हरिद्वार में हुए अवैध खनन पर हाईकोर्ट सख्त, शासन से मांगा जवाब, भाजपा मंडल अध्यक्ष पर गिर सकती है गाज

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हरिद्वार। हरिद्वार में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए श्यामपुर लालढांग निवासी जसविंदर सिंह ने कहा कि मैं आप सभी पत्रकार बधुओं का अभिवादन करता हूं। आप सभी देेेेश का चौथा स्तम्भ हैै। माननीय न्यायपालिका के पश्चात आप ही सच्चाई को सामने लाकर आप जन की पीड़ा को समझते व अपनी कलम के माध्यम से आप जन को सही दिशा व न्याय दिलाने का काम करते हैं। व हमे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरे द्वारा प्रशासन व सरकार के विरुद्ध उठाई आवाज को बुलन्द करेगे व मेरी सहायता करेंगे। मैं आपके सामने रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 की आड़ मे गाँव रसूलपुर, मिठीबेरी, लालढांग हरिद्वार में प्रशासन द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखकर अवैध खनन करवाया गया। प्रशासन की इस भारी लापरवाही व गलती से हजारों करोडो रू० का राजस्व का नुकसान उत्तराखण्ड की जनता को झेलना पड़ेगा। दिनांक 13.06.2018 को मेरे नाम जसविन्दर सिंह पुत्र श्री लक्खा सिंह निवासी ग्राम समसपुर कटेबड पो० लालढांग जनपद हरिद्वार द्वारा रिवर ट्रेनिंग नीति 2016 के अर्न्तगत प्रस्तावित प्रर्थाना पत्र पर जिलाधिकारी हरिद्वार के आदेश पर 06.06.2018 को ग्राम रसूलपुर मिठीबेरी जिला हरिद्वार स्थित खसरा नं 0 1890 में से 8000 घन मीटर उपखनिज निकासी की अनुमति अधिकतम नीलामी द्वारा बिट नं 0 5 ( आलोक द्विवेदी, लालढांग भाजपा मंडल अध्यक्ष ) को प्राप्त हुई थी। अधिकतम बोली एक करोड़ चालीस लाख जिसकी 25 प्रतिशत धनराशि जिला खनिज फाउडेशन में जमा करानी थी जो कि लगभग पौने दो करोड़ के लगभग बैठती है। जब यह काम शुरू हुआ उस समय लगभग 32 लाख रुपये जमा करवाए गए जबकि बिना पूरी धनराशि जमा करवाकर नियमानुसार काम नहीं हो सकता कार्य शुरू होने से चार दिन मे ही 8000 घन मीटर से अधिक खनिज मशीनो द्वारा किया गया । जिसकी शिकायत कर निवर्तमान जिलाधिकारी श्रीमान दीपक रावत जी द्वारा काम पर रोक लगा दी थी व हिन्दुस्तान समाचार पत्र के माध्यम से यह प्रकाशित भी हुआ था। जिसके बाद खनिज इन्सपेक्टर द्वारा जाँच की गयी व यह पाया गया कि खनिजकर्ता अपना 8000 घन मीटर से अधिक उपखनिज निकाल चुका है जिसके बाद जाँच का लगभग 17 लाख रूपये की पेन्लटी जिलाधिकारी हरिद्वारा द्वारा लगायी गयी थी । जिसके बाद आलोक द्विवेदी ने माननीय उच्च न्यायलय में याचिका डाल कर माननीय न्यायलय से पुनः उपखनिज निकासी के लिए अपील की थी। जिस पर माननीय न्यायलय ने जिलाधिकारी हरिद्वार को समय बढ़ाने के लिए कहा परन्तु मौके पर नदी में पानी होने की वजह से कार्य नहीं हो पाया व आलोक द्विवेदी ने पुनः माननीय उच्च न्यायलय में प्रार्थाना पत्र लगाते हुए बताया कि पानी होने की वजह से कार्य नहीं हो पाया। अतः दिनांक 13.06.2018 को माननीय उच्च न्यायलय ने पुनः एक सप्ताह के लिए उपखनिज निकासी का यह कहते हुए आदेश दिया कि सात दिन में आपको काम पूरा करना पड़ेगा व इसके बाद कोई समय नहीं दिया जाएगा व आपको पूरे रूपये जमा करवाने पड़ेगे लेकिन माननीय न्यायलय के आदेश की अवहेलना करते हुए दिनांक 13.06.18 को जो कार्यादेश जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा दिया गया उसमें मात्र 14 लाख रूपये जमा करवाए गये न ही जो पूर्व में अवैध खनन किया गया था जिसकी जाँच खनिज अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी हरिद्वार को जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी थी उसमे अर्थदण्ड लगभग रूपये 17 लाख जमा करवाने ये वह भी जमा नहीं करवाए गये। यह आवंटन मात्र 9 बीघा में हुआ थाा। जबकि अवैध खनन लगभग 50 बीघा में किया जा रहा था। इसके बाद अर्थदण्ड पूरा जमा न करवाने पर 2019-20 में आलोक द्विवेदी को कई नोटिस जिला प्रशासन भेजे गए। रूपये जमा न करवाने पर उसकी आर ० सी ० काट उसे डिफाल्टर घोषित कर दिया गया। व तहसील में भी उसका नाम चस्पा दिया गया जबकि इसी बीच आलोक की फर्म जिसके नाम पर उसने यह पट्टा निलाम लिया था ओम साँई कंन्सट्रक्सन इसके ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी सरकारी विभाग पी 0 डब्लू ० डी ० व आर ० इ ० एस ० द्वारा कार्य दिये गये इसके बाद जनवरी 2021 में आलोक द्विवेदी ने माननीय उच्च न्यायलय मे पुनः उपखनिज निकासी के लिए पुर्नविचार याचिका प्रस्तुत की लेकिन माननीय उच्च न्यायलय ने 28.01.2021 को याचिका खारिज कर इस कार्य को कभी न होने योग्य कहा। 25.10.2021 को जो उक्त रिवर ट्रेनिंग पट्टा था, सभी नियमों को ताक पर रखते हुए व माननीय उच्च न्यायलय के आदेशों की अवहेलना करते हुए ब्लैक लिस्ट व्यक्ति को वैध करने के लिए पुनः कार्यादेश दिनांक 25.10.2021 को दे दिये गये जबकि यह जमीन मैने लीज पर ली हुई थी । मैने लगातार जिला प्रशासन हरिद्वार को इस पट्टे को निरस्त करने की प्रार्थना की थी मैने यह भी बताया था कि निर्धारित मात्रा से कई गुना अधिक खनन मौके पर हो चुका है जिससे स्थानीय लोगों को बाद में जान व माल का खतरा हो सकता है व सबसे मुख्य बात यह है कि चिन्हित भूमि राजा जी नेशनल पार्क से 200 मी 0 दूरी पर ही है । जो कि एक एलिफेन्ट जोन है व जंगली जानवर व गुलदार, चौलत, जंगली सुअर, सियार सल्लु सौर आदि अपना रास्ता भटकर गाँव में किसानों के फलो का नुकसान कर सकते है जिसकी पुष्टी पत्रांक 4361 / 2-3 दिनां 13/03/2019 को उपजिलाधिकारी महोदय हरिद्वार को लिखे पत्र से होती है रिवर ट्रेनिंग नीति को लागू करने के लिए प्रशासन द्वारा पाँच विभाग की कमेटी गठित की गयी है जो संयुक्त निरीक्षण कर अपनी आख्या जिलाधिकारी महोदय के देंगे। जबकि विवादित खनन पट्टे से मात्र दो विभागो रिपोर्ट ही दिनांक 22.10.2021 को लगाई गयी है । पत्रांक 6454/16 हरिद्वार दिनांक 17 / 06 / 2021 को खसरा नं 0 1890 के सम्बन्ध में निवर्तमान उपवन संरक्षक हरिद्वार वन प्रभाग हरिद्वार द्वारा भी एक पत्र आलोक द्विवेदी को लिखा गया जिसके सम्बन्ध में उपवन संरक्षक महोदय द्वारा खनिजकर्ता को माननीय उच्च न्यायलय उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा राज्य के राष्ट्रीय उद्यानो एवं वन्य जीव अभ्यारण्यों की सीमा के 10 किमी ० के दायरे में खनन पर रोक लगाई है इस तथ्य की स्पष्ट करने को कहा था कि यह आदेश आपके स्वीकृत कार्य क्षेत्र पर लागू होता है कि नहीं जिसकी कोई उत्तर वन प्रभाग हरिद्वारा को नहीं मिला। हास्यस्पद की बात यह है कि जिस जमीन पर 06.06. 2018 को मशीनों द्वारा उपखनिज निकाला गया वही भूमि 25.10.2021 में एक दूसरे से आधा किमी दूरी पर है इससे यह प्रमाणित होता है कि यह तो 2018 में खसरा न ० 1890 में खनन किया गया या फिर 2021 में क्योंकि दोनों बार अलग – अलग भूमि पर खनन हुआ है और यह तय है कि प्रशासन द्वारा कागजों में फेर बदल कर दिया गया है। मेरे द्वारा जिलाधिकारी हरिद्वार को यह सभी जानकारी लिखित व डाक द्वारा दी गयी थी। जिला प्रशासन में सुनवाई न होने पर आहत होकर हमे माननीय उच्च न्यायलय नैनीताल उत्तराखण्ड की शरण लेनी पड़ी जिसमे माननीय न्यायलय ने दिनांक 01.12.2021 को जिलाधिकारी हरिद्वार को 4 बिन्दुओं पर उत्तर मांगा दिनांक 02.02.2021 को कोई भी सन्तुष्टिजनक उत्तर न मिलने पर माननीय न्यायलय ने स्टे लगाते हुए तीन सप्ताह मे हरिद्वार प्रशासन खनन सचिव देहरादून से उत्तर मांगा गया हैै।

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