देहरादून 6 फरवरी 2022। शनिवार को देहरादून स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पटवारी लेखपाल और एई/जेई परीक्षा के अलावा इन के मध्य में हुई तमाम भर्तियों में गड़बड़ी के आरोप लगाया हैं और उनके कुछ साक्ष्य भी मीडिया के सामने रखें। बॉबी पवार ने कहा कि बड़े दुखी मन से आप सभी को अवगत कराना चाहता हूँ कि भर्ती घोटालों को लेकर जहाँ प्रदेश में नए – नए प्रकरण सामने आ रहे हैं, वहीं हमारी सरकार और आयोग द्वारा इन मुद्दों को दबाने की भरपूर कोशिश की जा रही है। इसके कुछ उदाहरण साक्ष्यों सहित आप सभी के सामने रखने जा रहा हूँ। साथ ही आयोग यह दावा कर रहा है कि चतुर्वेदी को पहली बार अति गोपन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी, जिससे अन्य परीक्षाओं में गड़बड़ियों के सवाल ही पैदा नहीं होते। जबकि सच्चाई यह है कि आयोग के अंदर ही कई और चतुर्वेदी हैं जिनके साक्ष्य जेई भर्ती के प्रश्न बैंकों की ये प्रतिलिपियाँ हैं। यदि चतुर्वेदी ने प्रश्न बैंक को बाहर नहीं किया तो किसने इन प्रश्न बैंक को बाहर किया। जिस प्रश्न बैंक को उत्तराखंड के अलावा सहारनपुर, यूपी में परीक्षा से 5 दिन पहले से सैकड़ों छात्रों को पढ़ाया जा रहा था। जिसकी पुष्टि करने के लिए हमारे पास 9 मई 2021 को 2 छात्रों की कॉल रिकॉर्डिंग भी है जिसमें इन सब बातों का जिक्र भी आ रहा है। पटवारी परीक्षा में 380 प्रश्नों का प्रश्न बैंक बाहर था न तो आम अभ्यर्थियों को यह पता है कि वे कौन से प्रश्न थे और न ही आयोग ने अभी तक इन प्रश्नों को पब्लिक डोमेन में रखा है , जिससे यह संशय की स्थिति बनी है कि 100 से अधिक छात्र जिन्होंने पेपर पढ़ा था ( समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार ) वह भी दोबारा इस परीक्षा को देंगे और यह पूरी संभावना है कि इन लोगों का पैसा बचाने और अन्य परीक्षा माफियाओं को बचाने के लिए यह कोशिश हो रही हो। जब मई 2021 में संपन्न हुई जेई की परीक्षा का प्रश्न बैंक बाहर आ सकता है और 8 जनवरी 2022 को संपन्न हुई पटवारी लेखपाल परीक्षा का प्रश्न बैंक भी बाहर आ सकता है तो इस अंतराल में हुई विभिन्न परीक्षाएं अपर पीसीएस , लोअर पीसीएस , FRO RO ARO , हाईकोर्ट पीसीएस जे प्रवक्ता आदि परीक्षाओं के प्रश्न बैंक भी निश्चित रूप से ही बाहर होंगे। क्योंकि 12 दिसंबर को संपन्न हुई लोअर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट पहली बार 70 प्रतिशत तक जाना और इस परीक्षा में 12 अंकों का बोनस मिलना तथा परीक्षा का मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने के बाद भी आयोग ने अपनी ही नियमावली के विरुद्ध जाकर संबंधित परीक्षा की ओएमआर सहित सभी साक्ष्यों को नष्ट कर दिया जिससे उक्त परीक्षा की जांच ही न हो पाये। 4 अप्रैल 2022 को संपन्न हुई अपर पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में आयोग ने अपनी शुचिता को प्रारंभिक स्तर पर ही भंग कर दिया। आयोग द्वारा वितरित प्रश्न पुस्तिका में पॉलीथीन के अंदर कॉन्फिडेशियल सील का ना होना यह दर्शाता है कि ओएमआर की टारगेट डिलीवरी की है। आप एक मात्र ऐसे आयोग हैं जो अलग से ओएमआर वितरित कर रहे हैं और इस बार नियमों के विरुद्ध सील हटा दी, क्योंकि आयोग के अधिकारियों को पहले से ही यह पता होता है कि किस अभ्यर्थी के पास कौन सी पुस्तिका वितरित करनी है तो यह संदेहात्मक रूप से टारगेट डिलीवरी की गई और इसकी जांच न हो पाए इसलिए आपने लोअर पीसीएस की तरह मामला उच्चतम न्यायालय में • लंबित होते हुए भी 6 दिसंबर 2022 को अपर पीसीएस के सभी साक्ष्य नष्ट कर दिए और आरटीआई में जानकारी मांगने पर जानकारियां नहीं दी जा रही हैं। जिससे यह प्रतीत होता है कि निश्चित ही परीक्षाओं में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। साथ ही उन्होंने कहा पुलिस सिपाही भर्ती में भी गड़बड़ियों की जानकारियां और कुछ साक्ष्य सामने आए हैं जिस कारण धाधली में शामिल परीक्षा माफियाओं के तार आयोग , पुलिस के बड़े अधिकारियों और सरकार में बैठे लोगों से जुड़े सकते हैं। क्योंकि पटवारी लेखपाल भर्ती घोटाले में गिरफ्तार हुए आरोपी संजीव कुमार चतुर्वेदी और राजपाल सिंह भर्ती के दौरान हरिद्वार के दर्जनों गांवों / क्षेत्रों के अभ्यर्थियों के साथ संपर्क में थे और इसके अलावा परीक्षा होने के बाद भी नंबरों को बढ़ाकर सलेक्शन का दावा कर रहे माफियाओं की कॉल रिकॉर्डिंग भी सामने आई है।
साथ ही प्रदेश भर में कई ऐसी जानकारिया सामने आई है जिससे शारीरिक परीक्षा के दौरान भाई भतीजावाद का फायदा उठाकर अनेकों अभ्यर्थियों को कई अंकों का फायदा पहुंचाया गया है। साथ ही यदि जेई और पटवारी का क्वेश्चन बँक बाहर आ सकता है तो निश्चित ही पुलिस सिपाही का क्वेश्चन बैंक भी बाहर होगा। जिसकी निष्पक्ष जांच होना अति आवश्यक है। जहां लिखित परीक्षाओं में इतने बड़े स्तर पर धांधली सामने आ रही है वहीं सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में एपीआई को लागू करके केवल साक्षात्कार के माध्यम से लेवल 10 की भर्ती को संपन्न करवाना आयोग और साक्षात्कार पैनलों की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। क्योंकि इससे पूर्व संपन्न भर्तियां जिनमें साक्षात्कार हुआ था, आयोग के साक्षात्कार पैनलों की मनमानी कई बार देखी गई है साथ ही यह भी अवगत कराना है कि इस भर्ती में एपीआई के लागू होने से उत्तराखंड के अभ्यर्थियों का पूरी तरह से अहित हुआ है इसलिए इसमें जल्द ही भर्ती पर रोक लगाकर लिखित परीक्षा के माध्यम से परीक्षा को संपन्न कराया जाना चाहिये। उत्तराखंड महिला क्षैतिज आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं है महिला क्षैतिज आरक्षण अध्यादेश में बिंदु संख्या 9 पर यह उल्लेखित है कि इस अधिनियम के उपबंध ऐसे मामलों पर प्रदत्त नहीं होंगे जिसमें चयन प्रक्रिया इस अधिनियम के प्रारंभ के पूर्व प्रारंभ हो चुकी हो, इस पर सरकार अपना स्पष्टीकरण दे जिससे उत्तराखंड की बेटियों के अधिकारों को सुरक्षित कर सकें।
आयोग ने मनीष चौहान बनाम स्टेट ऑफ उत्तराखंड एवं अन्य में असिस्टेंट प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय चयन २०२१ में पारित उच्च न्यायालय के आदेश द्वारा विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया गया था और आयोग को यह निर्देशित किया था कि नए सिरे से विज्ञापन को प्रकाशित करें और भर्ती प्रक्रिया को शुचिता पूर्ण ढंग से पूरा करें लेकिन फिर भी आयोग ने अपना तानाशाही रवैया दिखाते हुए एक निर्णय लिया जिसमें दिव्यांगजन के पदों को वर्तमान में चल रही प्रतियोगिताओं से पृथक रख कर आगे की प्रतियोगिता कराई जाएगी। मतलब उनकी आरक्षित सीटों को हटा कर उन्हें अनारक्षित सीटों पर प्रतियोगिता कराई जा रही है और यही व्यवस्था 30 नवंबर 2022 के अधिसूचना के अंतर्गत लोअर, अपर एपीएस, जेई, एई सभी भर्तियों पर लागू हो रहा है। सरल शब्दों में जैसे अपर पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में दिव्यांगजन की न्यूनतम मेरिट / कटऑफ 65.88 अंक है और अनारक्षित की 91.93 अंक है। इस तरह आयोग द्वारा अनारक्षित श्रेणी में दो मानकों का प्रयोग करके मुख्य परीक्षा में सम्मिलित करवाया जा रहा है जोकि नियमावली के विरुद्ध है। आयोग को विज्ञप्ति में सुधार कर दिव्यांगजन के पदों को जोड़ना चाहिए था और सभी पदों के लिए नई विज्ञप्ति को जारी करना चाहिए था परन्तु उसने अपनी हठधर्मिता का प्रयोग करके एक ही परीक्षा में विभिन्न मांगों का उपयोग कर दिव्यांग एवं अनारक्षित अभ्यर्थी दोनों के साथ छल किया है। अतः यह आयोग की कार्य प्रणाली पर गंभीर आशंकाएं उत्पन्न करता है। उन्होंने बताया उत्तराखंड बेरोजगार संघ द्वारा 16 नवंबर 2022 को एक प्रेस वार्ता के माध्यम से उत्तराखंड जनजाति कल्याण विभाग में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था। जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाम द्वारा आवश्यक कार्यवाही करने आश्वासन दिया था, परंतु कई माह बीतने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कार्रवाई इसलिए नहीं हुई कि जनजाति कल्याण विभाग में मानकों को पूरा किए बिना जिस व्यक्ति को निदेशक के पद पर तैनात किया है वह मुख्यमंत्री धामी के करीबी हैं और मुख्यमंत्री उत्तराखंड के संयुक्त सचिव भी हैं ।
अंत में उन्होंने मिडिया को अवगत कराते हुए कहा है कि जनजाति शोध संस्थान देहरादून जनजाति कल्याण उत्तराखंड देहरादून में राजीव सोलंकी को ग्रेड वेतन रुपए 5400 / – में उनकी पत्नी के आवेदन पर समन्वयक पद पर नियुक्ति प्रदान की गई है। जबकि इस नियुक्ति से संबंधित शासन की नोट सीट पर पूर्व वित्त सचिव श्री अमित सिंह नेगी जी ने लिखा है “किसी भी सर्विंग ऑफिसर को उसके ग्रेड पर से ऊपर तैनात किया जाना वित्तीय अनियमितताएं है एवं एक जगह करने पर हर जगह उपरोक्त गलत डिमांड पैदा होगी कार्मिकों को ग्रेड पे उनके द्वारा पास करने पर वर्गीकरण के अनुरूप दिया जाता है उपरोक्त कार्मिक के सीनियर बैच के अन्य कार्मिक के साथ यह अन्याय होगा अतः वित्त मंत्री, मुख्यमंत्री से उपरोक्त आदेशों को निरस्त करने हेतु सादर अनुरोध निवेदित आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि धर्म पत्नियों के पत्र पर नियुक्तियाँ देकर उत्तराखंड के नवयुवकों, बेरोजगारों, कार्मिकों के साथ कैसा छल किया जा रहा है। राजीव सोलंकी को नियुक्ति दिलाने में संजय टोलिया संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री एवं निदेशक जनजाति कल्याण जनजाति शोध संस्थान का पूरा सहयोग है। यदि मुख्यमंत्री धामी की नीयत साफ है तो इन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाये। UKSSSC भर्ती घोटालों की जाँच में सचिवालय में तैनात अपर निजी सचिव की भी संलिप्तता एसटीएफ ने उजागर की थी, अतः उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित उक्त अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा की भी निष्पक्ष जाँच हो और संलिप्त दोषियों को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाय। सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार को लेकर धामी सरकार की नीयत इसी से स्पष्ट होती है कि सरकारी सिस्टम को पारदर्शी बनाने हेतु सूचना के अधिकार की सुविधा को तक ऑनलाईन नहीं किया जा रहा है, जबकि विगत 6 माह से यह प्रकरण सचिवालय प्रशासन में लंबित पड़ा है, साथ ही नकल रोधी कानून को लेकर केवल प्रचार किया जा रहा है धरातल पर स्थिति शून्य है, नकलचियों के नाम सार्वजनिक नहीं किये जा रहे हैं । अगर मुख्यमंत्री की नीयत साफ है और उत्तराखण्ड को वास्तव में 2025 तक भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते हैं तो तत्काल सीबीआई जाँच के आदेश दें। यदि उक्त माँगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं हुई तो उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन की होगी। प्रेस वार्ता में बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार, नितिन कैंतुरा, सुशील कैंतुरा, जितेंद्र ध्यानी, रविना, सचिन गोयल, मोहन कैंतुरा, सुनिल नेगी आदि लोग मौजूद थे।।