हरिद्वार विधानसभा (25)
हरिद्वार। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं जिनके परिणाम 10 मार्च को घोषित होंगे। उससे पूर्व राजनीतिक पार्टियों में खलबली मची हुई है तो दूसरी ओर प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ी हुई है। उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीट है जिसमें से सबसे ज्यादा हरिद्वार जनपद में 11 सीट है। जिसमें सबसे प्रमुख और हाट सीट जो इस समय बनी हुई है वह है हरिद्वार शहर सीट जहां से 20 साल से विधायक, तीन बार कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भाजपा के उम्मीदवार हैं तो वहीं कांग्रेस ने भी अपने दमदार उम्मीदवार एवं पूर्व नगरपालिका चेयरमैन सतपाल ब्रह्मचारी को चुनाव मैदान में उतारा है। हरिद्वार के स्थानीय निवासियों के मुताबिक इस बार के चुनाव काफी मजेदार था क्योंकि उनका कहना था कि ऐसा चुनाव उन्होंने आज तक नहीं देखा, जहां कांटे की टक्कर हो और पल-पल में पलड़ा कभी इसका तो कभी उसका भारी हो रहा हो।
हरिद्वार में है इतने वोटर :-
हरिद्वार शहर में कुल 149108 मतदाता है जिसमें से 96754 लोगों ने इस बार मत का प्रयोग किया। जिनमें 63.46 फ़ीसदी पुरुष तो 65.46 फीसदी महिलाओं ने वोट डाला।
कांग्रेस कर रही का दावा :-
चुनाव खत्म होते ही अपने बूथ एजेंट, पार्षद, एवं अपनी संगठन की टीम के बल पर तमाम राजनीतिक पार्टियां अपने गणित और आंकड़े जुटाने में लग गई थी तो वही हरिद्वार शहर से भी कांग्रेस ने एक एक बूथ की रिपोर्ट और उसके आधार पर अपना जीत का अनुमानित आंकड़ा लगाया है जिसके मुताबिक कांग्रेस हरिद्वार शहर सीट में 50499 वोट लेने जा रही है और जीत का दावा कर रही है। कांग्रेस के आंकड़ों के मुताबिक वह उत्तरी हरिद्वार में लगभग पड़े हुए मतों का 65-70% मत लेने जा रही है। और मध्य हरिद्वार से लेकर कनखल और ज्वालापुर में वह लगभग अपना 50 फीसदी(5%+/-) वोट मान रही है। इस हिसाब से वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को चुनाव में पटखनी देने की बात भी कह रही है।
भाजपा और मदन कौशिक को हो सकता है नुकसान
सूत्रों के मुताबिक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भाजपा ने साइडलाइन करने का मन चुनाव परिणाम से पहले ही बना लिया है, आलाकमान बस चुनाव परिणामों का इंतजार कर रहा हैं। भाजपा में उठे भितरघात के आरोपों के बीच पार्टी आलाकमान ने दिल्ली में सीएम धामी एवं उत्तराखंड में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करके यह निर्णय लिया है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक अगर यह चुनाव हारते हैं तो उनको अपने पद खोने के साथ-साथ वह पार्टी में अपने वर्चस्व की लड़ाई भी लड़ते नज़र आ सकते है। जिसे आलाकमान भी नजरअंदाज करेगा।
कांग्रेस के गिरगिट भी दिखे गायब
कांग्रेस के मजबूत होने का एक कारण यह भी है कि कांग्रेस के कुछ नेता जो पार्टी में हार का कारण बन कर उभरते थे इस बार चुनाव मैदान में नहीं दिखाई दिए और दूसरी और मेयर अनीता शर्मा और उनके पति अशोक शर्मा ने सतपाल ब्रह्मचारी के लिए काम किया जिसका फायदा उनको इस बार मिल सकता है। और दूसरी बात यह भी है कि अशोक शर्मा कनखल के रहने वाले हैं तो उनकी धर्मपत्नी अनीता शर्मा ज्वालापुर की बेटी है तो कहीं ना कहीं सतपाल ब्रह्मचारी के लिए दोनों तरफ से गणित उनके पक्ष में बैठा रहा है।
भीतरघात हो सकती है बड़ी वज़ह
मदन कौशिक की हार का सबसे बड़ा कारण भाजपा में भीतरघात हो सकता है क्योंकि भाजपा के कुछ लोग मदन कौशिक से काफी नाराज थे एवं उन्होंने भी अंदर खाने दबे मुंह से सतपाल ब्रह्मचारी का समर्थन किया है। कुछ लोग तो ऐसे भी थे जो प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रचार में भी दिखाई दिए लेकिन काम उन्होंने अंदर खाने किसी और के लिए किया।
व्यापारी नाराज और अधिकांश संतों का समर्थन
2020 में कोविड-19 महामारी आने के बाद हरिद्वार में व्यापार चौपट हो गया था और हाल ही में 14 जनवरी का स्नान भी स्थगित कर दिया गया था जिससे हरिद्वार के व्यापारी काफी हद तक नाराज और परेशान थे और उनका यह कहना भी था कि जनप्रतिनिधि ने एक बार भी आकर हमारी सुध नहीं ली है और ना ही हमारे लिए कोई सहायता राशि मुहैया कराई है। तो वहीं हरिद्वार एक धर्म नगरी है और संतों की तादाद भी यहां पर काफी ज्यादा है जिनका वोट चुनाव में जीत और हार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। सतपाल ब्रह्मचारी की जीत में संतों की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है क्योंकि वह खुद भी एक संत और अखाड़े से ताल्लुक़ रखते है।
नशा और पार्टी में तानाशाही भी हो सकती है हार का कारण
हरिद्वार में कांग्रेस ने नशे को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्होंने लगातार इसके खिलाफ अभियान भी चलाया। कांग्रेस के कुछ समर्थक लोग तो चुनाव में दूध बांटते हुए भी नजर आए तो वहीं चुनाव में पकड़ी गई भाजपा के पदाधिकारियों के यहां शराब भी एक हार का बड़ा कारण बन सकती है। मदन कौशिक हरिद्वार में भाजपा से चार बार के विधायक हैं और उनके रहते हुए पार्टी में अब तक कोई नेता इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया है। हालांकि इतिहास में इस बार हरिद्वार से सबसे ज्यादा दावेदारी देखने को मिली। लेकिन वहीं दावेदारी के साथ-साथ तो कुछ नेताओं को अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा। अन्य और भी ऐसे नेता हरिद्वार में हैं जो भाजपा में अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ते नजर आए तो यह भी हरिद्वार में भाजपा के हारने का कारण साबित भी हो सकता है।
मदन कौशिक है राजनीतिक धुरंधर
खैर मदन कौशिक को भी आप इतना नासमझ नहीं समझ सकते हैं क्योंकि वे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं और उनको बूथ मैनेजमेंट से लेकर संगठन को चलाना बखूबी आता है और इसी वजह से वह हरिद्वार में 20 साल से विधायक हैं। हरिद्वार को भाजपा का गढ़ माना जाता है इसलिए यहां से भाजपा लगातार जीतती आ रही है और भाजपा की केंद्र के साथ-साथ उत्तराखंड में भी सरकार है जो कि मदन कौशिक को फायदा पहुंचाने का काम कर सकते हैं। क्योंकि मोदी और योगी आज भी भाजपा के लिए सबसे बड़े टर्निंग फैक्टर चुनाव में साबित होते हैं और जो सबसे बड़ी बात भाजपा के साथ जुड़ी हुई है कि भाजपा अपने आप को एक हिंदुत्ववादी पार्टी दर्शाती है जैसा आप ने भाजपा के चुनाव प्रचार गाने को सुना होगा। हरिद्वार शहर सीट में लगभग 90% वोटर सनातन धर्म से ही आते हैं। बरहाल स्थानीय निवासी चुनाव को कांटे की टक्कर बता रहे हैं और देखना यह होगा कि जब 10 तारीख को चुनाव परिणाम घोषित होंगे तो क्या फिर मदन कौशिक जनता के आशीर्वाद से 5 वीं बार जीतकर विधानसभा में जाएंगे या इस बार कांग्रेस वनवास तोड़कर सतपाल ब्रह्मचारी को विधानसभा तक पहुंचाएगी।
हरिद्वार में कांग्रेस के एक एक बूथ के अनुमानित आंकड़े सामने आए जो इस प्रकार है :-