ऋषिकेश। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग पेपर लीक मामले ने पूरे उत्तराखंड सहित देश को हिलाकर रख दिया है, जिला पंचायत सदस्य से लेकर पूर्व अधिकारी और पीआरडी के जवान से लेकर पेपर बनाने वाली कंपनी के कर्मचारी सभी लोग शामिल दिखाई दे रहे हैं। तो वहीं दूसरी और नए नए भर्ती घोटाले सामने आ रहे हैं जिसने प्रदेश के युवाओं को झकझोर दिया है मेहनत करने वाले छात्र अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा ही मामला 2021 में उत्तराखंड विधानसभा भर्तियों से जुड़ा है। जहां नियमों को ताक पर रखकर बिना इंटरव्यू और परीक्षा दिए बड़े बड़े मंत्रियों और नेताओं के करीबियों को नौकरी दे दी गई और पेपर देने वाले 8000 छात्र आज तक परीक्षा के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। मामला गंभीर है और उस समय विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल पर इस भर्ती के गंभीर आरोप लग रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आज मीडिया द्वारा पूछे गए विधानसभा में बैकडोर में हुई नियुक्तियों पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल भड़क गए। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि जब इससे पूर्व की विधानसभा में वे विधानसभा अध्यक्ष थे, तो उन्हीं के कार्यकाल में इन नियुक्तियो की संस्तुति हुई। अग्रवाल ने कहा कि ये नियुक्तियां नियमानुसार हुई है। लेकिन कब विज्ञप्ति निकली औऱ किस आधार पर चयन हुआ है, इसका उनके पास नियमानुसार कहने के अलावा कोई शब्द ही नहीं है। लेकिन विपक्ष इसे बेवजह तूल देकर सरकार पर भ्रष्टाचार का गलत इल्जाम लगा रही है।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि 21 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है, कि जब सभी भर्तियों को आयोग के माध्यम से करवाया गया है, और अगर कोई किसी कारणवश कोर्ट जाता है, तो इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। लेकिन हर भर्ती में पार्दर्शिता को पूरी तरह रखा गया है। अग्रवाल ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस उन पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है, और कांग्रेस पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि उनकी सरकार के समय में विधानसभा स्पीकर द्वारा कितने लोगों को अवैध रूप से नौकरी पर लगाया गया था। वहीं दूसरी ओर हरिद्वार पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्तियों में हो रही गड़बड़ी की निष्पक्ष जांच होने की बात कही, साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी भर्ती घोटाले में संलिप्त पाए जाएंगे सब के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन बड़ा सवाल तो यह खड़ा हो रहा है कि छोटी-छोटी मछलियों के पकड़े जाने के बाद और प्रदेश में बैठे बड़े मगरमच्छ को कैसे पकड़ा जाएगा? और उत्तराखंड एसटीएफ बड़े मगरमच्छों तक कैसे पहुंचेगी और अगर पहुंच भी जाएगी तो क्या उत्तराखंड एसटीएफ उनसे सवाल-जवाब कर पाएगी? इसलिए बड़े मगरमच्छों की गिरफ्तारी और दूसरे राज्यों से हो रहे गिरफ्तारी के चलते अब भर्ती घोटालों में सीबीआई जांच की मांग होने लगी है।