ब्रेकिंग : मदन कौशिक, सतपाल महाराज, रेखा आर्य और तमाम मंत्रियों के पीआरओ विधानसभा में बन गए क्लास वन अफसर, परीक्षा के नतीजे का आज तक इंतजार कर रहे 8000 छात्र, उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले ने उड़ा दी सबकी नींद

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ईश्वर को साक्षी मानकर सत्य निष्ठा और ईमानदारी की शपथ लेने वाले सफेदपोश नेताओं की पोल उत्तराखंड में हो रहे भर्ती घोटालों ने खोल कर रख दी है। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की जांच अभी जारी है और मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि प्रदेश में तमाम भर्तियों में हुए घपले की CBI जांच मांग होने लगी है। रोजाना नए नए साक्ष्य सामने आ रहे हैं, पुलिस मुख्यालय द्वारा 2015 में हुए 339 दरोगा की भर्ती की जांच का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, तो वहीं इस वक्त की बहुत बड़ी खबर आ रही है, अक्टूबर 2021 में उत्तराखंड विधानसभा में 35 पदों पर निकाली गई भर्ती पर बड़े घोटाले का मामला प्रकाश में आ रहा है और

इसके तार सीधे तौर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य समेत तमाम बड़े नेताओं से जुड़ रहे हैं।

यह है मामला

अक्टूबर 2021 में उत्तराखंड विधानसभा में अपर निजी सचिव, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी लेखा, रिपोर्टर, प्रतिवेदक, पुरुष रक्षक, महिला रक्षक, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, स्वागती, व्यवस्थापक और उक्त प्रोटोकॉल अधिकारी के पदों पर कुल मिलाकर 35 भर्तियां उत्तराखंड विधानसभा मैं निकली थी जिसमें प्रदेश के लगभग 8000 बच्चों ने फार्म भरा था और एक फार्म का शुल्क लगभग ₹1000 या उससे ज्यादा था जिसमें कि आज तक परीक्षा देने वाले बच्चों का भविष्य अधर में है, क्योंकि आज यानी 27 अगस्त 2022 तक के इस परीक्षा के रिजल्ट का कुछ अता पता नहीं है और सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि 35 भर्तियां निकाल के बैक डोर से 73 लोगों को उत्तराखंड विधानसभा में बिना इंटरव्यू और परीक्षा दिए सीधा नौकरी मिल गई।

सीधे लग रहे गंभीर आरोप

उत्तराखंड विधानसभा की भर्ती कोई स्थाई भर्ती नहीं थी अपितु यह बढ़ती है तदर्थ(अस्थाई) पर थी। लेकिन जिन लोगों को बैक डोर से भर्ती किया गया, वो पहले दिन से ही स्थाई कर्मी की तनख्वाह ले रहे हैं और क्लास वन अफसर बनकर उत्तराखंड के युवाओं की मेहनत पर पानी फेर कर मलाई चाट रहे हैं। इतना ही नहीं पैसों की बंदरबांट में सचिव की नियुक्ति के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया, सचिव मुकेश सिंघल पर आरोप है कि उनको सीधा शोध अधिकारी से उठाकर सचिव के पद पर नियुक्ति दे दी गई।

जबकि नियमानुसर उत्तराखंड विधानसभा में सचिव पद पर नियुक्ति के लिए संयुक्त सचिव से लेकर अपर सचिव तक न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए और अगर ऐसे ही स्थिति हो कि ऐसा कोई भी अधिकारी उपलब्ध ना हो तो कोर्ट से जज की नियुक्ति विधानसभा में की जाती है।

वर्तमान और पूर्व कैबिनेट मंत्रियो के पीआरओ(PRO) की हुई भर्तियां

उत्तराखंड विधानसभा में पैसे और पावर की हनक इतनी थी कि 8000 बच्चों के परीक्षा देने के बाद भी कैबिनेट मंत्रियों के पीआरओ या उनके रिश्तेदारों की भर्तीया हो गई और परीक्षा देने वाले छात्र आज तक नतीजे (Result) का इंतजार कर रहे हैं।

• पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के हरिद्वार में पीआरओ आलोक शर्मा की धर्म पत्नी मीनाक्षी शर्मा

और दूसरे पीआरओ अमित कुमार वर्मा जो कि काफी लंबे समय से मदन कौशिक के साथ थे उनकी भी क्लास वन अफसर पर भर्ती हुई।

• इतना ही नहीं विधानसभा में भर्ती की लिस्ट काफी लंबी है, इसी कड़ी में वर्तमान में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत का है जो पूर्व में उनके पीआरओ रहे हैं उनकी भर्ती भी बैंक डोर से हो गई।

• प्रदेश संगठन मंत्री और मुख्यमंत्री के पीआरओ गौरव सिंह भी 2021 में आचार संहिता लागू होने से पहले विधानसभा में सरकारी अधिकारी बन गए।

• वर्तमान में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पूर्व पीआरओ गौरांग गर्ग भी इस लिस्ट में शामिल है।

जीरो टॉलरेंस, भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार पर निकल गई भाजपा की हवा

पूरे देश में जीरो टॉलरेंस, भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार पर बड़ी बड़ी बाते करने वाली भाजपा सरकार की उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले ने पोल खोलकर रख दी है। जिस तरह से उत्तराखंड के युवाओं के साथ छल और धोखा हुआ है इससे यहां का युवा काफी नाराज है और पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग हो रही है सीधे तौर पर आरोप पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैबिनेट और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर लग रहे हैं, क्योंकि उनकी देखरेख में यह भर्तियां हुई। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जब पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष थे तो उन्होंने अपने पुत्र को एक विभाग में इंजीनियर की नौकरी पर लगवा दिया था जिस पर काफी बवाल मचा था और उसके बाद विभाग ने उनके पुत्र को नौकरी से हटाया था।

 

कांग्रेस भाजपा की मिलीभगत आई सामने

वह इस पूरे मामले पर जहां अलग-अलग छात्र संगठनों द्वारा कार्यवाही की मांग की जा रही है तो वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने भी उत्तराखंड में 2000 के बाद हुई विधानसभा भर्तियों में जांच की मांग की है। लेकिन एक चौंकने वाला तथ्य भी सामने आ रहा है कि भाजपा द्वारा की गई थी विधानसभा भर्तियों में कुछ कांग्रेस नेताओं के करीबियों के नाम भी शामिल है। तो वहीं 2016 में कांग्रेस की सरकार में पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने चुनाव से ठीक पहले 158 पदों पर भर्तियां की थी और उसमें भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं के करीबियों को नौकरियां दी गई थी। ऐसा आरोप दोनों पार्टियां के नेता अंदरखाने एक दूसरे पर लगा रहे हैं। कुल मिलाकर बात साफ है कि सत्ताधारी पार्टी हो या विपक्ष दोनों मिलीभगत से जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को उत्तराखंड में हो रहे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ पर तुरंत संज्ञान लेते हुए सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने चाहिए और जो भी व्यक्ति अधिकारी और नेता इसके पीछे हैं उनको तुरंत सलाखों के पीछे डालना चाहिए हरि टीवी उत्तराखंड के युवाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगा और आखरी दम तक भर्ती परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग करेगा और जहां भी जरूरत होगी तो युवाओं के साथ सड़कों पर भी उतरेगा।

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