सोती रही सरकारे और धंस गया जोशीमठ, निर्माण कार्यों से लेकर विद्युत परियोजनाओं पर तत्काल प्रभाव से लगाई गई रोक

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चमोली 5 जनवरी 2023। उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार भू धंसाव के कारण पैदा हुई भयावह स्थिति पर अब सोए हुए अधिकारी और सरकार जाग उठी है। मकानों, होटलों एवं अन्य जगहों पर पड़ चुकी बड़ी-बड़ी दरारें यह संकेत दे रही है कि जोशीमठ अब सुरक्षित नहीं रह गया है।

जोशीमठ में पड़ी दरारे कब किसी बड़े हादसे का कारण बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।

जोशीमठ में पैदा हुई इस भयावह स्थिति के पीछे क्षेत्र में हो रहे तेजी से विकास कार्यों, खराब सीवरेज, वर्षा जल और घरेलू अपशिष्ट जल के जमीन में रिसने से मिट्टी में उच्च छिद्र-दबाव की स्थिति पैदा होने की बात कही गई।

इसके अलावा अलकनंदा के बाएं किनारे में कटाव को जोशीमठ शहर पर हुए प्रतिकूल प्रभाव का कारण माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जोशीमठ शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। यह शहर ग्लेशियर के रोमैटेरियल पर है।

ग्लेशियर या सीवेज के पानी का जमीन में जाकर मिट्टी को हटाना, जिससे चट्टानों का हिलना, ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से जोशीमठ का धंसाव बढ़ा है। इन सब बिंदुओं को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है।

तो वही लोग भी अब विकास कार्यों को रुकवाने के लिए लामबंद हो गए हैं बुधवार को जोशीमठ में बड़ी तादाद में लोगों ने मशाल निकालकर सरकार को जगाने के साथ-साथ काम बंद कराने की अपील की।

तो वही इसका असर गुरुवार को देखने को मिला जब सिटी मजिस्ट्रेट ने आदेश जारी करते हुए जोशीमठ में होने वाले एनटीपीसी के जल विद्युत परियोजना बीआरओ द्वारा बनाए जा रहे सड़क एवं राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे निर्माण कार्यों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशासन ने बुधवार को लगभग 70 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों को शिफ्ट किया है तो वही स्थानीय लोगों को शिफ्ट करने का सिलसिला अभी भी जारी है।

तो वही विशेष सदस्यों की टीम गुरुवार को जोशीमठ पहुंचेगी और सूत्रों के मुताबिक तो जल्द ही सीएम पुष्कर सिंह धामी भी स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ पहुंच सकते हैं। जोशीमठ धंसना तो काफी पहले से शुरू हो गया था।

लेकिन 2020 के बाद से समस्या ज्यादा बढ़ गई है। फरवरी 2021 में बारिश के बाद आई बाढ़ से सैकड़ों मकानों में दरार आ गई। 2022 सितंबर में उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से विशेषज्ञों की टीम ने जोशीमठ का सर्वे किया था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

मिश्रा समिति की रिपोर्ट को सरकारों ने क्यों किया नजरअंदाज?

सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि 1976 में गढ़वाल आयुक्त रहे एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में बनी 18 सदस्यों की समिति की रिपोर्ट पर किसी ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? समिति की रिपोर्ट में सीधे तौर पर कहा गया था कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है और अगले 50 साल में जोशीमठ धंस जाएगा।

जिसका असर भी अब होता दिख रहा है मकानों में बड़ी-बड़ी दरारों के साथ-साथ क्षेत्र में पानी भी निकल रहा है। जिससे कहीं ना कहीं लोगों की जान पर भी खतरा बन चुका है। समिति ने भूस्खलन और भू धसाव वाले क्षेत्रों को ठीक कराकर वहां पौधे लगाने की सलाह दी थी। इस समिति में सेना, आईटीपी समेत बीकेटीसी और स्थानीय जनप्रतिनिध शामिल थे। 1976 में तीन मई को इस संबंध में बैठक भी हुई थी, जिसमें दीर्घकालिक उपाय करने की बात कही गई थी।

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