हरिद्वार। अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की एक अनूठी पहचान है। जो संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है और इसी के बल पर आज भारत संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। भूपतवाला स्थित जगदीश स्वरूप आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम अवसर पर संत सम्मेलन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर स्वामी अमृतानंद महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत हैं। जो वयोवृद्ध अवस्था में भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं।
निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए महापुरुषों ने हमेशा ही अनूठे प्रयास किए हैं। संत समाज अपने तप और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। सभी को महापुरुषों के आदर्शो को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग करना चाहिए। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज एवं महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप है। व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए गुरु की शरण में आना ही पड़ता है। वयोवृद्ध स्वामी अमृतानंद महाराज एक तपस्वी महापुरुष हैं और उनके कृपा पात्र शिष्य स्वामी अनंतानंद राम महाराज उनके द्वारा संचालित कार्य को पूर्ण करते हुए उनमें निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं। यही एक गुरु की अभिलाषा और शिष्य का कर्तव्य होता है। सभी को इनके आदर्श पूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर अपने गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए।
महंत जसविंदर सिंह महाराज एवं महंत प्यारा सिंह महाराज ने कहा कि महापुरुषों की वाणी को आत्मसात कर जो व्यक्ति उसे अपने जीवन व्यवहार में शामिल कर लेता है। वह भवसागर से पार हो जाता है। भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले संत महापुरुषों का जीवन तपस्या और त्याग से परिपूर्ण होता है। महामंडलेश्वर स्वामी अमृतानंद महाराज सहज और सरल संत है। जिनका निर्मल व्यवहार सभी को आकर्षित करता है। ऐसे ज्ञानी महापुरुष समाज और राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए स्वामी अनंतानंद राम महाराज ने कहा कि गुरुजनों का आदर सम्मान सभी को करना चाहिए। गुरु अपने शिष्य का संरक्षण कर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जो अपने गुरु की शरण में आ जाता है। उसका जीवन हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। उन्होंने कहा कि गुरुजनों द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी करते हुए गौ सेवा, गंगा सेवा एवं संत सेवा करना ही उनके जीवन का मूल उद्देश्य है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर संत महापुरुषों से आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद, महामंडलेश्वर स्वामी दामोदर शरण दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत अरुण दास, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत शिवानंद, महंत सूरजदास, महंत प्रह्लाद दास, श्रीमहंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, स्वामी योगेंद्रानंद शास्त्री, महंत निर्मल दास, स्वामी कल्याण देव, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी ऋषि रामकिशन, संत गुरमीत सिंह, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह,सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।