी रास्तों को शेड लगाकर बंद कर दिया है और अब लोगों को यू-टर्न लेने के लिए भी एक से डेढ़ किलोमीटर घूम के देहरादून में जाकर हरिद्वार में वापस आना पड़ता है।

हमने पिछले 10 साल में क्या सीखा

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पिछले 10 साल में टेक्नोलॉजी में इतना बदलाव हुआ है कि आजकल मोबाइल फोन भी ऐसे आ गए हैं जिनको हाथ से नहीं मुंह के द्वारा बोल कर चलाया जा रहा है। लेकिन हरिद्वार में ट्रेफिक जाम की जो स्थिति आज से 10 साल पहले थी वह आज भी ऐसी की ऐसी ही बनी हुई है उल्टा और बद से बदतर हो गई हैं और हमारी सरकार, प्रशासनिक अधिकारी और तमाम नेता हरिद्वार के विकास की बड़ी-बड़ी बातें और दावे करते हैं। अगर हरिद्वार में एक अच्छा ट्रैफिक प्लान देहरादून दिल्ली बेंगलुरु चंडीगढ़ की तरह लागू किया जाए तो यहां की ट्रैफिक व्यवस्था भी पूर्ण रूप से सुधर सकती है लेकिन सिर्फ बातें करना और जमीन पर लागू करने में बहुत बड़ा अंतर यहां दिखाई दे रहा है।

जाम का क्या है कारण?

हरिद्वार शहर में जिस तरह से पिछले 5 से 8 साल में ई-रिक्शा की तादाद बढ़ी है वह चिंता का विषय है क्योंकि यह उत्तराखंड के नहीं बल्कि 90 से 95% ई रिक्शा चालक अन्य राज्यों से आकर हरिद्वार में गुंडागर्दी दिखा रहे हैं और इनमें से अधिकांश लोगों के पास लाइसेंस तक नहीं है और प्रशासन इन पर कार्रवाई की बात करके शायद भूल जाता है। यह तेज रफ्तार ई-रिक्शा लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं और बहुत से ई-रिक्शा चालक तो नशे में गाड़ी चलाते हुए पाए जाते हैं। जब हमने इस बारे में एआरटीओ रश्मि पंत से बात की तो उन्होंने बताया कि हम इन पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं और हमारी कार्रवाई आज भी जारी है और आगे भी जारी रहेगी। कई मामले संज्ञान में आए हैं लेकिन व्यवस्था को सुधारने में थोड़ा टाइम तो लगेगा। हाल ही में भीमगोड़ क्षेत्र का निरीक्षण करने आए एसपी ट्रैफिक एवं क्राइम हिमांशु वर्मा से जब हरि टीवी ने सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हम भीमगोड़ा क्षेत्र में ऑटो पार्किंग व्यवस्था बनाने पर विचार कर रहे हैं और हमारी प्लानिंग भी जारी है और जो भी रिक्शा या आटो चालक अवैध रूप से ई-रिक्शा या वाहन चलाते हुए पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन अब देखना यह होगा कि आधा सीजन भबीत जाने के बाद जब प्रशासन को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की सुध आई तो और कितने दिन इस व्यवस्था को बनाने में लगेंगे।

जाम लगते ही संकरी गलियों में दौड़ते हैं ई रिक्शा और ऑटो चालक

खुद जाम लगाने के बाद यह ई-रिक्शा चालक और ऑटो चालक अपने आप को इतना बड़ा समझदार समझते हैं जल्दी सवारी छोड़ने और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में वह अपने ऑटो और ई-रिक्शा को लेकर संकरी गलियों में निकल पड़ते हैं। जिस लापरवाही के कारण वह हरिद्वार के मुख्य मार्गो पर जाम का कारण बनते हैं उन्हीं कारण से वह हरिद्वार की संकरी गलियों को भी चौक कर देते हैं। जैसे कि ललिता रो फूल और शिव मूर्ति में जाम लगते ही यह निरंजनी अखाड़े वाली रोड में एंट्री करते हैं और वहां से गलत आरोपों और चंडी देवी की तरफ जाने की कोशिश करते हैं और उस रूट पर दबाव इतना बढ़ जाता है कि संकरी गली होने के कारण और गली में पहले से ही गाड़ी खड़ी होने के कारण वह गली काफी देर तक जाम रहती है। प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और संकरी गलियों में घुसना इनका तुरंत बंद कर देना चाहिए और जो भी रिक्शा चालक अवैध रूप से और नाबालिक बच्चे रिक्शा चला रहे हैं इनका वाहन सीज करके तुरंत संविधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए।

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